राजीव गांधी: भारत के अब तक के सबसे खराब प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री राजीव गांधी

PC : The Wire

लाल बहादुर शास्त्री, पीवी नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी ये वो नाम है जिनकी गिनती भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्रियों में की जाती है। लेकिन अगर बात की जाए सबसे खराब प्रधानमंत्री ट्रॉफी की तो इसके बहुत सारे दावेदार हैं। इसमें जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, वीपी सिंह, मनमोहन सिंह, एचडी देवगौड़ा और आईके गुजराल जैसे नाम शामिल किए जा सकते हैं। लेकिन इन सभी प्रधानमंत्रियों ने अपने शासन काल में कम से कम एक ऐसा काम किया था जो उनके भ्रष्ट और बड़े गलत फैसलों को कुछ हद तक ढक देता है।

चूंकि जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री थे उनके पास काम करने की गुंजाइश बहुत थी। वहीं आईआईटी और विश्वविद्यालयों और 1971 के युद्ध के लिए इंदिरा गांधी की प्रशंसा की जाती है। वी.पी. सिंह पहले ही कांग्रेस का साथ छोड़ चुके थे, पार्टी में गुजराल और देवगौड़ा के ज्यादा समय तक पद पर नहीं रहे इन सबके बाद बचे हमारे प्यारे ‘मौनमोहन सिंह’ जिनका का सबसे बड़ा गुनाह यह था कि वह गांधी परिवार के हाथ की एक कठपुतली मात्र थे।

खैर, अब आते हैं राजीव गांधी पर, वह नाम जो लगभग हर सरकारी योजनाओं, ब्रिज, एयरपोर्ट और निश्चित रूप से कांग्रेस के घोषणा पत्रों में पाया जाता है। ऐसा कह सकते है कि यदि राजीव गांधी की उपलब्धियों का गिना जाए तो बहुत ही कम हैं और यदि उनकी विफलताओं को लिखा जाए तो पूरा ग्रंथ छापा जा सकता है। आइये उनकी इन ही उपलब्धियों पर एक नज़र डालते हैं।

राजीव गांधी के नाम पर देश में 16 योजनायें हैं। राजीव आवास योजना, राजीव गांधी उद्यमी मित्र योजना, राजीव गांधी पंचायत शक्तिकरण अभियान, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, एसटी छात्रों के लिए राजीव गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप, उनमें से कुछ योजनायें हैं। कांग्रेस ने हमेशा से ही राजीव गांधी के नाम को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वो एक मोका नहीं छोडती राजीव गांधी और इन्दिरा गांधी के नाम पर वोट मांगने का क्योंकि इनके अलावा कांग्रेस के पास कुछ है भी नहीं।

अब बात करते हैं राजीव गांधी के देश के प्रधानमंत्री रहते हुए कई ऐसी ऐतिहासिक घटनाओं की जिसकी वजह से राजीव गांधी को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इसमें सबसे पहले नाम आता है भोपाल गैस त्रासदी का जो यकीनन ही भारत की और दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी कहा जा सकता है। इसके मुख्‍य आरोपी वारेन एंडरसन की भी अब मौत हो चुकी है। लेकिन वारेन एंडरसन राजीव गांधी का दोस्त था। ऐसा कहा जाता है कि यूनियन कार्बाइड के मालिक और भोपाल गैस त्रासदी के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन राजीव गांधी की मदद से ही देश से भागने में सफल हुआ था। कहा जाता है कि उस समय वारेन एंडरसन भोपाल से दिल्‍ली भेजने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही अर्जुन सिंह को फोन किया था। जिस प्रधानमंत्री के लिए अपनी देश से बड़ी दोस्ती हो उनकी काबिलियत पर शक होना लाज़मी है।

