एनडीए और यूपीए के इतर देश में तीसरे फ्रंट के निर्माण का सपना देखने वाले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की उम्मीदों को गहरा झटका पहुंचा है। नायडू की पार्टी टीडीपी को राज्य के लोकसभा चुनावों के साथ-साथ विधानसभा चुनावों में भी लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा है। ताजा रुझानों के अनुसार टीडीपी की मुख्य विरोधी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस 25 लोकसभा सीटों लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर ली है, जबकि टीडीपी के खाते में एक भी सीट नहीं जा पाई है। इसके अलावा राज्य के विधानसभा चुनावों के नतीजों में भी वाईएसआर कांग्रेस को भारी बढ़त मिलती दिखाई दे रही है। वाईएसआर कांग्रेस को राज्य की 175 सीटों में से वाईएसआर कांग्रेस 142 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि टीडीपी को सिर्फ 24 सीटों पर बढ़त हासिल हो सकती है। नतीजे स्पष्ट हो गए हैं और टीडीपी राज्य में हार की ओर अग्रसर है, जिसके बाद मुख्यमंत्री नायडू ने अपना इस्तीफ़ा देने की घोषणा भी कर दी है।
आपको बता दें कि नायडू ने ठीक चुनावों से पहले देश में एक तीसरे फ्रंट के निर्माण के कान्सैप्ट को सबके सामने रखा था। इसी वर्ष अप्रैल में उन्होंने कहा था ‘इन चुनावों में वर्ष 1996 जैसे नतीजे सामने आ सकते हैं जिसके बाद क्षेत्रीय दल साथ आकर एक तीसरे फ्रंट का निर्माण कर सकते हैं’। लेकिन इन चुनावों में करारी शिकस्त के बाद अब उनके सारे मंसूबों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है। भाजपा अपने दम पर सरकार बनाती दिखाई दे रही है, जिसके बाद पीएम मोदी का प्रधानमंत्री बनना अब तय माना जा रहा है।
चंद्रबाबू नायडू ने इस बात की आशा जताई थी कि इन चुनावों में कांग्रेस और भाजपा, दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों को बहुमत मिलने में मुश्किलें आ सकती हैं। जब उनसे इन चुनावों में भाजपा के संभावित प्रदर्शन को लेकर सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि भाजपा को 200 से ज्यादा सीटें मिलना इसलिए मुश्किल है क्योंकि लोगों के मन में भाजपा के खिलाफ नकारात्मकता फैली हुई है। इसके अलावा उनके खिलाफ लड़ रही मुख्य विपक्षी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा था कि वाईएसआर कांग्रेस को तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर द्वारा फ़ंड किया जाता है, इसके साथ ही उन्होंने वाईएसआर को बीजेपी की बी टीम भी बताया था। कुल मिलाकर उन्होंने राज्य के स्तर पर वाईएसआर कांग्रेस और केंद्रीय स्तर पर भाजपा के कमजोर प्रदर्शन की भविष्यवाणी की थी। हालांकि, उनका यह अनुमान पूरी तरह गलत साबित हुआ और जहां एक तरफ उनको राज्य में वाईएसआर कांग्रेस ने जोरदार पटखनी दी तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र में भाजपा सरकार आने की वजह से उनको गहरा सदमा पहुंचा।