प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस ट्रम्प कार्ड बनाकर मैदान में उतारा था, लेकिन वो कुछ कमाल नहीं दिखा पायीं

प्रियंका गांधी कांग्रेस

PC: royalbulletin

लोकसभा चुनाव 2019 को देखते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा को पूर्वी उत्तर प्रदेश के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। राहुल गांधी के करिश्मे के बाद अब उम्मीद ये थी कि प्रियंका गांधी शायद कांग्रेस की डूबती नैया को पार लगा देंगी। कांग्रेस पार्टी ने वंशवादी राजनीति को आगे बढ़ाते हुए गांधी परिवार की होनहार बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा को भी सक्रिय राजनीति में शामिल कर लिया।

बता दें कि प्रियंका गांधी गांधी परिवार कि एक ऐसी सदस्य हैं जो काफी समय से सक्रिय राजनीति से दूर थीं। राहुल गांधी के घटिया नेतृत्व के चलते ,कांग्रेस पार्टी गठन के बाद से अब तक अपने सबसे कमजोर पड़ाव से गुज़र रही है। कमजोरी भी ऐसी के ना जाने कब ये सुनने को मिल जाए कि ‘एक थी कांग्रेस’।

राजीव गांधी की हत्या के बाद से गांधी परिवार से कोई प्रधानमंत्री नहीं बना था। फिर अचानक से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं को आभास होता है कि गांधी परिवार में राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी वाड्रा भी हैं जो पार्टी के नेतृत्व में आ रही कमियों को पूरा कर सकती हैं।  ऐसे में राहुल गांधी को अपने अक्षमता के कारण और पार्टी में उठती मांग के कारण प्रियंका गांधी वाड्रा को सक्रिय राजनीति से जोड़ने का फैसला लेना पड़ा। इसके बाद कांग्रेस पार्टी हो या मीडिया सभी उन्हें कांग्रेस के लिए इस लोकसभा चुनाव में ट्रम्प कार्ड की तरह पेश करने लगे। प्रियंका गांधी वाड्रा को सपा और बसपा के साथ गठबंधन की बातचीत के बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश के कांग्रेस महासचिव के तौर पर नियुक्त किया गया था। ऐसा करने के पीछे का मकसद कांग्रेस को प्रदेश के महागठबंधन में शामिल करना था लेकिन स्पा-बसपा ने अपना रुख साफ़ कर दिया था कि वो कांग्रेस के बिना ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, इस गठबंधन ने कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले अमेठी और राय बरेली को छोड़ दिया और वहां अपने उम्मीदवार नहीं उतारे। यहां भी प्रियंका गांधी का राजनीति में सक्रिय होना कांग्रेस के लिए ज्यादा फलदायी साबित नहीं हुआ।

अब इसके बाद अटकलों का बाजार गर्म हो गया कि कांग्रेस पार्टी वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ प्रियंका गांधी को मैदान में उतारेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अगर प्रियंका वाड्रा पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला लेती तो उनका हारना तय था ऐसे में कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अजय राय को टिकट थमा दिया। दरअसल,  वाराणसी में महागठबंधन का उम्मीदवार भी पीएम मोदी के खिलाफ पड़ने वाली कुछ वोटों का एक बड़ा हिस्सा अपने पाले में करने की कोशिश करेगा। ऐसे में अगर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन भी यहां से चुनाव लड़ने का जोखिम उठातीं, तो उनके बुरी तरह से हारना तय था। प्रियंका गांधी की इस हार का कांग्रेस पार्टी पर बेहद जोरदार असर पड़ता। प्रियंका गांधी के पॉलिटिकल करियर पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता। राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता को लेकर पहले ही पार्टी के अंदर से आवाज़ें उठती रही हैं और प्रियंका वाड्रा को गांधी परिवार से होने की वजह से उनको कांग्रेस पार्टी में नंबर 2 की हैसियत से देखा जाता है। पिछले काफी समय से कांग्रेस भी उन्हें लाइमलाइट में रखने की कोशिश करती रही है। अब अगर इस हार से प्रियंका गांधी की छवि को नुकसान पहुंचता, तो आने वाले अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के पास कोई प्रभावशाली चेहरा ही नहीं बचेगा। यही वजह है कि प्रियंका वाड्रा को वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ाने का फैसला किया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा चुनावी रैली के दौरान बच्चों से नारे लगवाने के मामले में फंस गयी। प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में चुनाव प्रचार करने पहुंची थी जहां उनके सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कुछ बच्चों द्वारा अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया। जिसके बाद राष्ट्रीय बाल अधिकारी संरक्षण आयोग ने चुनाव आयोग से प्रियंका गांधी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। बाल आयोग ने चुनाव आयोग को शिकायत करते हुए कहा कि चुनाव प्रचार के लिए बच्चों का इस्तेमाल करना सही नहीं बताया और प्रियंका के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की। वहीं दूसरी तरफ वो एक और विवाद से घिर गयीं जब उन्होंने अपने वाराणसी दौरे के दौरान अपने गले से माला उतारकर लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर पहना दी। इससे जुड़ा वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो उनकी खूब किरकिरी हुई। रायबरेली में अपनी मां सोनिया गांधी के चुनाव प्रचार के दौरन हंसा के पुरवा गांव पहुंची और सांप से खेलने लगीं। इसके बाद एनिमल वेलफेयर बोर्ड के अधिकारी जयप्रकाश सक्सेना ने द प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल्स एक्ट और द वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत इस मामले की शिकायत रायबरेली के जिलाधिकारी से कर दी है। उधर उनके पति और परिवार पहले से भ्रष्टाचार में लिप्त होने की वजह से चर्चा में रहते ही हैं और इस बीच वो किसी न किसी विवाद की वजह से चर्चा में रहने लगी हैं। 

2019 लोकसभा चुनाव अभियान के सभी क्षेत्रों में उनके बेकार प्रदर्शन के बाद, यह साबित हो गया है कि कांग्रेस का ये ट्रम्प कार्ड भी इस पार्टी के किसी काम नहीं आया। लोग प्रियंका गांधी वाड्रा में इंदिरा गांधी की छवि को देखते हैं ऐसे में कांग्रेस को ये पूरा भरोसा था कि प्रियंका गांधी के कदम पार्टी के दिन ज़रूर फेर देंगे लेकिन अफसोस! प्रियंका गांधी भी अपने भाई नक़्शे कदम पर चल पड़ीं हैं।

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