2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित हो चुके हैं और प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा सत्ता वापसी करने में कामयाब रही है। अपने दम पर 303 सीट और एनडीए गठबंधन के रूप में साथी दलों सहित 352 सीट के अप्रत्याशित आंकड़े को भाजपा ने पार करते हुए एक बार फिर केन्द्र में सरकार बनाने का दावा पेश किया है।
जहां एक तरफ देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ता वापसी से चारों ओर हर्ष और उल्लास है, वहीं देश के कुछ स्वघोषीत ठेकेदार और लेफ्ट लिबरल गैंग के सदस्य इस विजय से अपना सुध बुध खो बैठे हैं। मोदी की विजय से ज्यादा दुख उन्हें इस बात का है कि जिस महिला पर उन्होंने ‘हिन्दू आतंकवाद’ का लांछन लगाकर कई वर्षों तक प्रताड़ित किया, वही साध्वी प्रज्ञा ठाकुर प्रचंड बहुमत के साथ उनके झूठ के पुलिंदे को तहस नहस कर हमारे देश के लोकसभा का हिस्सा बनने जा रही है। रही सही कसर पूर्व क्रिकेटर गौतम गम्भीर की जीत ने पूरी कर दी।
इन सभी में सबसे आगे रहे विवादित पत्रकार और लुट्येन्स ब्रिगेड की शान निखिल वागले। अपने ट्वीट में वे हिंदुओं को मोदी की विजय का दोषी मानते हुये लिखते कि, हम अपने मुस्लिम भाइयों के साथ मरते दम तक भारत की सेकुलरिज्म को बचाने के लिए लड़ते रहेंगे।
उनके समर्थन में नक्सल समर्थक शिक्षाविद नंदिनी सुंदर ने साध्वी प्रज्ञा का नाम लिए बिना उनकी विजय को गोडसे की नीतियों की विजय से जोड़ने का काम किया। उनके ट्वीट के अनुसार, भारत के लोग प्रेम, विकास, और सच नहीं, बल्कि द्वेष, पाकिस्तान के साथ युद्ध और हिन्दू राष्ट्र चाहते हैं।
स्वघोषीत आजादी ब्रिगेड समर्थक अभिनेता प्रकाश राज के बारे में जितना कम बोले, उतना ही अच्छा:-
इनके सुर में सुर मिलाते हुये कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा ने भी अपने विचार कुछ इस तरह पेश किये–
एनडीटीवी पत्रकार रूपा सुब्रमण्या ने एक बार फिर बेतुके आरोप लगाते हुये यह ट्वीट डाले, जहां एक बार फिर सनातनियों को मोदी को चुनने के लिए शर्मसार किया गया:-
यहां भी लेफ्ट लिबरल रुक जाते तो ठीक था। पर कुछ लेफ्ट लिबरल अपने आवेश में देश के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने से बाज़ नहीं आए। निम्नलिखित ट्वीटों से साफ ज़ाहिर है कि मोदी विरोध में ये लोग हमारे देश तक को कटघरे में लाने से बाज़ नहीं आये –
ये बिना सिर और पैर वाले ट्वीट में एक ट्वीट स्वघोषित लिबरल अशोक स्वेन ने भी किया, जहां उन्होंने हिंदुओं को मोदी को दोबारा विजयी बनाने के लिए दोषी ठहराया।
लेकिन हद तो तब हो गयी, जब कथित एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने भाजपा की विजय को ‘हिन्दू आतंकवाद की विजय’ से जोड़ने का घटिया प्रयास किया। इनके अनुसार, पहली बार कोई आतंकवाद का आरोपी संसद में कदम रखेगा। अगर ऐसी ही बात है स्वरा जी, तो क्या फूलन देवी जैसी डकैत, और मुहम्मद अजहरुद्दीन जैसे मैच फिक्सर का संसद में प्रवेश करना देश के लिए कल्याणकारी कदम था? लाखों कश्मीरी पंडितों को उनके घरों से भागने पर मजबूर के लिए अप्रत्यक्ष रूप से दोषी फारूक अब्दुल्लाह का संसद में निर्वाचित होना क्या देश के लिए शर्म की बात नहीं थी?
कुछ भी कहें, लेकिन इस लोकसभा चुनाव के परिणाम के साथ जनता ने इन स्वघोषित लिबरल के अहंकार की धज्जियां उड़ा दी है। सेकुलरिज्म के नाम पर सनातन समुदाय को जितना प्रताड़ित किया गया है, उस हिसाब से जनता ने इन्हे मुंहतोड़ जवाब दिया है। ऐसे में लेफ्ट लिबरल्स का बौखलाना लाज़मी है, पर क्या करें साहब, हुआ तो हुआ!