चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाने वाली कांग्रेस पार्टी को प्रणब दा का करारा जवाब

प्रणब मुखर्जी चुनाव आयोग

PC: Dainik Bhaskar

लोकसभा चुनावों के नतीजों को आने में अभी एक दिन और बाकी है लेकिन उससे पहले ही विपक्षी खेमे में हलचल मच गयी है। यही नहीं विपक्षी दलों ने इवीएम के बाद चुनाव आयोग पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। इस बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चुनाव आयोग की आलोचना करने वाले सभी विपक्षी दलों को करारा जवाब दिया है।

सोमवार को मीडिया से बात करते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, “यदि हम संस्थानों को मजबूत करना चाहते हैं तो हमें ध्यान में रखना चाहिए कि ये संस्थान देश की अच्छी तरह से सेवा कर रहे हैं। यदि लोकतंत्र सफल हुआ है, यह मुख्यत: सुकुमार सेन से लेकर मौजूदा चुनाव आयुक्तों द्वारा अच्छे से चुनाव संपन्न कराने के कारण हुआ है।“ अपने इस एक बयान से प्रणब मुखर्जी ने उन सभी को जवाब दिया है जो बार बार चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे थे।

गौरतलब है कि जैसे ही लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान समाप्त होने के बाद एग्जिट पोल्स की रिपोर्ट सामने आई।। वैसे ही विपक्षी दल सक्रिय हो गया और एनडीए के पक्ष में रिपोर्ट्स को देख बौखला गया। इसके बाद सभी का इवीएम को लेकर वही पुराना राग शुरू हो गया। जैसा कि हमने पहले भी बताया था इस बार चुनाव आयोग पर भी हमला शुरू कर दिया गया। ममता बनर्जी हो या अखिलेश यादव या मायावती या हो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी। सभी चुनाव आयोग पर ‘पक्षपाती’ होने का आरोप मढ़ने लगे।

राहुल गांधी ने अपने एक ट्वीट में चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए लिखा, ‘इलेक्टोरल बॉन्ड, ईवीएम से लेकर चुनाव कार्यक्रम से छेड़छाड़, नमो टीवी, ‘मोदी की सेना’ बयान के बाद अब यह केदारनाथ में ड्रामा। चुनाव आयोग का मिस्टर मोदी और उनके गिरोह के सामने आत्मसमर्पण सब भारतीयों ने देखा है।।। चुनाव आयोग का काम सिर्फ डरना और आदर करना है और कुछ नहीं।’

इन विपक्षी नेताओं की इस घटिया राजनीति को आप क्या नाम देंगे ? जो भी कहिये लेकिन इन्हें इन्हीं की पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व राष्ट्रपति ने जरुर आईना दिखा दिया है।

सभी जानते हैं कि भारतीय निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है जिसका गठन भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से देश भर में चुनाव संपन्न करवाने के लिए किया गया था। इस बार भी चुनाव आयोग ने पूरी निष्पक्षता के साथ चुनाव संपन्न करवाए हैं। यही नहीं चुनाव को स्वतंत्र निष्पक्ष एवं भयमुक्त तरीके से संपन्न कराने के लिए व्यापक सुरक्षा बंदोबस्त किए थे। शायद यही कारण है कि भारत के किसी भी संसदीय चुनाव के मुकाबले इस बार के सात चरण में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक मतदान भी दर्ज किया गया है। इस बार कुल 91 करोड़ मतदाताओं में से तकरीबन 67.11 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाला है जबकि साल 2014 में कुल मतदान 66.40 प्रतिशत दर्ज किया गया था। बढे मतदाता प्रतिशत में चुनाव आयोग के कैंपेन की बड़ी भूमिका रही है।

आजादी के बाद से लेकर अब तक चुनावी प्रक्रिया देश में निष्पक्ष तरीके से चुनाव करवाता आया है लेकिन जबतक कांग्रेस सत्ता में थी तब तक किसी ने इसपर कोई सवाल नहीं उठाया। भाजपा के सत्ता में आते ही विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल तो  उठाये ही.. साथ ही संघीय व्यवस्था पर भी हमला किया। सीबीआई जो या सुप्रीम कोर्ट या चुनाव आयोग सभी पर लेफ्ट लिबरल गैंग समेत सभी विपक्षी दल सवाल उठाते रहे हैं। सत्ता की चाहत में अंधी हो चुकी कांग्रेस पार्टी लगातार केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए इन संस्थानों पर हमले करती रही है। लोकतंत्र के लिए खतरा बन चुके विपक्षी दलों की ये निम्न स्तर की रानीतियों को प्रणब दा खूब समझते हैं। तभी तो उन्होंने पार्टी लाइन से हटकर अपने विचार रखें हैं और आम जनता को भरोसा दिलाया है कि चुनाव आयोग आज भी निष्पक्ष है और इसमें केंद्र सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है।

जिस तरह का माहौल इन दिनों देश में है उस माहौल में प्रणब दा का ये बयान आम जनता के लिए राहत भरा तो है ही इसके साथ ही पूर्व राष्ट्रपति ने एक बार फिर से ये जता दिया है कि उनके लिए देश सबसे ऊपर है। शायद ये बात कांग्रेस के हाई कमान को भी अच्छी तरह से पता है इसी वजह से कांग्रेस पार्टी ने कभी प्रणब मुखर्जी को प्रधनामंत्री के पद पर बैठने नहीं दिया था। प्रणब दा अगर प्रधानमंत्री बनते तो वो कांग्रेस की कठपुतली बनने के लिए कभी तैयार नहीं होते। साल 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद से गांधी नेहरू परिवार और मेहनती प्रणब दा के दृष्टिकोण के बीच ये मतभेद स्पष्ट हो गए, प्रणब दा और पीएम मोदी ने पूरे तालमेल के साथ देश के लिए काम किया। पीएम मोदी ने प्रणब मुखर्जी के इस रुख का हमेशा सम्मान भी किया है।

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