कांग्रेस को अब तक भी नहीं हैं सिख दंगों का पश्चाताप, इसे बड़े कांग्रेसी नेता ने कहा- ‘अब क्या है 1984 का? हुआ तो हुआ’

कांग्रेस 1984 पित्रोदा

PC : aajtak

ऐसा लगता है कि, कांग्रेस को अभी तक भी 1984 के सिख दंगों का पश्चाताप नहीं है। इंडियन ओवेरसीज़ कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने अपने एक बयान से फिर एक बार इस बात को स्पष्ट कर दिया है। पीएम मोदी के एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए गांधी परिवार के करीबी कांग्रेसी नेता सैम पित्रोदा ने कुछ ऐसा कहा जिसे सुनने के बाद सिख दंगों के पीड़ितों के परिवार जनों को भारी पीड़ा पहुंचेगी। दरअसल, दिल्ली में अपनी रैली के दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा था कि सिख दंगों पर जवाब कौन देगा। पीएम के इसी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पित्रोदा ने कहा ‘अब क्या है 84 का? आपने क्या किया पांच साल में उसकी बात करिये, 84 में जो हुआ वो हुआ, आपने क्या किया’। सैम पित्रोदा के इस बयान के बाद कांग्रेस पार्टी अब विवादों में घिरती नज़र आ रही है।

आपको बता दें कि दिल्ली के रामलीला मैदान में एक चुनावी सभा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने सिख दंगों के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा था। सभा के दौरान पीएम मोदी ने कहा था ‘इन्हें अपने पूर्वजों के नाम पर वोट तो चाहिए, लेकिन जब उन्हीं के कारनामे खंगाले जाते हैं तो इन्हें मिर्च लग जाती है’। इसके बाद पीएम मोदी ने सिख दंगो का ज़िक्र किया जिसने कांग्रेस को सबसे ज़्यादा पीड़ा पहुंचाई। उन्होंने कहा ‘कांग्रेस को बताना पड़ेगा कि 1984 के सिख दंगों का हिसाब कौन देगा? कांग्रेस को बताना पड़ेगा कि सिख दंगों से जुड़े लोगों को सीएम बनाना कौन सा न्याय है? कांग्रेस ने जो देश के साथ अन्याय किया, हम उसे कम करने की कोशिश कर रहे हैं। तीन दशक बाद 1984 के दंगों के आरोपी सलाखों के पीछे पहुंचे हैं। हमने बीते पांच वर्ष में सत्ता के दलालों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इन्होंने जनपथ को दलालों का पथ बना दिया था।’

जब मीडिया ने पीएम मोदी के इस बयान पर सैम पित्रोदा से प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने कहा ‘पीएम मोदी हर रोज झूठ बोलते हैं। आज हमारे पर झूठ बोला, कल आप पर झूठ बोला और आप झूठ का प्रचार करते रहते हैं। अब क्या है 84 का? आपने क्या किया पांच साल में, उसकी बात करिये। 84 में हुआ तो हुआ’। सैम पित्रोदा के इस बयान को सुनकर आपको ऐसा लगेगा मानो वर्ष 1984 की सिख दंगो की घटना कोई मामूली सी घटना हो! हालांकि, यह बात जगजाहिर है कि सिख दंगों को देश के इतिहास पर एक धब्बे के रूप में देखा जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के इन दंगों के दौरान हजारों सिखों का कत्लेआम हुआ था जिनमें से 3 हज़ार लोग दिल्ली के रहने वाले थे।

देश की सबसे पुरानी पार्टी का सिख दंगों के पीड़ितों के प्रति बड़ा अमानवीय व्यवहार रहा है। सिख दंगो के बाद देश में कई बार कांग्रेस की सरकारें सत्ता में आई लेकिन कभी पीड़ितों को न्याय दिलाने की कोशिश नहीं की गई। न्याय तो छोड़िए, सिख दंगों को भड़काने के आरोपियों को कांग्रेस पार्टी ने उल्टा रिवार्ड देने का काम किया। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ पर भी सिख दंगों में एक अहम भूमिका निभाने के आरोप लगते रहे हैं, हालांकि, कांग्रेस ने उनको मुख्यमंत्री पद से नवाजने में जरा भी शर्म महसूस नहीं की। मोदी सरकार आने के बाद पहली बार सिख दंगा पीड़ितों को न्याय मिला। पिछले वर्ष दिसंबर में दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन सिंह को उम्र कैद की सजा सुनाई थी, जिस पर सिख दंगों के दौरान 5 सिखों की हत्या करने में शामिल होने का आरोप था। कांग्रेस के नेता आज बेशक इतिहास को भूलकर अपनी राजनीतिक विचारधारा को आगे बढ़ाने में लगे हों, लेकिन लोकतन्त्र में मुद्दे कोई राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि देश के वोटर्स तय करते हैं। कांग्रेस को सिख दंगों के आरोपियों को लेकर अपना दृष्टिकोण आज ही स्पष्ट करना चाहिए, और यह भी जवाब देना चाहिए कि कांग्रेस के इतने वर्षों के शासन के दौरान उन्हें न्याय दिलाने की ईमानदार कोशिश कभी क्यों नहीं की गई। सेम पित्रोदा का यह बयान घोर निंदनीय है। यह लोकतंत्र पर कांग्रेस के एक काले धब्बे के समान है।

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