लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन को एक और बड़ा झटका लगा है। वाराणसी से सपा ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बीएसएफ के बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव को उतारा था। जिनके नामांकन को निर्वाचन आयोग ने रद्द कर दिया है। दरअसल, निर्वाचन आयोग ने तेज़ बहादुर यादव के नामांकन पत्रों में बीएसएफ से बर्खास्त किए जाने के संबंध में अलग-अलग जानकारी दिये जाने को लेकर 2 नोटिस जारी किये थे, लेकिन तेज़ बहादुर अपने नामांकन पत्रों में अलग अलग जानकारी देने के संबंध में कोई संतुष्ट जवाब नहीं दे सके, जिसके बाद उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई।
गौरतलब है कि जिला निर्वाचन अधिकारी ‘सुरेन्द्र सिंह’ द्वारा यादव को बीएसएफ़ से बर्खास्त किए जाने के संबंध में दो नामांकन पत्रों में अलग अलग जानकारी देने पर नोटिस देकर 24 घंटे के भीतर अनापत्ति पत्र लेकर प्रस्तुत होने के आदेश दिये थे। जवाब तलब किये जाने के दौरान सामने आया कि, तेजबहादुर यादव ने अपने पहले हलफनामे में बताया था कि ‘भ्रष्टाचार के आरोप के चलते सेना से उन्हें बर्खास्त किया गया है। लेकिन, दूसरे हलफनामे में वे अपनी बात से मुकरते दिखे।
वहीं जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से तेजबहादुर को ये आदेश जारी हुए थे कि, वे बीएसएफ से वह प्रमाणपत्र लेकर आए जिसमें ये साफ लिखा हो कि उन्हें बीएसएफ से क्यों बर्खास्त किया गया था। यह पत्र उन्हें 1 मई सुबह 11 बजे तक जमा करना था। लेकिन तेज़ बहादुर द्वारा समय पर यह पत्र नहीं प्रस्तुत किया गया।
आपको बता दें कि 9 जनवरी 2017 को तेज बहादुर यादव का एक विडियो देश भर में तेज़ी से वायरल हुआ था। इस विडियो में उन्होंने सेना को परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठाया था। इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस पर गृह मंत्रालय और बीएसएफ़ से रिपोर्ट तलब की थी लेकिन जांच पूरी होने से पहले ही तेज बहादुर ने बीएसएफ़ से इस्तीफा दे दिया, जिसे अस्वीकार कर दिया गया। इसके विरोध में तेज बहादुर राजौरी मुख्यालय में भूख हड़ताल पर बैठ गए थे जिसके बाद उन्हें 19 अप्रैल 2017 को बीएसएफ़ से बर्खास्त कर दिया गया। बता दें कि, तेज बहादुर के खिलाफ सुरक्षा बल का अनुशासन तोड़ने को लेकर जांच चल रही है।
तेजबहादुर की उम्मीदवारी रद्द होने से अब सपा-बसपा को करारा झटका लगा है। इसके बाद वाराणसी से सपा ने अब शालिनी यादव को मैदान में उतारा है। सपा-बसपा गठबंधन चाहे किसी को भी प्रधानमंत्री के सामने उतारे पर यह स्पष्ट है कि, प्रधानमंत्री मोदी को दूर-दूर तक चुनौती देने वाला वाराणसी में कोई नहीं है।