बंगाल में जारी राजनीतिक हिंसा के तांडव के बीच कल चुनाव आयोग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आखिरी चरण के चुनावी प्रचार को आज रात 10 बजे तक सीमित रखने का आदेश जारी कर दिया। राज्य में लगातार जारी चुनावी हिंसा के मद्देनजर निर्वाचन आयोग ने यह फैसला लिया। इसके लिए आयोग ने पहली बार संविधान की धारा 324 का इस्तेमाल किया। इसके अलावा आयोग ने बड़ा प्रशासनिक फेरबदल भी किया। आयोग ने राज्य के गृह सचिव अत्री भट्टाचार्य और सीआईडी के एडीजी राजीव कुमार को उनके पद से हटा दिया। चुनाव आयोग की इस कार्रवाई के बाद अब कोई भी पार्टी प्रचार के लिए रोडशो, रैली और राजनीतिक सभा का आयोजन नहीं कर पाएगी। हालांकि, अब यह देखना दिलचस्प रहेगा कि आयोग की इस कार्रवाई के बाद ममता बनर्जी के समर्थकों की गुंडागर्दी में कोई कमी आती है या नहीं!
#BengalBurning | मोदी मुझसे डरे हुए हैं, चुनाव आयोग उनके साथ काम कर रहा है। वे राज्य के चुनाव में कैसे हस्तक्षेप कर सकते हैं? : ममता बनर्जी
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वहीं ममता बनर्जी चुनाव आयोग द्वारा की गयी इस कार्रवाई पर बौखला गयीं हैं। उन्होंने अब केंद्र पर ही सीधे निशाना साधा है। ममता ने अपने बयान में कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की ऐसी कोई समस्या नहीं है कि धारा 324 लागू किया जाए। यह अभूतपूर्व, असंवैधानिक और अनैतिक है। यह दरसअल मोदी और अमित शाह को उपहार है।’’ वो यही नहीं रुकी उन्होंने आगे कहा, “मोदी मुझसे डरे हुए हैं, चुनाव आयोग उनके साथ काम कर रहा है। वे राज्य के चुनाव में कैसे हस्तक्षेप कर सकते हैं?” यहां भी ममता बनर्जी केंद्र पर निशाना साध रही हैं और जानबूझकर मुद्दे को नया मोड़ दे रही हैं।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र लगातार दम तोड़ता नज़र आ रहा है। ममता सरकार पूरे राजकीय तंत्र को अपनी हिटलरशाही की विचारधारा को बढ़ावा देने में इस्तेमाल कर रही है। उनके कार्यकर्ताओं के हौसले इतने बुलंद हो चुके है कि वे सरेआम अपनी विरोधी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं पर हमला करने से भी नहीं हिचक रहे हैं। मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के एक रोडशो के दौरान टीएमसी के छात्र विंग के कुछ सदस्यों ने जमकर गुंडागर्दी की, और कई गाड़ियों में आगजनी भी की थी। इसके अलावा कल पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा दिल्ली से भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा को भी हिरासत में ले लिया गया।
ममता सरकार की असहिष्णुता का एक और उदाहरण हमें पिछले ही दिनों तब देखने को मिला था जब सिर्फ एक मीम को शेयर करने पर पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा भाजपा की युवा नेता प्रियंका शर्मा को हिरासत में ले लिए गया था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उस युवा नेता को बिना किसी शर्त रिहा करने के आदेश दिये थे। राज्य में कानून व्यवस्था इस कदर तक बिगड़ चुकी है कि चुनाव आयोग द्वारा निष्पक्ष चुनाव करवाना भी अब एक बड़ी चुनौती बन गई है। पूरे देश भर में राजनीतिक हिंसा की खबरें अगर किसी राज्य से आ रही हैं, तो वह पश्चिम बंगाल ही है। इसी के चलते उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।
ममता सरकार की ऐसी ही लोकतन्त्र-विरोधी गतिविधियों का ही यह नतीजा है कि चुनाव आयोग को अब यह कार्रवाई करनी पड़ी है। पश्चिम बंगाल में बढ़ती अराजकता को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। टीएमसी के गुंडों द्वारा चुनावों के दौरान राज्य में इतनी हिंसा फैलाई गई है कि राज्य में चुनावों के ‘फ्री एंड फेयर’ आयोजन पर भी अब शक पैदा होता है। ममता सरकार की असहिष्णुता का ही यह नतीजा है कि अब पश्चिम बंगाल की जनता राज्य में सत्ता परिवर्तन की मांग कर रही है। राज्य में भाजपा के बढ़ता जनाधार से ममता बनर्जी में सत्ता खोने का डर घर है और उसी बौखलाहट में वो राज्य की कानून व्यवस्था को अपने हित के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। वास्तव में राज्य के लोग अब ममता दीदी की हिटलरशाही से तंग आ चुके हैं और अब वे भाजपा को अपने उपयुक्त विकल्प के तौर पर देख रहे हैं जिसे ममता में डर का बढ़ना लाजमी है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतन्त्र है और यहां ममता की हिटलरशाही नहीं चलने वाली है। अगर संभव हो सके, तो राज्य में आयोग द्वारा नए सिरे से चुनावों का आयोजन करवाना जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि राज्य के लोग लोकतान्त्रिक तरीके अपने मताधिकार का उपयोग कर सकें।