पाकिस्तान में आतंकवादी ही नहीं बल्कि मूर्खों की भी कोई कमी नहीं हैं, यह एक बार फिर साबित हो गया है। यह देश दुनिया के सामने अपनी फजीहत करवाने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ता। जब संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया और चीन ने इस बार कोई अड़ंगा नहीं लगाया तो इसे भारत की कूटनीतिक जीत के तौर पर लिया गया। हमारे देश में इस फैसले पर खुशी जाहिर की गई और पाकिस्तान के लिए इस खबर को एक तगड़े झटके की तरह देखा गया।
लेकिन, पाकिस्तान और वहां की मीडिया में कुछ अलग ही चल रहा था। एक तरफ जहां पूरी दुनिया इस फैसले को पाकिस्तान के लिए कड़ा सबक बता रही थी तो वहीं पाकिस्तान मूर्खों की तरह इस फैसले पर खुशियां मनाता दिखा। पाकिस्तानी मीडिया ने तो इस फैसले में पाकिस्तान की जीत बता दी और फैसले का क्रेडिट भी अपने देश को ही दे दिया।
दुनिया के किसी भी देश के लिए उसके नागरिक का आतंकी घोषित होना बेहद शर्मिंदगी की बात होती है लेकिन, ऐसा लगता है कि, पाकिस्तान शर्म जैसी चीजों से काफी ऊपर उठ चुका है। बता दें कि, इसी तरह साल 2011 में ओसमा बिन लादेन के रूप में पाकिस्तान का आतंकी चेहरा दुनिया के सामने आया था, जब एबटाबाद में अमेरिकी फोर्स ने लादेन को मार गिराया था और अब 2019 में मसूद अजहर के रूप में पाकिस्तान के मुंह पर कालिख पुती है।
लेकिन, इस कालिख के पीछे से भी पाकिस्तान अपने दांत चियारता नजर आया। मसूद के वैश्विक आतंकी घोषित होने पर पाकिस्तान के कई मंत्रियों ने ट्विटर पर ट्वीट्स किये और इन ट्वीट्स में उन्होंने पाकिस्तानी आवाम को यह मैसेज देने की कोशिश की कि, असल में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी राजनयिकों की जीत हुई है और उनके राजनयिक वहां भारत को कश्मीर के मामले में घरने में सफल रहे हैं। जिसके बाद से पाकिस्तान में खुशियां मनाई जा रही हैं कि कम से कम संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर की बात तो हुई। मतलब यह कि भले ही उनका नागरिक वैश्विक आतंकी घोषित हो जाए, भले पूरे विश्व में उनका देश बदनाम हो जाए लेकिन, अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर का जिक्र जरूर होना चाहिए।
Huge diplomatic win by #Pakistan against #India – baseless, political references, linking #MasoodAzhar with the legitimate Kashmiri struggle for right to self determination, removed
— Dr Mohammad Faisal (@DrMFaisal) May 1, 2019
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने एक पाकिस्तानी अफसर के हवाले से लिखा, ‘‘भारत मसूद के मामले को कश्मीर की आजादी के आंदोलन और कुछ सरकारी महकमों से जोड़ना चाहता था। वह ऐसा नहीं कर पाया और ये हमारी कूटनीतिक जीत है।’’
वहीं, ‘पाकिस्तान टुडे’ अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा, ‘‘अजहर पर बैन के बाद भी चीन ने आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के रुख को सराहा है। उसने ये भरोसा दिलाया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की मदद करता रहेगा। उसने माना है कि हमने इस जंग में काफी कुर्बानियां दी हैं।’’
Huge victory for Pak Diplomacy at the UN…as superpowers recognise #Kashmirstruggle —paradigm shift in their stance on this basic conflict shows post #Pulwama India suffered irreparable loss of reputation in the world arena.Kudos to all Pak diplomats for their tireless efforts
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) May 1, 2019
वहीं पाकिस्तानी सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी विकास मंत्री ने तो मूर्खता की हद ह पार कर दी। उन्होंने मसूद के वैश्विक आतंकी घोषित होने के बाद बयान दिया कि, बालाकोट के बाद भारत की इज्जत वैश्विक जगत में गिर गई है।
इस तरह पाकिस्तानी मीडिया और वहां के राजनेताओं ने पाकिस्तानी आवाम को देश के चेहरे पर पुती कालिख दिखाने की बजाय बरगलाने की कोशिश की। जो देश कंगाली और भुखमरी से जूझ रहा हो, आतंक का गढ़ बन चुका हो और कर्ज के बोझ तले दबा हो लेकिन, उसके बाद भी सच्चाई से मुंह मोड़ ले तो समझ लेना चाहिए कि उसका भविष्य अंधकार में है।