लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित किए जा चुके हैं, और एक बात तो साफ ज़ाहिर हैं कि इस बार भाजपा ने सभी समीकरण झुठलाते हुए एक बार फिर स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाते हुए 542 सीटों में से 352 से भी ज़्यादा सीटों पर विजय प्राप्त की।
जहां भाजपा ने एक बार फिर अपने दम पर बहुमत प्राप्त कर सरकार बनाने के लिए अग्रसर है, वहीं इस समय कई लेफ्ट लिबरल बुद्धिजीवी अपना मुंह छुपाते फिर रहे होंगे। पिछले एक वर्ष से कई ऐसे पत्रकार और विशेषज्ञ सामने आए, जो भाजपा के लिए काफी बेतुके भविष्यवाणी कर रहे थे। परंतु आज के प्रकाशित परिणामों ने ऐसे कई स्वयंभू विशेषज्ञों के खोखले दावों की धज्जियां उड़ा दी है।
अभी हाल ही में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस आधारित प्लैटफ़ार्म anthro.ai, जो विभिन्न चुनावों में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर चुनाव के भावी परिणाम बताने का दावा करती है, उसने चुनाव के पहले उत्तर प्रदेश में भाजपा के महज 15-20 सीट जीतने का दावा किया था, और वहीं सपा बसपा रालोद वाली महागठबंधन को 40-55 सीट जीतने की भविष्यवाणी भी की थी। उनके सह संस्थापक नरेंद्र नाग के कहा, ‘हमारे अनुसार महागठबंधन को 40-55 सीटों के बीच मिलने के आसार है । भाजपा को केवल 15-20 सीट ही मिल पायेगी। शायद वे 30 सीट तक जीत सकती हैं, पर इसके आसार बहुत कम लग रहे हैं। कांग्रेस 5-9 सीट जीत सकती हैं।“ गौर करें कि नरेंद्र नाग ने नियमित रूप से कांग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड के लिए लेख भी लिखे हैं।
आप मुखिया अरविंद केजरीवाल के साथ विवादास्पद इंटरव्यू के लिए कुख्यात पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपयी ने भी अपने चुनावी अनुमान प्रकाशित किए, जिसमें भाजपा को बिना किसी ठोस प्रमाण के महज 150 सीट मिलने का इनहोने बेतुका अनुमान लगाया। इतना ही नहीं, इस अनुमान को एमपी कांग्रेस ने बड़े शान के साथ अपने ट्विट्टर टाइमलाइन पर प्रकाशित किया था-
मुश्किल में फंसी भाजपा:
वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी जी का लोकसभा चुनाव का विश्लेषण:
बीजेपी: 145-152
कांग्रेस: 100+
गठबंधन(सपा+बसपा): 50+
टीएमसी: 35+
डीएमके: 35+
बीजेडी: 18+भाजपा के खिलाफ आएगा जनादेश..! pic.twitter.com/8VcdVGvSA3
— MP Congress (@INCMP) May 20, 2019
अगर परिणाम को देखें, तो पुण्य प्रसून वाजपेयी की भविष्यवाणी सच्चाई से कोसों दूर है। एनडीए गठबंधन ने न सिर्फ 340 से ज़्यादा सीटें जीती, बल्कि पुण्य प्रसून वाजपयी के महागठबंधन के प्रभुत्व के दावों को भी झूठ करार दिया। वर्तमान रुझानों के अनुसार महागठबंधन को महज 20 सीट पर बढ़त नसीब हुई हैं, और यह पुण्य प्रसून के अनुमानों से 150 प्रतिशत ज़्यादा गलत है।
बात यहां पर भी नहीं रुकी। प्रखर चुनावी विशेषज्ञ माने जाने वाले योगेंद्र यादव ने भी हिन्दी हार्टलैंड में भाजपा को भारी नुकसान मिलने का अनुमान लगाया था। प्रिंट में छपे उनके लेख के अनुसार, भाजपा को हिन्दी भाषी प्रदेशों अथवा हिन्दी हार्टलैंड प्रदेशों में 100 से ज़्यादा सीट गंवा सकती है। न केवल झारखंड, बल्कि उत्तर प्रदेश में भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
अब जब लेफ्ट लिबरल मीडिया इतना प्रपंच फैला रही थी, तो भला हमारे विनोद दुआ कैसे पीछे रहते? आचार संहिता की धज्जियां उड़ाते हुए उन्होंने चुनाव के बीच अपने एक्ज़िट पोल भी प्रकाशित किये, जहां भाजपा को महज 130-140 सीटें मिलने का उन्होंने अनुमान लगाया था। यह अलग बात है कि हर बार की तरह इस बार भी उनका दावा खोखला साबित हुआ।
परंतु वर्तमान परिणामों के अनुसार योगेंद्र यादव के खोखले दावे भी झूठे सिद्ध साबित हुए हैं। न सिर्फ भाजपा ने प्रचंड बहुमत प्राप्त किया, बल्कि हिन्दी हार्टलैंड कहे जाने वाले राज्यों में अप्रत्याशित बहुमत हासिल किया। ताजा रुझानों के अनुसार हिन्दी हार्टलैंड के 230 से ज़्यादा सीटों में भाजपा ने अकेले दम 190 से ज़्यादा सीट पर जीत दर्ज की है, और लेफ्ट लिबरल गैंग के लिए तो मानो अब दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।