मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड को भारत की सबसे बड़ी कंपनी होने का ताज आखिर मिल ही गया। राजस्व, कमाई और मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर रिलायंस अब देश की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि रिलायंस ने एक पब्लिक सेक्टर कंपनी यानि इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन को पीछे छोड़ पहले स्थान को प्राप्त किया है। वित्त वर्ष 2018-19 में इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन ने जहां 6 लाख 17 हज़ार करोड़ रुपये का टर्नओवर रिकॉर्ड किया तो वहीं रिलायंस का टर्नओवर 6 लाख 23 हज़ार करोड़ रहा। इसका मतलब यह है कि रिलायंस कंपनी का टर्नओवर अब पंजाब राज्य की कुल जीडीपी से ज़्यादा हो गया है। वर्ष 2019 में पंजाब की जीडीपी सिर्फ 5 लाख 77 हज़ार करोड़ रुपये थी। अगर जीडीपी के लिहाज से रिलायंस कंपनी की तुलना अलग-अलग भारतीय राज्यों के साथ की जाए, तो रिलायंस को 13वां स्थान मिलेगा।
टेलिकॉम और रिटेल सुविधा संबंधी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की वजह से पिछले वर्ष रिलायंस कंपनी ने बड़ी तेजी से विकास किया। कंपनी का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन 8 लाख 52 हज़ार करोड़ रुपये हैं जो कि दूसरे स्थान पर आने वाली कंपनी टीसीएस से लगभग 65 हज़ार करोड़ ज़्यादा है। मुनाफे के लिहाज से भी रिलायंस कंपनी देश की सबसे बड़ी कंपनी बनकर उभरी है। रिलायंस कंपनी ने इस वित्तीय वर्ष लगभग 40 हज़ार करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया जबकि इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन ने सिर्फ 17 हज़ार करोड़ रूपये का मुनाफा हासिल किया था। एक दशक पहले, रिलायंस कंपनी का आकार आईओसी के मुक़ाबले सिर्फ आधा था, लेकिन डिजिटल क्षेत्र में नई सफलताओं के बाद कंपनी को अपार सफलता हासिल हुई जिसके कारण अब रिलायंस ने आईओसी को भी पीछे छोड़ दिया है।
वर्ष 2007 में अंबानी भाई अलग हुए और मुकेश अंबानी को रिलायंस इंडस्ट्रीज़ दी गई। उनके कार्यकाल के दौरान कंपनी ने 14 प्रतिशत की दर से विकास किया, जबकि इसी दौरान आईओसी की विकास दर सिर्फ 6.3 प्रतिशत रही। हैरानी की बात तो यह है कि कंपनी के रेविन्यू में पिछले वर्ष 44 फीसदी का विकास देखने को मिला, जो कि इतनी बड़ी कंपनी के लिए वाकई बहुत बड़ी बात थी।
रिलायंस कंपनी की इस सफलता के पीछे मुकेश अंबानी का कुशल नेतृत्व माना जाता है। वे हर बड़े प्रोजेक्ट में खुद दिलचस्पी लेकर अपनी रणनीति को अंजाम देने में विश्वास रखते हैं। उन्होंने देश के कई बड़े प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक पूरा किया, जिसमें 15 हज़ार करोड़ की लागत से जामनगर में बना रिलायंस पेट्रोलियम प्लांट शामिल था। वे आमतौर पर मीडिया से कम बातचीत करते हैं और बाज़ार में अपनी मोनोपोली स्थापित करने में विश्वास रखते हैं।
व्यवसाय के शुरुआती दिनों में उन्होंने धागे बनाने के व्यवसाय में अपनी कंपनी की मोनोपोली स्थापित की, अब टेलीकॉम के क्षेत्र में भी उन्होंने उसी रणनीति को आगे बढ़ाया है। उनकी बेहतरीन रणनीति की वजह से उनकी रिलायंस की सहयोगी कंपनी जियो कुल टेलीकॉम बाज़ार के 20 प्रतिशत हिस्से पर अपना कब्जा कायम करने में सफल हो गई। मुकेश अंबानी के दोस्त और प्रतिद्वंदी उनका वर्णन करने के लिए दो शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, और वो हैं ‘जुनूनी और क्रूर’।