आरफा खनुम शेरवानी के एजेंडे की आरिफ मोहम्मद खान ने उड़ाई धज्जियां

आरिफ मोहम्मद खान आरफा खानुम शेरवानी

मोदी विरोध में सबसे अग्रणी पोर्टल द वायर की प्रमुख पत्रकार आरफा खानुम शेरवानी ने एक बार फिर अपने चैनल के जरिये प्रधानमंत्री मोदी को मुस्लिम विरोधी जताने का प्रयास करने से बाज़ नहीं आई। परंतु इस बार उनका सामना हुआ तीन तलाक प्रथा के मुखर विरोधी और पूर्व कांग्रेस मंत्री आरिफ मोहम्मद खान से, जिन्होंने आरफा खानुम शेरवानी को दिए एक इंटरव्यू में उनके विषैले एजेंडे की धज्जियां उड़ा कर रख दी।  

‘हम भी भारत’ के नए एपिसोड में आरफा ने आरिफ मोहम्मद खान का साक्षात्कार लिया, जो तीन तलाक के मुखर विरोधी भी है, और शाह बानो केस में कांग्रेस के रवैये से आहत होकर उन्होंने अपना त्यागपत्र भी सौंप दिया था। इस साक्षात्कार में कई अहम मुद्दों पर आरिफ से बातचीत की गयी, परंतु इस साक्षात्कार में जो साफ दिख रहा था, वो था आरफा खानुम शेरवानी का विषैला एजेंडा, जो मोदी विरोध के नाम पर वैमनस्य को बढ़ावा देना चाहता है। 

इसी दौरन जब आरफा ने आरिफ मोहम्मद खान से पूछा कि पीएम मोदी ने संसद के अपने भाषण में कांग्रेस को लताड़ा, इस सवाल का जवाब उन्होंने बड़ी शांति से दिया कि यह तो स्वाभाविक प्रक्रिया है, और साथ में ये भी बताया कि कैसे कांग्रेस की मंशा कभी भी अल्पसंख्यकों को लाभान्वित करने की नहीं, अपितु उन्हें हमेशा एक वर्ग विशेष के दर्जे तक ही सीमित रखने की रही है।

उन्होंने भारत को लिंचिंग हब घोषित करने की आरफा की मंशाओं को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा, “जब आपकी नज़र तारीख पर नहीं होगी, और आप आज के लम्हे में जीने की कोशिश करेंगी, तो हमेशा आपको मायूसी और नाकामियां ही हाथ लगेंगी।“ अपने इन शब्दों से उनका मतलब ये था कि आरफा खानुम शेरवानी को भूतकाल और वर्तमान दोनों की स्थिति को देखकर किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए। आप इनके बगैर आगे की राह तय नहीं कर सकती।  

इसके बावजूद आरफा ने तो मानो आरिफ मोहम्मद खान के मुंह से मोदी के विरोध में दो शब्द निकलवाने की ठान ली थी। शायद उन्होंने आरिफ मोहम्मद खान का वो साक्षात्कार नहीं देखा था, जिसमें उन्होंने विवादित पत्रकार करण थापर के खोखले दावों की ऐसे ही धज्जियां उड़ाई थी।

जब आरफा ने सवाल उठाया की हम कैसे देश में रहे हैं, जहां मेनका गांधी मुसलमानों के वोट न देने पर उनका काम न करने का आह्वान करती है, और नरेंद्र मोदी राहुल गांधी के वायनाड से लड़ने का केवल इसलिए मज़ाक उड़ाते है, क्योंकि वहां हिन्दू अल्पसंख्यक है. इस सवाल को सुनते ही आरिफ मोहम्मद से रहा नहीं गया। उन्होंने आरफा खानुम शेरवानी के इस बेतुके सवाल पर उन्हें लताड़ते हुए कहा, ‘आप पाकिस्तान में रहना चाहती जहां हर जुमे को मस्जिदों में बम फेंके जाते हैं? या आप सीरिया में रहना चाहती हैं? आप यमन में रहना चाहती हैं? बता दीजिये ऐसा कौन सा मुल्क है जहां आपके हक महफूज है?’

इतना ही नहीं, आरिफ मोहम्मद खान ने आरफा को पिछले वर्ष उन्हीं के होली से संबन्धित फेसबुक पोस्ट के बारे में याद दिलाया, जहां कट्टरपंथियों ने होली खेलने के लिए उन्हें अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए आड़े हाथों लिया था। उन्होंने आरफा के बार बार हिन्दू राष्ट्र और सांप्रदायिकता पर सवाल उठाने पर दो टूक जवाब दिया कि गैर मुस्लिम ही काफिर नहीं है बल्कि जब लोग यहां खुद असहिष्णु हैं वो कैसे दूसरों से सहिष्णुता की उम्मीद कर सकते हैं?’ ये असहिष्णुता कहां से आई और इसपर क्या प्रतिक्रिया क्या होगी ? 

उन्होंने तो यहां तक बताया कि जिस धर्म में धिम्मी और जजिया कर उल्लेख तक नहीं है, वहां कैसे अल्पसंख्यकों का ह्रास हो सकता है? उन्होंने आरफा पर उनके ज़बरदस्ती उनके मुंह में शब्द ठूंसने का भी आरोप लगाया, जो आरफा के सवाल पूछने की शैली से साफ झलक भी रहा था। उन्होंने नसीहत दी कि ये सारी लड़ाईयां किसी को फायदा नहीं पहुंचा सकते ..यहां सिर्फ एक चीज फायदा पहुंचा सकती है अगर आप समाज के लिए बेहतर बनेंगी तो समाज आपको सम्मान देगा। उन्होंने स्पष्ट कहा, ‘अगर मैं समाज के लिए फायदेमंद बन जाऊं तो लोग आपको भगवान का दर्जा दे देते हैं और साईं बाबा इसके बड़े उदाहरण भी हैं जिन्हें आम जनता आज भी पुजती है।’  

वैसे ये पहला अवसर नहीं है जब आरफा ने अपने कार्यक्रमों अथवा अपने ट्वीट्स के जरिये वैमनस्य को बढ़ावा देने का काम किया है। उन्होंने तो मोदी विरोध में अमर हुतात्मा अशफाकुल्ला खान के शौर्य पर भी सवाल उठा दिये। आरफा के अनुसार, जो कोई वंदे मातरम बोले, वो सांप्रदायिक है, और इस्लाम के विरुद्ध है। स्पष्ट है उन्होंने अशफाकुललाह खान पर सवाल उठाये जिनहोने मरते दम तक भारत माँ की सेवा में अपने आप को समर्पित कर दिया था और वंदे मातरम का उद्घोष करने से ज़रा भी नहीं हिचके थे। 

ऐसे में जिस तरह आरिफ मोहम्मद ने आरफा खानुम शेरवानी को बिना उनके स्तर तक गिरे जो शिष्टाचार का पाठ पढ़ाया, वो अपने आप में कई लोगों के लिए किसी प्रेरणा स्त्रोत से कम नहीं है। हम आशा करते हैं कि  आरिफ मोहम्मद जैसे और भी हस्ती जनता के सामने आए, और लोगों को वामपंथियों के वैमनस्य से भरे एजेंडे के प्रति ऐसे ही सचेत करते रहें!

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