क्या रवीश कुमार आधिकारिक रूप से महागठबंधन में शामिल हो गए हैं?

रवीश कुमार महागठबंधन मायावती

क्या रवीश कुमार महागठबंधन के हिस्सा बन गए हैं? क्या मायावती और अखिलेश ने उन्हें अपने पाले में मिला लिया है? जनता यह सवाल आज सोशल मीडिया पर पूछ रही है। जनता यह सवाल इसलिए पूछ रही है क्योंकि, रवीश ने खुद उन्हें यह पूछने का मौका दिया है।

दरअसल, मंगलवार को उत्तर प्रदेश के जौनपुर में सपा-बसपा गठबंधन की जॉइंट रैली हुई थी। इस दौरान अखिलेश यादव और मायावती ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला। लेकिन, इस रैली में खास बात यह थी कि, एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार भी अखिलेश यादव और मायावती के साथ मंच पर उपस्थित थे। फिर क्या https://www.jansatta.com/trending-news/journalist-ravish-kumar-seen-in-sp-bsp-akhilesh-mayawati-joint-rally-jaunpur-on-dais-social-media-users-trolls-him/1006249/था। रैली को कवर करने गए मीडियाकर्मियों ने मंच पर खड़े एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार की तस्वीर भी अपने कैमरे में कैद कर ली, जो कि अब तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

सोशल मीडिया में वायरल हो रही इस फोटो में साफ नजर आ रहा है कि मंच पर लगे सोफे पर बसपा सुप्रीमो मायावती बैठी हुई हैं और अखिलेश यादव भाषण दे रहे हैं। वहीं मायावती के पास ही रवीश कुमार हाथ बांधे खड़े हुए है।

जैसे ही यह तस्वीर सोशल मीडिया पर पहुंची, यह तुरंत वायरल हो गई। लोगों ने रवीश कुमार पर तरह-तरह के सवाल उठाने शुरू कर दिए। रवीश इस फोटो को लेकर जमकर ट्रोल हुए। ट्वीटर पर एक यूजर ने लिखा, “महागठबंधन के इस कर्मठ कार्यकर्ता को पहचाना? कुर्सी ना मिलने से नाराज़ ज़रूर हैं, पर रैली में किस-किस जाति के लोग आए हैं वो पता करने का काम इनके ज़िम्मे हैं।” कुछ यूजर्स ने लिखा कि आज से रवीश कुमार आधिकारिक रूप से महागठबंधन का हिस्सा बन गए हैं। वहीं कुछ यूजर्स ने तो रवीश को मंच पर कुर्सी न मिलने को लेकर ही सवाल खड़े कर दिए।

दरअसल, रवीश कुमार इस चुनावी समय में सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ कुछ ज्यादा ही मुखर हो गए हैं और विपक्षी नेताओं के साथ ऐसे व्यवहार कर रहे हैं जैसे चुनाव में उनके सहयोगी हों। हाल ही में एनडीटीवी के शो अखिलेश ने एक पत्रकार को मारने तक की बात कह दी थी उसके बावजूद भी रवीश ने अखिलेश के बयान पर आपत्ती नहीं जताई। दरअसल, एक पत्रकार ने पहले कभी अखिलेश को औरंगजेब कह दिया था जिस पर अखिलेश ने कहा था, “मेरी गलती है कि मैंने दिल्ली से लखनऊ बुलाकर पत्रकार को कहा कि मुझे औरंगजेब लिखने के लिए तुम्हें जितने पैसे मिले, उससे दोगुना मुझसे ले लेते।” अखिलेश बोले, “मुझसे यही गलती हो गई। मुझे भी औरंगजेब की तरह तलवार निकालनी चाहिए और उस शख्स को उसी समय खत्म कर देना चाहिए।” इसके बाद रविश कुमार ने अखिलेश की गलती पर प्रकाश डालने की जगह उनका बचाव किया था और आगे का सेशन निधि को जारी रखने को कहा था। यही अकेला वाकया नहीं है बल्कि ऐसे कई वाकये हैं जब रवीश प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से विपक्षी नेताओँ का समर्थन करते नजर आए हैं। यही कारण है कि, इस फोटो के कारण अब उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है।

जब फोटो वायरल होने लगी तो रवीश कुमार ने भी फेसबुक पर इसे लेकर सफाई दी। उन्होंने लिखा, “कुछ लोगों को काम नहीं है। आज यूपी में अखिलेश यादव के साथ कैंपेन ट्रेल कवर कर रहा था। उनके हेलीकाप्टर में और रैलियों में। मंच पर भी गया। देखने की कि नेता के भाषण का रेस्पांस है। अब उसे ऐसे घेर कर बता रहे हैं कि मुझे बैठने की कुर्सी नहीं दी गई। थोड़ा लेवल बढ़ाओ भाई। वैसे कुर्सी दी गई थी लेकिन मै बैठने नहीं फ़ोटो खींचने गया था।”

रवीश की यह बात समझ से परे लग रही है कि, वे मंच पर फोटो खींचने गए थे। पहली बात तो यह कि उनके हाथ में कोई कैमरा नहीं दिखाई दे रहा है। दूसरी यह कि क्या एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार को संस्थान द्वारा कोई कैमरामेन भी उपलब्ध नहीं कराया जाता है जो वो मोबाइल से फोटो खींचने मंच पर गए। यह हैरत करने वाली बात है। रवीश आपकी सफाई जनता के गले नहीं उतर रही। जनता का सवाल अब भी बरकरार है- क्या आपने महागठबंधन ज्वाइन कर लिया है या करना चाहते हो?

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