मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री के सबसे भरोसेमंद अमित शाह को गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी गई है। भारत सरकार में आधिकारिक तौर पर नंबर 2 का स्थान कभी रहा ही नहीं है क्योंकि देश के प्रधानमंत्री के लिए सभी मंत्रालय ‘समान रूप से महत्वपूर्ण’ माने जाते हैं। हालांकि, पिछली सरकारों को देखें तो पाएंगे की गृह मंत्रालय के पद को अनौपचारिक तौर पर नंबर 2 का माना जाता है। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कई फैसलों में अमित शाह को महत्व दिया है वो भी इसी ओर इशारा कर रहा है।
कुछ ऐसा ही गुजरात में भी देखने को मिला था जब 2002 से 2010 तक नरेंद्र मोदी प्रदेश के सीएम थे। उस समय अमित शाह को सोहराबुद्दीन केस और अन्य मामलों में घेर कर उनको इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया था। आपको बता दें कि, जिस वक्त यह मांग तेज हुई तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे उस वक्त अमित शाह के पास 12 मंत्रालय थे जिसमे “गृह, लॉं एंड ऑर्डर, बॉर्डर सुरक्षा, सिविल डिफेंस, एक्साइज, ट्रांसपोर्ट, ग्राम रक्षम दल, पुलिस हाउसिंग आदि” जैसे बड़े विभाग थे। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी अमित शाह मोदी के सबसे भरोसेमंद साबित हुए। दूसरे कार्यकाल में शाह को 8 नई कैबिनेट समितियों की ज़िम्मेदारी दी गई। नियुक्ति समिति, निवास समिति, आर्थिक मामलों की समिति, संसदीय कार्य समिति, राजनीतिक मामलों की समिति, सुरक्षा समिति, निवेश एवं विकास समिति और रोजगार एवं कौशल विकास समित शामिल है। ऐसे में शाह पहले ऐसे नेता हैं जिनको कैबिनेट मे शामिल की गईं इन समितियों की जिम्मेदारियां दी गई है।
इससे पहले मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में तब गृह मंत्री का पदभार संभाल रहे राजनाथ के पास 6 समितियों की ज़िम्मेदारी थी। वर्तमान में जो स्थिति है कि, वही गुजरात की थी जब वित्त मंत्री वजूभाई वाला नंबर दो की भूमिका में थे। लेकिन नंबर दो की भूमिका सिर्फ औपचारिक तौर पर थी, क्योंकि जब किसी भी बड़े मामले पर फैसला लेने की बात होती थी तो उस वक्त नरेंद्र मोदी के सबसे विश्वसनीय नेता अमित शाह ही निर्णय लेते थे।
साल 2019 में जब दोबारा मोदी सरकार बनी तो नीति आयोग को पुनर्गठित किया गया अमित शाह को पदेन (एक्स ऑफिशियो) सदस्य बनाया गया है। आपको बता दें कि, एक्स ऑफिशियो का मतलब होता है कि, जिसके पास पहले से ही किसी अन्य मंत्रालय की ज़िम्मेदारी हो। ऐसे में वह अब इस आयोग के थिंक टैंक के रूप में काम कर रहे हैं। गृह मंत्री की कमान संभालने के बाद से शाह काफी एक्टिव हैं लेकिन गुरुवार को शाह ने लगातार बढ़ती पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर एक मीटिंग की जिसमें भारत पेट्रोलियम में 2.4 बिलियन इन्वेस्ट करने की बात पर चर्चा हुई। राजधानी दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में हुई इस मीटिंग में विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, धर्मेन्द्र प्रधान, और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत भी मौजूद रहे। इस मीटिंग ने यह तो साबित कर दिया है कि, शाह दूसरे नंबर पर आसीन हैं।
मोदी सरकार में दूसरी सबसे अहम भूमिका अमित शाह की है वह इस बात से भी जाहिर होती है कि, कृष्ण मेनन मार्ग स्थित पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी का बंगला उनको आवंटित किया जा सकता है। 2004 के चुनाव में उनकी सरकार के हारने के बाद से वाजपेयी 14 साल से अधिक समय तक कृष्णा मेनन मार्ग स्थित बंगले में रहे। अमित शाह को वाजपेयी के बंगले का आबंटन काफी मायने रखता है और पार्टी कार्यकर्ताओं और देश के लोगों के बीच दिवंगत प्रधानमंत्री के सम्मान को देखते हुए इसका काफी महत्व है।
प्रधानमंत्री मोदी के शपथ लेने के बाद से एक हफ्ते के अंदर जिस तरह से फैसले लिए जा रहे हैं उससे यह साफ है कि अमित शाह मोदी कैबिनेट में दूसरे नंबर की भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि, पीएम मोदी का मानना है कि सभी मंत्रालय अहम हैं और वह सभी को बराबर तवज्जो देते हैं। मोदी और शाह की जोड़ी आने वाले समय में नए भारत के सपने को साकार करते हुए देश को विकास की एक नई राह पर ले जाएगी। यह जोड़ी देश के सुनहरे भविष्य और राष्ट्रीय स्तर पर शानदार साबित होती रही है।