अनिल अंबानी ने किया खुलासा, यूपीए कार्यकाल में मिले थे 1 लाख करोड़ रुपए के ठेके

अनिल अंबानी राहुल गांधी

(PC: Jagran)

राहुल गांधी पिछले काफी समय से राफेल डील में हुए कथित घोटाले को लेकर पीएम मोदी और अनिल अंबानी पर हमलावर हैं। पिछले दिनों ही उन्होंने इंडियन एक्स्प्रेस को दिये एक इंटरव्यू में अनिल अंबानी पर यह आरोप लगाया था कि वे राजनीतिक लोगों के साथ मिलकर अपने लिए फायदे के सौदे करवाते हैं। अनिल अंबानी के साथ-साथ राहुल गांधी ने मेहुल चोकसी, नीरव मोदी और विजय माल्या पर भी राजनीतिक मिलीभागत करने का आरोप लगाया था। हालांकि, अब रिलायंस ग्रुप ने राहुल गांधी के इन आरोपों का करारा जवाब देते हुए यह कहा है कि यूपीए सरकार के 10 सालों के दौरान भी रिलायंस ग्रुप को 1 लाख करोड़ रुपये का ठेका मिला था, तो क्या वे कांग्रेस सरकार से मिलीभगत के कारण तय हुए थे? गौरतलब है कि अब तक कांग्रेस की इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

रिलायंस ग्रुप ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा ‘राहुल गांधी ने हमारे चेयरमैन अनिल अंबानी पर राजनीतिक मिलीभगत के चलते अनैतिक फायदा उठाने और बेईमान होने के आरोप लगाए हैं, ये पूरी तरह से असत्य बयान हैं। वर्ष 2004 से वर्ष 2014 के बीच कांग्रेस मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए भी रिलायंस ग्रुप को टेलिकॉम, ऊर्जा, मेट्रो, सड़क संबंधी कई क्षेत्रों में 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के सौदे मिले थे, क्या वे भी किसी राजनीतिक मिलीभगत का नतीजा था?’

आपको बता दें कि पिछले काफी समय से कांग्रेस और अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। राहुल गांधी पिछले काफी समय से राफेल डील में कथित धांधली को लेकर भाजपा के साथ-साथ अनिल अंबानी पर भी हमलावर हैं। इसी महीने फरवरी में भी राहुल गांधी ने कुछ ई-मेल्स का हवाला देकर पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वे अनिल अंबानी के लिए बिचौलिये का काम कर रहे हैं। इसका जवाब देते हुए तब रिलायंस ने कहा था कि वे जिन ई-मेल्स की बात कर रहे हैं वे राफेल डील की बजाय एक अन्य चॉपर डील से संबन्धित थीं। इसके अलावा लगातार आरोप सहने के बाद पिछले वर्ष रिलायंस ने कांग्रेस के कई नेताओं को कानूनी नोटिस भी भेजा था। नोटिस में रिलायंस ने कांग्रेस नेताओं पर 50 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान कराने का आरोप लगाया था।

यह देश का दुर्भाग्य है कि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष अपनी राजनीति को साधने के लिए देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक घरानों पर बेबुनियाद आरोप लगाने में लगे हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि अगर वह इसी प्रकार अपनी स्तरहीन राजनीति को जारी रखते हैं, तो इससे आखिर में देश को ही नुकसान होगा। बेवजह आरोपों में घसीटे जाने से किसी भी कॉरपोरेट की साख को नुकसान पहुंचता है, जिससे कि उसे निवेश पाने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। साथ ही ये औद्योगिक घराने लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। राहुल गांधी को अपने राजनीतिक अज्ञानता को छोड़कर गंभीरता का प्रदर्शन करना चाहिए।

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