केजरीवाल ने दिये चुनावों में हार के स्पष्ट संकेत और इसके लिए उन्होंने एक समुदाय विशेष को ठहराया जम्मेदार

केजरीवाल आप मुस्लिम

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इन आम चुनावों में अपनी हार स्पष्ट दिखाई दे रही है। यही कारण है कि, अब वे चुनाव परिणामों से हार के बहाने लेकर मीडिया के सामने आने लगे हैं। भाजपा पर ईवीएम से छेड़खानी के आरोप का बहाना शायद पुराना हो गया था इसलिए उन्होंने इस बार बहाना बनाया कि, वोटिंग से ठीक पहले दिल्ली में मुस्लिम समुदाय से एकमुश्त वोट कांग्रेस को चले गए जिससे उन्हें नुकसान होगा। दरअसल, इस आम चुनाव में आप और अन्य कईं पार्टियां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। भाजपा से अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए जूझ रही इन पार्टियों ने इन चुनावों में सबसे ज्यादा काम मतदाताओं को डराने और उन्हें गुमराह करने का किया है। अब जब दिल्ली में चुनाव हो चुके हैं तो केजरीवाल कह रहे हैं कि, ‘मतदान से 48 घंटे पहले तक ऐसा लगता था कि सभी सात सीटें AAP के पास आएंगी। लेकिन आखिरी समय में, पूरा मुस्लिम वोट कांग्रेस में स्थानांतरित हो गया। हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हुआ।’ जब केजरीवाल से यह पूछा गया कि, उनकी राय में, आम चुनावों के नतीजे क्या होंगे तो उन्होंने कहा, “अगर वे ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं करते हैं, तो मोदी जी को वापस नहीं आना चाहिए लेकिन मुझे नहीं पता कि वे ऐसा करेंगे या नहीं।

ऐसे समय में जब 2019 के आम चुनाव लगभग-लगभग खत्म हो रहे हैं और सिर्फ अंतिम चरण का चुनाव बाकी है, तो अब विपक्ष अपनी हार की स्वीकृति के संकेत देने लगा है। कांग्रेस को इस चुनाव में भी 2014 की तरह ही अपनी हार दिखती नजर आ रही है। यही कारण है कि, अब राहुल गांधी पीएम की दौड़ से हटने के संकेत दे रहे हैं। इसके बाद अब आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल का यह दावा भी साफ संकेत दे रहा है कि, दिल्ली में उनके हाथ कुछ भी नहीं लगने वाला है।

दरअसल, इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर ने केजरीवाल से पूछा था कि, दिल्ली में 12 मई को हुए लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी कितनी सीटें जीतकर लाएगी? इस सवाल के जवाब में केजरीवाल का अत्मविश्वास डगमगाता दिखाई दिया। उन्होंने कहा, ‘देखो क्या होता है। दरअसल, चुनाव के 48 घंटे पहले तक सातों सीट लग रहा था आम आदमी पार्टी को आएंगी। लेकिन ऐन वक्त पर पूरा मुस्लिम वोट कांग्रेस की तरफ चला गया। वोटिंग से एक रात पहले यह हुआ। हम लोग पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर हुआ क्या है। पूरा का पूरा मुस्लिम वोट जो है वो कांग्रेस को शिफ्ट हो गया। ये 12-13 प्रतिशत हैं।’ अब ये तो 23 तारीख को चुनावी नतीजे ही बताएंगे कि दिल्ली में केजरीवाल के हाथ कोई सीट लगेगी या नहीं लेकिन केजरीवाल की बातों से तो साफ लग रहा है कि, उनके हाथ कुछ नहीं आने वाला है।

गौरतलब है कि, इस 2019 के आम चुनाव में केजरीवाल ने एक विशेष समुदाय का तुष्टिकरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यह आप ही थी जिसने इमामों का वेतन बढ़ाने की घोषणा की थी। उन्होंने इस वेतन को 10 हजार रुपये महीने से बढ़ाकर 18 हजार रुपये करने की घोषणा की थी। अब केजरीवाल की इन हालिया टिप्पणियों से लगता है कि, इतने तुष्टिकरण के बावजूद भी वह इस वर्ग के वोट नहीं बटोर पायी।

सच्चाई तो यह है कि, आम आदमी पार्टी की राजनीति केवल और केवल उसकी महत्वकांक्षा पर ही टिकी थी। वहीं उसके हवाई चुनावी वादे अरविंद केजरीवाल की विश्वसनीयता को और निम्नतम स्तर पर ले गए। ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञ तो यह भी कह रहे हैं कि, हो सकता है यह आम आदमी पार्टी के लिए अंतिम चुनाव हो।

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