अभी कुछ दिनों पहले ही पीएम मोदी ने फरवरी के महीने में भारतीय वायुसेना द्वारा की गई बालाकोट एयर स्ट्राइक को लेकर एक बड़ा बयान दिया था। उन्होंने बताया था कि स्ट्राइक वाले दिन बुरे मौसम के बावजूद उन्होंने वायुसेना को अफसरों को इस ऑपरेशन को अंजाम देने का सुझाव दिया था। अपने बयान में उन्होंने कहा था ‘स्ट्राइक वाले दिन मौसम सही नहीं था, एक्स्पर्ट्स के मन में स्ट्राइक का दिन बदलने का विचार चल रहा था। हालांकि, मैंने उन्हें सुझाया कि बादलों की वजह से हमारे लड़ाकू जहाजों को पाकिस्तानी रडार से बच निकलने में मदद मिल सकती है’। उनके इस बयान के बाद देश की वामपंथी गैंग तुरंत एक्टिव हुई और पीएम मोदी के इस बयान का मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया। क्रांतिकारी पत्रकारों से लेकर बुद्धिजीवी गैंग के लोगों ने पीएम मोदी की टेक्निकल नॉलेज पर व्यंग्य करना शुरू कर दिया। हालांकि फर्स्टपोस्ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अब यह साबित हो गया है कि पीएम मोदी का रडार प्रोसेसिंग को लेकर दिया गया बयान तर्कसंगत था।
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक रडार बादलों के बीच से किसी चीज़ भी चीज़ को भांप तो कर सकता है लेकिन बादलों और बारिश की वजह से रडार का प्रभाव बेशक कम हो जाता है। रडार तकनीक को लेकर एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका में छपे एक लेख के मुताबिक किसी रडार की जितनी ज्यादा ट्रांसमीटिंग फ्रिक्वेंसी होती है, उसपर मौसम का प्रभाव उतना ज़्यादा ही पड़ता है। खराब मौसम के समय में रडार को लगातार ट्रांसमिट होनी वाली फ्रिक्वेंसी को कम करना पड़ता है, जिसके कारण रडार की कार्यक्षमता अपने आप कम हो जाती है। आपको बता दें कि ऐसी परिस्थितियों में संपर्क स्थापित रखने के लिए संबन्धित जहाज में भी एक रडार सिस्टम काम करता रहता है, लेकिन भारतीय वायुसेना ने स्ट्राइक के समय अपने सभी जहाजों को स्टैल्थ मोड पर रखा हुआ था यानि अपने सभी जहाजों के रडार सिस्टम को बंद किया हुआ था, जिसके कारण पाकिस्तानी रडार को भारतीय जहाजों की सटीक लोकेशन पता ही नहीं लग पाई। यही कारण है कि जिस दिन भारत ने पाकिस्तान में एयरस्ट्राइक की, उससे अगले दिन पाकिस्तानी वायुसेना के एक बड़े अधिकारी ने यह बयान दिया कि अंधेरे के कारण उन्हें कुछ दिखाई ही नहीं दिया, जिसका सीधा मतलब यह है कि खराब मौसम के कारण वाकई पाकिस्तानी रडार सही से काम नहीं कर पाये थे।
पीएम मोदी के बयान के बाद पाकिस्तान के लोगों के साथ-साथ भारत में मौजूद बुद्धिजीवी गैंग ने उनकी समझ पर सवाल उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, हालांकि अब साफ है कि इस पूरी गैंग को अपना टेक्निकल ज्ञान सुधारने की जरूरत है।