लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत से कांग्रेस शासित इन दो राज्यों में गिर सकती है सरकार

भाजपा कांग्रेस एग्जिट पोल

PC: Khabar State

2019 के लोकसभा चुनाव संपन्न होते ही कई मीडिया संगठनों द्वारा प्रकाशित एग्जिट पोल ने भाजपा की ज़बरदस्त वापसी की तरफ इशारा किया है। इन एग्जिट पोल्स की माने, तो भाजपा उन राज्यों में भी वापसी कर रही है, जहां पिछले वर्ष उन्हें जनता का आक्रोश झेलना पड़ा था। इन्हीं में कुछ राज्य के उदाहरण है मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़।

इतना ही नहीं, दक्षिण भारत में कर्नाटक से भी भाजपा के लिए एग्जिट पोल के अनुसार अच्छी खबर आने का अंदेशा है। अगर एग्जिट पोल की माने, तो कर्नाटक में भाजपा लोकसभा चुनाव के लिहाज से  प्रचंड बहुमत हासिल करने को पूरी तरह तैयार है। क्योंकि भाजपा अधिकांश राज्यों में मतदाताओं की पहली पसंद साबित हो रही है, इसलिए जिन राज्यों में कांग्रेस के नेतृत्व या कांग्रेस समर्थित गठबंधन सरकारें अभी मौजूद है, वहाँ पर अब सरकार गिरने का खतरा बखूबी मंडरा रहा है। इनमें प्रथम दो राज्य हैं कर्नाटक और मध्य प्रदेश जहां की जनता वर्तमान सरकार से त्रस्त है।

2018 में कई समीकरणों को झुठलाते हुये जेडीएस और कांग्रेस ने भाजपा को सबसे ज़्यादा सीटें जीतने के बावजूद न केवल सरकार बनाने से रोका, बल्कि सत्ता हासिल की अधीरता में कांग्रेस से काफी कम सीट जीतने वाली जेडीएस के नेता एचडी कुमारस्वामी को कर्नाटक का मुख्यमंत्री भी बनाया गया।  

चुनाव बाद इस गठबंधन को कई लोगों ने जनाधार के विरुद्ध समझा, क्योंकि दोनों पार्टियां चुनाव के परिणाम घोषित होने तक एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे। पर चुनाव के परिणाम निकलते ही सत्ता के लालच में इन्होंने सभी शिष्टाचार ताक पर रखते हुए एक बेमेल गठबंधन को राज़ी हुए। इसी लिए इस गठबंधन सरकार को शुरुआत से ही कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ समय में कैसे ऐसी घटनाएं घटी हैं जिससे ये भी साफ़ होने लगा है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है। जेडीएस के साथ गठबंधन तो खतरे में है ही, और अब एग्जिट पोल के नतीजों ने कांग्रेस के सिरदर्द को और बढ़ा दिया है, क्योंकि इन एग्जिट पोल के हिसाब से यूपीए गठबंधन को कर्नाटक में करारी हार नसीब होने वाली है।

 

इतना ही नहीं, एग्जिट पोल के नतीजे घोषित होते ही राज्य की कांग्रेस इकाई के अंतर्गत विद्रोह शुरू हो गया है। जहां रोशन बेग और चार अन्य कांग्रेस विधायकों ने बगावती तेवर दिखाये हैं, वहीं वर्तमान मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने विपक्षी एकता के कांग्रेसी दावों को ठेंगा दिखाते हुए मोदी विरोधी खेमे से दिल्ली में होने वाली अहम बैठक में भाग लेने से इंकार कर दिया।

कई विशेषज्ञों का यह मत है कि दोनों पार्टियों के बीच का मतभेद इस गठबंधन सरकार के लिए भी बहुत हानिकारक है, और यदि एग्जिट पोल के नतीजे 23 मई को सच साबित होते हैं, तो कांग्रेस पार्टी के साथ साथ कर्नाटक में गठबंधन सरकार पर भी गाज़ गिर सकती है।

वहीं मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस की हालत अच्छी नहीं दिख रही है। एग्जिट पोल के नतीजे निकलते ही भाजपा ने विशेष विधानसभा सत्र बुलाने का अनुरोध किया है, क्योंकि उनके अनुसार कमलनाथ की एमपी सरकार इस समय अल्पमत में है। भाजपा से 0.5% कम वोट मिलने के बावजूद गठबंधन सरकार बनाने वाली कांग्रेस सरकार विवादों में तभी आ गयी जब ज्योतिरादित्य सिंधिया को दरकिनार कर कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद तो इस राज्य में कांग्रेस सरकार के अंतर्गत प्रशासन का जो मखौल उड़ाया गया, वो किसी से नहीं छुपा है।

पिछले वर्ष हुए 230 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 114 सीट जीती थी और बीजेपी 109 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर थी। समाजवादी पार्टी को एक.. और बहुजन समाज पार्टी को दो सीट मिली। इन्हीं के समर्थन से कांग्रेस ने चुनाव पश्चात अपनी सरकार बनाई थी। पर एग्जिट पोल के नतीजों में भाजपा के समर्थन वापिस मिलने से अब इस सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है। अगर एग्जिट पोल की माने तो कांग्रेस के लिए मुसीबत और बढ़ने वाली है, क्योंकि अधिकांश एग्जिट पोल के अनुसार 2014 की तरह भाजपा अधिकांश सीटों पर विजय प्राप्त कर सकती है।

यही नहीं, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी गठबंधन से हाथ खींचने की तरफ इशारा किया था। यह इसलिए हुआ क्योंकि हाल ही में कई बसपा नेताओं को कांग्रेस अपने पाले में लाने में सफल रही है। मायावती के बयान के बाद तो अब वर्तमान सरकार के भविष्य पर भी गहरा संदेह है। बसपा के अलावा कांग्रेस के पास 117 विधानसभा सदस्य है, और अगर बसपा और सपा दोनों ने हाथ खींच लिए, तो कांग्रेस के लिए सरकार बचाना नामुमकिन तो नहीं, पर अत्यंत कठिन अवश्य होगा। 

वैसे भी कई मुसीबतों ने एक साथ मध्य प्रदेश पर पिछले छह महीनों में धावा बोला है। जहां एक तरफ राज्य पीने के पानी के अभाव से ग्रस्त है, वहीं कानून व्यवस्था की आए दिन धज्जियां उड़ाई जाती थी। कर्ज़ माफी के खोखले दावों पर सत्ता हासिल करने वाली कांग्रेस सरकार से कर्जदार किसान काफी नाराज हैं। इस भारी जनाक्रोश के चलते निर्दलीय उम्मीदवार भी कांग्रेस से दूरी बनाते हुये दिख रहे हैं, और ऐसे में भाजपा के लिए सरकार बनाने का रास्ता काफी आसान हो जाएगा।

 

जब चुनाव आयोग 23 मई को परिणाम घोषित करेंगे की तो इन दो राज्यों में राजनीतिक गहमागहमी काफी बढ़ जाएगी, और कांग्रेस के हाथ से दो महत्वपूर्ण राज्य एक बार फिर फिसल जाएंगे।

Exit mobile version