दिल्ली विश्वविद्यालय के इन 121 शिक्षकों ने कांग्रेस पार्टी को दिया बड़ा झटका

दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षकों समर्थन

(PC: Republic TV)

कांग्रेस व उसके समर्थक तथाकथित लिबरल्स पीएम मोदी की पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर की गई टिप्पणी से बौखला गए हैं। वे इस टिप्पणी पर पीएम को घेरने की तमाम नाकामयाब कोशिशें कर रहे हैं। विडंबना यह है कि, एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पीएम मोदी पर बेबुनियाद आरोप लगाते हुए भद्दी टिप्पणियां करते रहते हैं लेकिन, उनके बारे में कोई चूं भी नहीं करता। वहीं पीएम मोदी ने राजीव गांधी के बारे में एक टिप्पणी क्या कर दी कि पूरी लेफ्ट-लिबरल गैंग बौखला गई है। दरअसल पीएम मोदी ने राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी नंबर 1 बताकर उनकी कलई खोल दी है जिस कारण कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है।

कांग्रेस समर्थित वाम-उदारवादी कबीले ने पीएम की इस टिप्पणी से स्वर्गीय राजीव गांधी को बचाने की भरपूर कोशिश की। पीएम के इस बयान के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के 200 शिक्षकों ने एक सार्वजनिक बयान जारी कर पीएम मोदी की टिप्पणी को अपमानजनक और असत्य बताया और इसकी निंदा की। शिक्षकों ने लिखा, “नरेंद्र मोदी ने स्वर्गीय राजीव जी के बारे में अपमानजनक और असत्य टिप्पणी करके प्रधान मंत्री के पद की गरिमा को गिराया है, जिन्होंने राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया है।” शिक्षकों का यह बयान पूरी तरह से राजनैतिक बयान लग रहा है। ये वही लोग हैं जो कहते थे कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में, कोई भी आलोचना से बच नहीं सकता। वही लोग अब राजीव गांधी की आलोचना सहन नहीं कर पा रहे हैं। डीयू के इन शिक्षकों का पत्र आने के बाद कांग्रेस ने इसे भुनाने में जरा भी देर नहीं लगाई।

दिल्ली विश्वविद्यालय से जब झूठ प्रबल हो रहा था तो सच कहां पीछे रहने वाला था। भारतीय प्रधानमंत्री के लिए असंयमित भाषा का प्रयोग करने वाली कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के ही 121 शिक्षकों ने एक पत्र लिखा है। दिल्ली विश्वविद्यालय ही नहीं बल्कि दिल्ली के अन्य विश्वविद्यालयों के शिक्षकों ने भी राहुल गांधी और उनकी पार्टी के खिलाफ जवाबी अभियान शुरू किया है। इसके साथ ही इन शिक्षकों ने राजीव गांधी के शासन के दौरान उनके कार्यकाल में रक्षा सौदों में हुए भ्रष्टाचार के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मोदी सरकार की प्रशंसा की।

इन शिक्षकों ने अपने पत्र में लिखा कि राजीव गांधी को भले ही भारत रत्न से सम्मानित किया गया हो और भले ही उनके पूर्वजों को भी ऐसे सम्मान दिये गए हों लेकिन संगठित भ्रष्टाचार में उनके योगदान की आलोचना करने पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। उन्होंने लिखा, ‘कांग्रेस वही पार्टी है जिसने 1984 में सिखों के नरसंहार का समर्थन किया और बोफोर्स घोटाला किया। वहीं से ही एक प्रवत्ति की शुरुआत हुई जिसका कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकारों ने अऩुसरण किया। 2 जी, कोलगेट, सीडब्ल्यूजी और स्कॉर्पीन सबमरीन जैसे घोटाले सीधे तौर पर राहुल गांधी से जुड़े हैं और ये सभी बोफोर्स परंपरा का ही किया धरा है। इसके बाद रिमोट से संचालित होने वाली मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार आयी। भोपाल त्रासदी प्रकरण में यूनियन कार्बाइड के अध्यक्ष वारेन एंडरसन को कानून से बचाने का काम भी इन्होंने ही किया है। इसके बाद के रिमोट नियंत्रित मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने गांधी के पारिवारिक मित्र ठग ओटावियो क्वात्रोची के खातों को भी रोक दिया। इस तरह यह पार्टी भ्रष्टाचार के मामलों से भरी पड़ी है। इस तरह डीयू के इन शिक्षकों का यह पत्र कांग्रेस के लिए एक बड़ा छटका है और अब पार्टी के पास इसका जवाब देने के लिए शब्द नहीं मिल रहे।

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