लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं और इसी के साथ एक बार फिर नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के लिए पूरी तरह तैयार है। 7000 से ज़्यादा मेहमानों को 30 मई को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के लिए निमंत्रण भेजा गया है, जिसमें बिम्सटेक समूह के देशों के राजनेताओं को, बंगाल में चुनावी हिंसा में मारे गए 51 कार्यकर्ताओं के परिवारजनों को भी शामिल किया गया है।
लेकिन यहां एक नाम जो नदारद है, वो हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान का नाम है। पिछली बार के मुक़ाबले इस बार एनडीए सरकार ने पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान को निमंत्रण देने से ही इनकार कर दिया है। यह इसलिए भी काफी दिलचस्प है, क्योंकि पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बिम्स्टेक समूह के सभी देश आ रहे हैं, जिसमें बांग्लादेश भी शामिल है।
गौरतलब है कि फरवरी में हुए पुलवामा हमले के बाद से भारत ने पाक से लगभग सभी तरह के संबंध तोड़ लिए। कूटनीतिक हो या सांस्कृतिक, भारत ने काफी हद तक पाकिस्तान को पूरी दुनिया से अलग थलग रखने में सफलता प्राप्त की है। इसीलिए इमरान खान को प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह का निमंत्रण भेजने से ठुकराना इसी कड़ी में नया कदम प्रतीत होता है।
ऐसा लगता है कि पाक इस बेरुखी से बुरी तरह तमतमाया हुआ है। जियो न्यूज को दिए गए साक्षात्कार में वर्तमान विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यह कहा, “कश्मीर मसले पर बातचीत के लिए एक मुलाक़ात निकालना, और साथ ही साथ सियाचिन और सिर क्रीक के मसलों का समाधान ढूंढना इस शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने से ज़्यादा मुनासिब होगा।
उन्होंने आगे यह भी कहा कि “उनका (प्रधानमंत्री मोदी) समूचा ध्यान (चुनाव प्रचार के दौरान) पाकिस्तान पर निशाना साधने में रहा. उनसे यह उम्मीद करना सही नहीं होगा कि वह इस विमर्श से (जल्दी) बाहर आएं।“
इस बयान से साफ पता चलता है की पाकिस्तान को भारत की मौजूदा बेरूखी से कितना गहरा आघात है। पुलवामा हमले के बाद जिस तरह से भारत ने पाकिस्तान को पूरी दुनिया से अलग-थलग किया है, उससे इस देश पर गहरा आर्थिक संकट मंडरा रहा है। चाहे वो सब्जी हो, या सीमेंट, हर आवश्यक वस्तु के दाम पाकिस्तान में आसमान को छू रहे हैं। और तो और, बालाकोट, चकोठी एवं मुज़फ्फ़राबाद में स्थित जैश ए मुहम्मद के कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की सच्चाई भी दुनिया के सामने पेश कर दी।
ऐसे में यदि भारत पाकिस्तान को पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में बुलाने से ही इनकार कर देता है, तो यह भारत की कूटनीति का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम आशा करते हैं कि पाकिस्तान के हुक्मरानों को अपनी गलतियां जल्द समझ में आए और वे अविलंब अपने मुल्क पर आए संकट के निवारण के लिए कठोर से कठोरतम कदम उठाए।