पश्चिम बंगाल में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने उठाया यह बड़ा कदम

PC: samaja

लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान ममता के गढ़ पश्चिम बंगाल में चुनाव कराना चुनाव आयोग के लिए बड़ा सर दर्द बनता जा रहा है। आए दिन पश्चिम बंगाल में चुनावों के दौरान हिंसा की खबरें आ रही हैं। जिस कारण अब चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है कि पश्चिम बंगाल में होने वाले 5 वें चरण के चुनावों के समय हर पोलिंग बूथ पर स्थानीय पुलिस की जगह केंद्रीय बालों की तैनाती की जाएगी।

पोलिंग बूथों पर केंद्रीय बलों की तैनाती के साथ स्थानीय पुलिस पर भी एक कडा फैसला लिया गया है। चुनाव आयोग ने आदेश दिये है कि पश्चिम बंगाल पुलिस पोलिंग बूथ के अंदर प्रवेश नही कर सकती हालांकि, स्थानीय पुलिस को पोलिंग बूथ के आस पास रहने की इजाज़त है। आपको बता दें कि अब पश्चिम बंगाल पुलिस का काम पोलिंग बूथ के बाहर खड़े रहकर मतदातों की पंक्तियां ठीक करवाना, लॉं एंड ऑर्डर को बनाए रखना तथा मतदान से जुड़ी बाकी व्यवस्थाओं को देखना होगा।

पश्चिम बंगाल में चुनावों को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने के लिए केंद्रीय बलों की 578 कंपनियों को तैनात किया गया है। इससे पहले पश्चिम बंगाल में मतदान के समय हिंसा की खबरों के बाद भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में हर मतदान केंद्र पर केंद्रीय बलों की नियुक्ति की मांग की थी। साथ ही भाजपा नेताओं ने चुनाव आयोग से ये शिकायत भी की थी कि, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कार्यकर्ताओं ने लोकतंत्र को बंधक बना लिया है।

आपको बता दें कि, जब से चुनाव शुरू हुए हैं, तब से पश्चिम बंगाल में आए दिन टीएमसी के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी सड़कों पर देखने को मिल जाती है। इस गुंडागर्दी का शिकार कई विपक्षी नेताओं को होना पड़ा। आसनसोल से बीजेपी संसद और उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो के साथ टीएमसी कार्यकर्तों ने गुंडागर्दी की, यहां तक की उनकी कार का शीशा भी तोड़ डाला। जिसके बाद बाबुल सुप्रियो ने अपने बयान में कहा था की ‘टीएमसी के पास एक यही तरीका है जिससे वो चुनाव जीत सकती है वो है ‘वोट लूट।‘ उन्होंने आगे कहा था कि, लोग खुद वोट देना चाहते हैं जिससे ममता बनर्जी डर गयी हैं।‘ बाबुल सुप्रियो से पहले सुभाष चंद्र बोस के पोते और भाजपा सांसद चंद्र कुमार बोस पर भी टीएमसी कार्यकर्ताओं ने जानलेवा हमला किया था।

इन सभी घटनाओं पर ममता दीदी की चुप्पी ये साबित करती है कि, इन घटनाओं में कहीं न कहीं उनकी मर्ज़ी भी शामिल है। साथ ही टीएमसी के कई प्रमुख नेताओं के बयान भी ये साबित करते है की टीएमसी पश्चिम बंगाल में अपनी कुर्सी बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। ऐसा ही चौका देने वाला एक बयान टीएमसी उम्मीदवार मुन मुन सेन ने भी दिया। मीडिया द्वारा टीएमसी कार्यकर्ताओं की हिंसा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि, “आज मुझे बेड टी (सुबह की चाय) देर से मिली… मैं काफी देर से सोकर जगी तो मुझे नहीं पता कि क्या हुआ है।“ उन्होंने आगे ये भी कहा कि, चुनावों में इतनी हिंसा तो हर जगह होती है। मतलब साफ है कि बड़े नेताओं का सपोर्ट लेकर ही टीएमसी के गुंडों कि हिम्मत इतनी बढ़ी हुई है।

सच में टीएमसी के राज में पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र मानो अपनी अंतिम साँसे ले रहा है। यहां जनता अपनी मर्ज़ी से वोट तक डालने में जिझकती है। इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग को यह फैसला लेना पड़ा है।

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