आजादी के बाद देश में कई सरकारें आई और गई, खूब वादे किए गए। गरीबी हटाने से लेकर, अंधकार को उजियाले में तब्दील करने तक, आम जनता को दिन में सपने दिखाये गए, हालांकि लोगों के जीवन स्तर में बेहतरी लाने की जी-जान से कभी कोई कोशिश नहीं की गई। इस सदी की शुरुआत में जब दुनिया आधुनिक विज्ञान के नए क्षेत्रों में अनुसंधान करने में जुटी थी, तो भारत के गांव तब भी उस बिजली के लिए जूझ रहे थे जिसे आजकल जीवन शैली का एक अहम हिस्सा माना जाता है। सरकारों द्वारा योजनाएं तो बहुत लाई गई, लेकिन उन्हें अंजाम देने में कभी हमारे राजनेताओं ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके अलावा नौकरशाही पर भी ऐसा कोई दबाव नहीं बनाया गया जिसके कारण वह अपने आलस को दूर करने को मजबूर हो सके, हालांकि वर्ष 2014 के बाद सब बदल गया।
पीएम मोदी की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में यह ऐलान किया कि आने वाले तीन सालों के अंदर देश के 18 हज़ार 500 गांवों को विद्युतीकृत किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना की शुरुआत की गई जिसका मकसद वर्ष 2018 तक देश के 100 प्रतिशत गांवों मे बिजली पहुंचाना था। देश में पहली बार कुछ बदलाव लाने की राजनीतिक इच्छशक्ति देखने को मिली लेकिन नौकरशाही की गाड़ी अभी भी यूपीए काल के दौर में फंसी हुई थी। हालांकि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बिजली विभाग के अफसरों को कुछ इस तरह सीधा किया कि उनकी डिक्शनरी से ‘कामचोरी’ शब्द ही गायब हो गया। इस संबंध में आज हम पीयूष गोयल की एक वीडियो का भी ज़िक्र करना चाहेंगे जिसमें आप उनको विद्युत विभाग के अफसरों को ‘करो या मरो’ का मंत्र देते हुए देख सकते हैं। वीडियो में पीयूष गोयल बिजली विभाग के अफसरों को कहते हैं ‘हम सब इस काम को एक मिशन के रूप में कर रहे हैं। 100% विद्युतीकरण और 24 घंटे बिजली, ये संवेदना से करने वाला काम है। ये ध्यान रखना ! और ये मैसेज आपके नीचे-ऊपर सब जगह पहुंच जाए विभाग में, अगर किसी ने एक रुपये की रिश्वत भी ली, चाय भी पी किसी की, तो उनको कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा। अगर आप इस नयी व्यवस्था में काम नहीं कर सकते, तो आप अपना इस्तीफा देने के लिए स्वतंत्र हैं’। पीयूष गोयल से जुड़ी ये वीडियो वर्ष 2017 की है जब केंद्र सरकार के पास उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में काफी कुछ करना बाकी था।
वर्ष 2014 में जब एनडीए सत्ता में आई थी, तो उत्तर प्रदेश के सिर्फ 50 प्रतिशत घरों में बिजली थी। हालांकि केंद्र सरकार की दृढ़ निश्चय का ही यह नतीजा निकला कि मात्र 4 सालों में राज्य के लगभग सभी जरूरत मंद घरों में सफलतापूर्वक बिजली पहुंचा दी गई। अकेले वर्ष 2016-17 में देश के 6015 गांवों का विद्युतीकरण किया गया, जो कि वर्ष 2013-14 के मुक़ाबले 5 गुना ज्यादा था। हालांकि, गांवो तक बिजली पहुंचाना लक्ष्य की ओर सिर्फ एक कदम था। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती हर घर तक बिजली पहुंचाने की थी। गरीब लोग 3 हज़ार रुपये खर्च करके बिजली कनेक्शन लेने में सक्षम नहीं थे और साथ ही उन्हे कनेक्शन लेने की प्रक्रिया की जानकारी का अभाव था। इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना यानि सौभाग्य योजना लेकर आई जिसका मकसद घर-घर तक बिजली पहुंचाना था। इस योजना के तहत लोगों को फ्री बिजली कनेक्शन वितरित किए गए जिसके नतीजे में इसी वर्ष उत्तर प्रदेश को 100 प्रतिशत विद्युतीकृत घोषित किया जा चुका है।
वर्ष 2014 से पहले भी हमारे देश में यही संसाधन थे, यही नौकरशाही थी, यही संस्थान थे और यही चुनौतियां, लेकिन जिस चीज़ की कमी थी, तो वह थी राजनीतिक इच्छाशक्ति! इसी राजनीतिक इच्छाशक्ति की बदौलत देश में लाल-फीताशाही की परंपरा को खत्म करने में मदद मिली। सरकार ने अफसरों को काम करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प दिया ही नहीं, जिसके कारण आज भारत इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने में सफल हुआ है।