एग्जिट पोल में NDA की जीत की भविष्यवाणी, लेफ्ट लिबरल गैंग बेतुके बहानों के साथ आया सामने

लोकसभा चुनावों के सम्पन्न होते ही सभी न्यूज़ एजेंसियों ने एग्जिट पोल के नतीजों को जारी कर दिया। अधिकतर पोल्स के नतीजों से यह साफ हो गया है कि केंद्र की सत्ता पर भाजपा दोबारा क़ाबिज़ हो सकती है। लेकिन ऐसा लगता है कि एग्जिट पोल के ये नतीजे लेफ्ट लिबरल गैंग को रास नहीं आ रहा। आलम यह है कि विपक्षी पार्टियों के साथ-साथ मीडिया का एक हिस्सा भी इन एग्जिट पोल्स की विश्वसनीयता पर अब सवाल उठा रहा है। यह पूरा लिबरल गैंग अपनी एजेंडावादी मानसिकता के तहत अब सोशल मीडिया के माध्यम से इन एग्जिट पोल्स पर अपनी चिंता जाहिर कर रहा है।

सबसे पहले ‘द प्रिंट’ के संस्थापक शेखर गुप्ता मैदान में आये और अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण दिया। शेखर गुप्ता के हिसाब से एग्जिट पोल्स, लोगों के मन को भांपने में अक्षम होते हैं। उन्होंने ट्वीट में लिखा ‘हेल्थ वार्निंग: जब रविवार रात आप टीवी पर एग्जिट पोल्स देखने बैठें, तो ध्यान रखिये कि ऑस्ट्रेलिया के वोटर्स ने सभी राजनीतिक विश्लेषकों को गलत साबित कर दिया। कंजरवेटिव गठबंधन जीत गया जबकि सभी एग्जिट पोल्स के नतीजे उनके खिलाफ जा रहे थे’।

शशि थरूर जैसे नेताओं ने भी ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण देते हुए अपने आप को दिलासा देने की कोशिश की। उन्होंने लिखा ‘मैं समझता हूँ कि एग्जिट पोल्स गलत हैं। पिछले हफ्ते ऑस्ट्रेलिया में 56 एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए। भारत में सरकार के डर से लोग सर्वे करने वालों को सच नहीं बताते, असली नतीजों के लिए 23 मई का इंतज़ार करो’। 

हालांकि, इन एग्जिट पोल्स ने सबसे ज़्यादा पीड़ा अगर किसी को पहुंचाई है तो वह जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह हैं। उन्होंने 23 मई तक लोगों से सोशल मीडिया और टीवी का बहिष्कार करने की अपील तक कर डाली। उन्होंने ट्वीट किया ‘सभी एग्जिट पोल्स के नतीजे गलत नहीं हो सकते, सोशल मीडिया से लोग आउट करने और टीवी को बंद करने का समय आ गया है। हमें 23 मई का इंतज़ार करना चाहिए और यह देखना चाहिए कि क्या अब भी दुनिया अपने ध्रुव पर घूम रही है’। 

इन चुनावों को ‘और कौन है’ चुनाव कहने वाली बरखा दत्त ने हिंदुस्तान टाइम्स में लिखे अपने लेख में यह दावा किया कि पीएम मोदी इसलिए जीत जाएंगे क्योंकि विपक्ष में राष्ट्रीय नेतृत्व की बड़ी भारी कमी है। उन्होंने ट्वीट किया ‘2019 के चुनाव: राष्ट्रीय नेतृत्व का कोई विकल्प ना होने की वजह से पीएम मोदी के लिए जीत हासिल करना बेहद आसान होगा’। 

https://twitter.com/BDUTT/status/1130062419131228161

कारवां मैगज़ीन के राजनीतिक विश्लेषक हरतोष सिंह बाल भी बड़े पीड़ित दिखे और उन्होंने कमजोर लड़ाई लड़ने के लिए कांग्रेस को जमकर लताड़ा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पार्टी से अच्छा प्रदर्शन तो क्षेत्रीय पार्टियों ने किया है। उन्होंने लिखा ‘हमें पाँच साल दोबारा मोदी सरकार का राज सहना पड़ेगा। ये सब इसलिए क्योंकि कांग्रेस भाजपा को कड़ी टक्कर देने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई। क्षेत्रीय पार्टियों ने अपनी भूमिका बेहतर ढंग से निभाई है’।

वहीं पश्चिम बंगाल में हिटलरशाही को हर दिन नया आयाम देने वाली ममता बनर्जी ने इन एग्जिट पोल्स को पूरी तरह नकार दिया। इसके साथ ही उन्होंने सभी मोदी-विरोधियों को साथ आने की सलाह भी दी। उन्होंने लिखा ‘मुझे एग्जिट पोल्स पर कोई भरोसा नहीं है। मोदी सरकार का गेमप्लान अपनी हवा बनाकर ईवीएम में छेड़छाड़ करने का है। मैं सभी राजनीतिक दलों को साथ आने की अपील करती हूं। हम इस लड़ाई को साथ मिलकर लड़ेंगे’।

आम आदमी पार्टी के लिए ओवरटाइम करने वाले क्रांतिकारी यूट्यूबर ध्रुव राठी ने एग्जिट पोल्स पर निशाना साधते हुए पूरी मीडिया को ही बिकाऊ बता डाला। उन्होंने लिखा ‘अगर एग्जिट पोल्स सही साबित होते हैं, तो मुझे कोई हैरानी नहीं होगी। लोग प्रोपेगैंडे के असर को समझ नहीं पाते हैं। 90% मीडिया पर कब्जा, बॉलीवुड फिल्म्स, टीवी सिरियल, सोशल मीडिया विज्ञापन, और चुनाव आयोग की मिलीभगत, इन सब का बड़ा प्रभाव होता है’।

इस लिबरल गैंग की प्रतिक्रिया से यही साबित होता है कि यह गैंग वर्ष 2004 को एक बार फिर दोहराते देखना चाहता है। हालांकि, यह लिबरल गैंग यह भूल रहा है कि वर्ष 2004 और वर्ष 2019 की परिस्थितियों में ज़मीन-आसमान का फर्क है। यही कारण है कि यह लिबरल गैंग एग्जिट पोल्स को भी पूरी तरह नकार रहा है। इन लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी का वापस सत्ता में आना अब तय हो गया है।

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