अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को करारी शिकस्त देने के बाद भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने अब कुछ ऐसा किया है कि एक बार फिर पूरे देश में उनकी सराहना की जा रही है। दरअसल, रविवार को यह खबर आई थी कि अमेठी के बरौली गांव के पूर्व मुखिया सुरेन्द्र सिंह सिंह की कुछ अज्ञात लोगों द्वारा हत्या कर दी गई है। सुरेन्द्र सिंह स्मृति ईरानी के बेहद करीबी माने जाते थे, और इन लोकसभा चुनावों में उन्होंने ईरानी के लिए प्रचार भी किया था। उनकी हत्या की खबर मिलते ही, ईरानी फौरन अमेठी पहुंची और पीड़ित परिवार से मुलाक़ात की। यहां तक कि उन्होंने अपने दिवंगत साथी की अर्थी को कंधा भी दिया। इन भावुक तस्वीरों के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर उनको काफी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिल रही है। https://twitter.com/ANI/status/1132594095334076416
सुरेन्द्र सिंह के परिवार ने हत्या के पीछे राजनीतिक मंशा होने का संदेह जताया है। सुरेन्द्र सिंह के बेटे ने मीडिया से बातचीत में बताया ‘मेरे पिता भाजपा के लिए 24 घंटे प्रचार किया करते थे और उनके बूथ से भाजपा को अच्छी संख्या में वोट मिले थे। जब स्मृति ईरानी यहां से जीत गई तो उन्होंने विजय यात्रा भी निकली थी। मुझे लगता है कि कुछ कांग्रेस समर्थकों को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया । मुझे कुछ लोगों पर शक भी है। https://twitter.com/ANINewsUP/status/1132516449790992384
स्मृति ईरानी ने वहां पहुंचकर जिस तरह पीड़ित परिवार को सांत्वना पहुंचाई, वह वाकई दिल को छू लेने वाला है। स्मृति ईरानी ने पीड़ित परिवार को विश्वास दिलाया कि दोषियों को फांसी दिलाने के लिए अगर उन्हें सुप्रीम कोर्ट भी जाना पड़ेगा, तो वे इससे परहेज नहीं करेंगी। मुश्किल वक्त में अपने कार्यकर्ता के साथ खड़े होकर उन्होंने अन्य राजनीतिक दलों के सामने एक अनुसरणीय उदाहरण पेश किया है। अक्सर देखा जाता है कि चुनावों के बाद नेता अपने कार्यकर्ताओं के साथ-साथ अपने निर्वाचन क्षेत्र को भी भूल जाते हैं। अमेठी के लोगों ने नेताओं के इस रवैये को काफी करीब से देखा है। राहुल गांधी वर्ष 2004 से इस सीट से सांसद बनते आए हैं और कभी उन्होंने यहां के लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझा।
अमेठी के लोग खुद राहुल गांधी को ‘गेस्ट हाउस के नेता’ मानते हैं क्योंकि उन्होंने कभी गेस्ट हाउस के बाहर आकर अमेठी के लोगों से मुलाक़ात ही नहीं की। अमेठी के विकास को लेकर राहुल का रुख इतना निराशाजनक रहा कि आदर्श ग्राम योजना के तहत जिस जगदीशपुर गांव को उन्होंने गोद लिया था, राहुल गांधी ने अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान उस गांव का दौरा तक नहीं किया।
अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पर सबसे लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहा है। वर्ष 1980 से लेकर 1996 और वर्ष 1999 से लेकर अबतक कांग्रेस का गढ़ है। पूर्व प्रधानमंत्री के बड़े बेटे संजय गांधी ने इस संसदीय क्षेत्र का प्रत्निधित्व किया था लेकिन उनकी विमान दुर्घटना ने मृत्यु के बाद उनके भाई राजीव गांधी ने 1991 तक अमेठी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने इस संसदीय क्षेत्र का 1999 से 2004 तक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। अब सोनिया गांधी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस तरह से अमेठी का प्रतिनिधित्व नेहरू-गांधी परिवार द्वारा सालों से किया जाता रहा है, लेकिन इस साल के चुनावों में स्मृति ईरानी ने अपने विकासवादी एजेंडे को आगे रखकर अमेठी के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की जिसमें वे पूरी तरह कामयाब हुई। उनके लोगों से जुडने के इसी अंदाज की वजह से अमेठी की जनता ने उनपर अपना विश्वास जताया है।