बात अगर करें देश के सबसे बड़े घोटाले कि तो राजीव गांधी ने अपनी पत्नी सोनिया गांधी और उनके इटालियन सहयोगियों के साथ मिलकर बोफोर्स घोटाले को अंजाम दिया। जी हां, वही बोफोर्स घोटाला जिसके इल्जाम राजीव गांधी पर लगते रहे हैं। बोफोर्स तोपों की खरीद में दलाली का खुलासा अप्रैल 1987 में स्वीडन रेडियो ने किया था। स्वीडन रेडियो के मुताबिक स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने भारतीय सेना को अपनी 155 एमएम होवित्जर तोपें बेचने के लिये कमीशन के रूप में 60 करोड़ रुपए राजीव गांधी समेत कई कांग्रेस नेताओं को दिए थे। स्वीडन के पूर्व पुलिस चीफ स्टेन लिंडस्ट्राम ने बोफोर्स दलाली मामले के दस्तावेज लीक किये तो तब जाकर ये मामला बाहर आया। बोफोर्स मामले में भी एक मोहरा इटली का बिचौलिया ओतावियो क्वात्रोकी था। ये भी कहा जाता है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री ने 1987 के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में अपने मनमाफिक फार्रुख अब्दुल्ला की सरकार बनवाने के लिए चुनावों में बड़े स्तर पर गड़बड़ियां करवाईं थीं।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री  ने एक और फैसला लिया जिससे वो अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की रणनीति को एक नए स्तर पर ले गए। दरअसल, उन्होंने मुस्लिम पादरियों को खुश करने के लिए मुस्लिम महिलाओं के मूल अधिकारों को छीन लिया, मुस्लिम महिलाओं के उस क़ानूनी हक़ को छिन लिया गया जिसमें वो तलाक के बाद अपने शोहर से गुजारा भत्ते कि मांग कर सकती थी। राजीव गांधी की तत्कालीन सरकार ने शाहबानो केस में 1985 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। 1986 में राजीव गांधी ने मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 1986 पारित किया जिसके तहत शाहबानो को तलाक देने वाला पति गुजारा भत्ता के दायित्व से मुक्त हो गया था।

उनकी माँ इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली और आसपास के जगहों पर 1984 के सिख-हिन्दू दंगों में 8000 से अधिक सिखों की हत्या कर दी गई थी। न जाने कितने लोगों ने अपनी जान गवाई और न जाने कितनों को अपना देश छोडना पड़ा जिसके बाद उन्होंने एक टिप्पणी की थी उन्होने कहा था कि ” जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है।” जैसे मानो वो इशारा कर रहें हो कि इन्दिरा गांधी कि हत्या के बाद भड़के दंगे जायज थे।

एक और फैसला राजीव गांधी द्वारा लिया गया जिसमें लिट्टे संकट के बीच राजीव गांधी ने श्रीलंका में 100,000 से अधिक भारतीय सैनिकों को भेजा जाना था। शांति सैनिकों के रूप में श्रीलंका गए करीब 1500 भारतीय सैनिकों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी। भारतीय सेना को लिट्टे को खत्म करने के लिए भेजा गया था और इतना बड़ा फैसला उन्होनें बिना अपने मंत्रिमंडल को बताए किया था। बाद में लिट्टे संगठन द्वारा ही राजीव गांधी की हत्या कर दी गई।

यह कुछ ऐसी घटनाएं थीं जो भारतीय इतिहास में कभी भी भुलाए नहीं जा सकते। इन सभी फैसलों को देख कर ये पता चलता है कि देश ने नेहरू गांधी परिवार के खराब नेतृत्व को आज़ादी से लेकर अब तक झेला और उनके द्वारा किए गए फैसलों को आज भी भुगत रहे है।

राजीव गांधी का देश में प्रधानमंत्री कार्यकाल अक्षमताओं, गलत फैसलों और घोटालों से परिपूर्ण है। हाल ही में पीएम मोदी ने यूपी की एक रैली में कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा था, ‘आपके पिताजी को मिस्टर क्लीन कहा जाता था लेकिन उनका जीवन एक नंबर वन भ्रष्ट नेता के तौर पर खत्म हो गई।‘

अगर इन सभी घटनाक्रमों को देखें तो साफ़ है कि भले हो इतिहास के पन्नों में राजीव गांधी को एक बेहतर प्रधानमंत्री  के रूप में चित्रित करता है लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है।

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