अमेठी में जिस गांव को राहुल गांधी ने गोद लिया था, वहां कभी गये ही नहीं

राहुल गांधी अमेठी

(PC: India Today)

सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज से पांच साल पहले अमेठी के एक गांव जगदीशपुर को गोद लिया था। हालांकि, गांव के लोगों को आज भी उनका इंतज़ार है। कांग्रेस अध्यक्ष इस गांव में पिछली बार तब पधारे थे जब उन्होंने इस गांव को गोद लिया था।

कांग्रेस अध्यक्ष ने वर्ष 2014 में पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा था कि किसी एक राज्य या क्षेत्र को विकसित करने से पूरे देश की सूरत नहीं बदल सकती। उन्होंने कहा था ‘मेरे निर्वाचन क्षेत्र में 700 से ज्यादा गांव हैं। एक गांव को मॉडल बनाने से हिंदुस्तान के साढ़े 6 लाख गांव नहीं बदलने वाले’। अपने इस क्रांतिकारी बयान के बाद राहुल गांधी कभी इस गांव में नहीं दिखाई दिये। उन्होंने उस वक्त मीडिया के दबाव में आकर एक गांव को गोद तो ले लिया, हालांकि इस पूरी योजना को वे शुरू से ही नकारते आए हैं। उस वक्त राहुल गांधी ने यह कहा था कि पीएम मोदी के पास इस योजना को लेकर कोई आर्थिक नीति नहीं है। चारों तरफ से नकारात्मकता से घिरे कांग्रेस अध्यक्ष इस कदर हताश हैं कि पिछले पांच वर्षों में उन्होंने अपने गोद लिए गांव का एक दौरा-तक नहीं किया।

पीएम मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत इसलिए की थी ताकि हर लोकसभा क्षेत्र में एक गांव को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित किया जा सके। हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष ने इस योजना का इस्तेमाल भी अपनी घटिया राजनीति करने के लिए किया। उनकी इस घटिया और निम्न-स्तरीय राजनीति का खामियाजा अब जगदीशपुर गांव के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। गांव के लोग राहुल गांधी को लेकर नाराज़ भी हैं और गुस्सा भी। इसी हताशा में कुछ दिनों पहले ही ग्राम प्रधान जितेंद्र यादव ने भाजपा को जॉइन किया था। उनके मुताबिक जब राहुल गांधी ने उनके गांव को गोद लिया था तो उनको उम्मीद थी कि वे उनके गांव का कुछ विकास करेंगे, हालांकि राहुल गांधी तो उनके गांव में पधारे तक नहीं।

यादव ने कहा ‘हमारे गांव ने गांधी परिवार का सदियों से समर्थन किया है। हमने यहां से उनकी जीत को आश्वस्त किया। परंतु जब हमने अपने गांव में एक कम्यूनिटी हॉल के निर्माण हेतु राहुल गांधी को आग्रह भेजा तो उन्होंने हमारे लिए 30 सेकेंड तक का समय नहीं निकाला और हमारी विनती को बंद बस्ते में डाल दिया गया’। आगे राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि अगर वे एक गांव में ढंग से विकास नहीं कर सकते तो उनके निर्वाचन क्षेत्र में आने वाले 700 गांवों का विकास कैसे करेंगे। उन्होंने कहा ‘अगर हमारा एमपी एक गांव के लोगों की बात नहीं सुन सकता, तो वह अपने पूरे क्षेत्र के लोगों को क्या सुनेंगे? राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष तो होंगे, परंतु वे लोगों के नेता नहीं है’।

कहा जाता है कि ‘वादे तोड़ने के लिए किए जाते हैं, लगता है कि कांग्रेस अध्यक्ष भी इसी का अनुसरण करने में विश्वास रखते हैं। गांव वालों ने राहुल गांधी का इंतज़ार पूरे साल तक किया हालांकि, उनके सांसद ने उनको अपनी शक्ल तक नहीं दिखाई। साफ है कि इससे ना सिर्फ राहुल गांधी की छवि को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि उनकी प्रतिद्वंदी स्मृति ईरानी को अमेठी में और ज़्यादा मजबूती भी मिलेगी। अमेठी में इतने वर्षों के राज के बाद भी गांवो में आज कम साक्षरता एक बड़ा मुद्दा है। यही कारण है कि राहुल गांधी इन चुनावों में अपनी परंपरागत सीट अमेठी के अलावा वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं। इससे कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व क्षमता पर भी कई अहम सवाल खड़े होते हैं। राहुल गांधी अपने ही निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को खुश करने में असफल साबित हुए हैं, तो वे भला देश के लोगों को खुश करने की सोच भी कैसे सकते हैं? मौजूदा परिस्थितियां कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस में गांधी परिवार के वर्चस्व के लिए भी बहुत चिंताजनक है।

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