लोकसभा चुनावों के पांचवे चरण के मतदान के मतदान के बाद अब इतना तो साफ हो गया है कि भारतीय वोटर अब बढ़-चढ़कर लोकतन्त्र के सबसे विशाल पर्व में हिस्सा ले रहा है। अगर छठे और सातवें चरण के चुनावों में भी वोटर्स का यही उत्साह देखने को मिलता है तो भारतीय वोटर्स स्वतंत्र भारत में वोटर टर्नआउट का एक नया रिकॉर्ड बना डालेंगे। दरअसल, चुनाव आयोग द्वारा जारी किए आकड़ों के अनुसार चार चरणों के मतदान तक कुल 68.31 प्रतिशत वोटर टर्नआउट देखने को मिला है जो कि 2014 में 67.6 प्रतिशत था। आपको बता दें कि वर्ष 2014 में भारत के 66.4 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था जो कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे ज़्यादा था।
वोटर टर्नआउट के ग्राफ को ऊपर की ओर धकेलने में चौथे चरण के मतदान की बड़ी अहम भूमिका रही। चौथे चरण के चुनावों में पिछली बार के मुक़ाबले 2.61 प्रतिशत अधिक मतदान हुआ। पहले और तीसरे चरण के मतदान में भी 2014 के मुक़ाबले मतदान प्रतिशत अधिक रहा था। वर्ष 2014 में पहले चरण में 68.77 प्रतिशत था और तीसरे चरण में 67.15 प्रतिशत था, जबकि इन लोकसभा चुनावों में पहले चरण में 69.5 प्रतिशत था और तीसरे चरण में मतदान 68.4 प्रतिशत रहा। हालांकि दूसरे चरण के मतदान में 2014 के मुक़ाबले थोड़ी कमी ज़रूर देखने को मिली थी। यहां गौर करने वाली बात यह है कि चौथे चरण के मतदान के बाद देश की 543 लोकसभा सीटों में से 373 सीटों पर चुनाव समाप्त हो चुके हैं। इसके अलावा पांचवे चरण में भी 51 अन्य लोकसभा सीटों पर मतदान चुका है। कुल मिलाकर अगर 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत का एक तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो यह स्पष्ट होता है कि इस बार पिछली बार से भी ज़्यादा लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है।
इन चुनावों में असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में वोटर्स ने रिकॉर्डतोड़ मतदान किया। असम में 81.5 प्रतिशत मतदान देखने को मिला तो वहीं पश्चिम बंगाल में भी भारी-भरकम 82.53 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। पांचवे चरण के मतदान की बात की जाए तो चुनाव वाली 51 सीटों पर पिछली बार के मुक़ाबले लगभग 1.5 प्रतिशत मतदान अधिक हुआ है। वर्ष 2014 में इन 51 सीटों पर 61.75 प्रतिशत मतदान हुआ था जबकि अब की बार यहां 63.24 प्रतिशत मतदान हुआ है। अगर चार चरणों के मतदान में शामिल 373 सीटों को इन 51 सीटों में जोड़कर देखा जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि अब की बार लोग चुनावों को लेकर अधिक उत्साहित हैं।
इतने बड़े वोटर टर्नआउट का श्रेय चुनाव आयोग के प्रयासों के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी को भी जाता है। पीएम मोदी देश के नए वोटर्स के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। पार्टी लाइन से ऊपर उठकर पीएम मोदी इन वोटर्स को वोट करने की अपील लगातार करते आए हैं। पिछले दिनों उन्होंने ‘फोर रिक्वेस्ट फॉर डेमोक्रेसी’ नाम के अपने ब्लॉग के माध्यम से यह बताने की कोशिश की थी वोट करना हमारे प्राथमिकता होनी चाहिए। 2014 के चुनावों से यह साफ हो गया था कि जब-जब वोटिंग प्रतिशत का आंकड़ा बढ़ता है, तो इससे भाजपा को फायदा पहुंचता है। ऐसा इसलिए क्योंकि देश का मिडिल क्लास और भाजपा का कोर वोटर, जो पहले वोटिंग प्रक्रिया से दूर रहता था, अब देश के राजनीति में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है। भाजपा के साथ-साथ यह देश के लोकतन्त्र के लिए भी एक शुभ संकेत है।