लोकसभा चुनावों में करारी शिकस्त के बाद अब कांग्रेस पार्टी के अंदर ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी की हार का ठीकरा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर फोड़ते हुए उनपर पार्टी हित को नकारने का आरोप लगाया है। दरअसल, चुनाव में मिली हार के कारणों की समीक्षा के लिए कांग्रेस वर्किंग कमिटी द्वारा एक बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में राहुल गांधी ने अशोक गहलोत, कमलनाथ और पी.चिदंबरम जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर पार्टी-हित की बजाय पुत्र-हित को ऊपर रखने पर अपनी नाराजगी जाहिर की। हालांकि, खुद परिवारवाद की राजनीति की वजह से कांग्रेस के अध्यक्ष पद तक पहुंचने वाले राहुल गांधी का पार्टी के नेताओं को परिवारवाद के खिलाफ नसीहत देना अपना आप में हास्यास्पद है।
सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान राहुल गांधी काफी गुस्से में थे। राहुल गांधी ने कहा कि चंद महीनों पहले राज्य में सरकार बनाने के बनाने के बावजूद कांग्रेस को मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में करारी हार का सामना करना पड़ा है जो बेहद चिंताजनक है। उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने अपने बेटों को टिकट देने पर जोर दिया जबकि वह निजी रूप से इसके पक्ष में नहीं थे। इस संदर्भ में राहुल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम का भी नाम लिया। इसके बाद राहुल गांधी ने बैठक के समक्ष अपना इस्तीफा पेश किया लेकिन पार्टी के सभी मौजूद सदस्यों ने एकमत से उनके इस्तीफे की पेशकश को खारिज कर दिया।
आपको बता दें कि इन लोकसभा चुनावों में अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत, कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ और पी चिदंबरम के बेटे किर्ति चिदम्बरम को कांग्रेस पार्टी की ओर से टिकट दिया गया था। इन तीनों उम्मीदवारों में से अशोक गहलोत के बेटे को छोडकर बाकी दोनों उम्मीदवार जीत गए, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष का अपने वरिष्ठ नेताओं से नाराज़ होना समझ से परे है। दूसरी तरफ, पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते राहुल गांधी पर पार्टी की नैया पार लगाने का जिम्मा था, लेकिन वे अपनी अमेठी की सीट ही नहीं बचा पाये। ऐसे में राहुल गांधी द्वारा पार्टी के नेताओं पर अपनी हार का ठीकरा फोड़ना उनके दोहरे मापदंड को दिखाता है।
कांग्रेस पार्टी में परिवारवाद की राजनीति का मौजूद होना कोई नयी बात नहीं है। जवाहर लाल नेहरू से लेकर, इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक, कांग्रेस पार्टी में शुरू से ही नेहरू-गांधी परिवार का बोलबाला रहा है। पार्टी के कई काबिल नेताओं को परे रख कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को अध्यक्ष भी सिर्फ इसलिए बनाया गया क्योंकि वे गांधी परिवार से संबंध रखते हैं। हार के बाद बेशक राहुल गांधी अब आत्मचिंतन की कोशिश में लगे हों, लेकिन ये बात उन्हें भी समझनी होगी कि मात्र एक नसीहत के बल पर वे अपनी पार्टी से सदियों से चले आ रहे परिवार वाद को खत्म नहीं कर सकते।