केंद्र में एनडीए सरकार की वापसी निश्चित होने के साथ ही मोदी कैबिनेट के नए मंत्रियों को लेकर कयासें लगाए जाने का दौर भी अब शुरू हो गया है। पिछले कुछ वर्षों में संचार जगत में आई क्रांति की वजह से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारियां पहले के मुक़ाबले और ज़्यादा बढ़ गई हैं। दूरदर्शन, आकाशवाणी जैसी प्रमुख मीडिया संस्थाएं इसी मंत्रालय के तहत आते हैं। इसके अलावा इडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, फिल्म एवं टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, सत्यजीत रे फिल्म और टेलीविज़न इंस्टीट्यूट जैसे प्रतिष्ठित संस्थान भी यही मंत्रालय संभालता है। पिछले 5 सालों में इस मंत्रालय का पदाभार अलग-अलग मंत्रियों ने संभाला। सबसे पहले वर्ष 2014 में इस मंत्रालय का कार्यभार प्रकाश जावड़ेकर ने संभाला लेकिन जल्द ही इस मंत्रालय की ज़िम्मेदारी अरुण जेटली को सौंप दी गई जिन्होंने वर्ष 2016 तक इस मंत्रालय का नेतृत्व किया। इन नेताओं के अलावा मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और स्मृति ईरानी को भी सूचना एवं प्रसारण मंत्री के तौर पर नियुक्त किया जा चुका है। हालांकि, वर्ष 2018 में इस मंत्रालय का कार्यभार भाजपा नेता राज्यवर्धन सिंह राठौर को सौंपा गया और यही कारण है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्री का पदाभार सौंपे जाने की पूरी संभावना है।
राज्यवर्धन सिंह राठौर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से भली भांति परिचित भी हैं। पिछले पांच सालों के दौरान उन्होंने इस मंत्रालय के राज्यमंत्री के तौर पर अपनी जिम्मेदारियां निभाई। राज्यमंत्री रहते हुए वे मंत्रालय में स्थायित्व लाने में कामयाब रहे, जो कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जैसे मंत्रालय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ब्यूरोक्रेट्स के बीच वे काफी लोकप्रिय हैं और राजनीतिक लोगों से भी उनके काफी अच्छे संबंध हैं। बता दें कि फिल्म और मीडिया उद्योग को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए आजादी और स्वाधीनता की जरूरत होती है, ऐसे में अगर राज्यवर्धन सिंह राठौर जैसे गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले नेता को सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया जाता है, तो यह वाकई एक अच्छा फैसला साबित होगा।
राठौर के अलावा, पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी को भी इस मंत्रालय का पदाभार सौंपा जा सकता है। वे एक शानदार वक्ता हैं और इस मंत्रालय के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हैं। इसके अलावा उनके पास मीडिया क्षेत्र में काम करने का दशकों का अनुभव है जिसके कारण उन्हें इस मंत्रालय की जिम्मेदारियां और चुनौतियों को अच्छे से समझने में आसानी होगी। मीडिया क्षेत्र से जुड़े होने की वजह से यदि उन्हें इस मंत्रालय का कार्यभार सौंपा जाता है, तो वे अपनी जिम्मेदारियों का वहन बेहतर तरीके से कर पाएंगी। यही कारण है कि उन्हें इस मंत्रालय का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
तीसरे उम्मीदवार के तौर पर बैजयंत जय पांडा का नाम भी इस सूची में शामिल है। बीजे पांडा ओडिशा से भाजपा नेता हैं और वे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कुछ महीने पहले ही भाजपा को जॉइन किया था और अब इस बात की पूरी उम्मीद है कि उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। बीजेडी पार्टी से वे लोकसभा के सांसद रह चुके हैं, लेकिन इस बार बीजेपी की टिकट पर उन्हें हार नसीब हुई। बीजे पांडा को अपनी कैबिनेट में शामिल करके भाजपा ओडिशा के लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश कर सकती है।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री किसे बनाया जाता है, इसका जवाब तो हमें कुछ दिनों के इंतजार के बाद ही मिलेगा। ऐसे में हम उम्मीद करते हैं जिसे भी ये जिम्मेदारी सौंपी जाएगी वो पूरी निष्ठा के साथ देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करेगा।