चीन इस तरह करता है चीन में मुस्लिमों के साथ व्यवहार

PC: BBC

वैसे तो पाकिस्तान खुद को इस्लाम का संरक्षक देश बताता है लेकिन चीन द्वारा उसके यहां जो उइगर मुसलमानों की दुर्दशा की जा रही है, उस पर पाकिस्तान चुप है। चुप ही नहीं है, बल्कि गलबहियां भी करता फिर रहा है। पाकिस्तान चीन द्वारा उइगर मुसलमानों पर किए जाने वाले दुर्व्यवहार पर ऐसे चुप्पी साधे हुए है जैसे इससे बिल्कुल बेखबर हो। दरअसल, चीन में मुसलमानों की कुल संख्या लगभग 2.3 करोड़ है। जबकि शिंजियांग में उइगर मुसलमानों की कुल संख्या 10 लाख है। उइगर में मुसलमानों पर होने वाले अत्याचारों की खबरें समय-समय पर आती रहती हैं।  चीन में इन मुसलमानों को स्पेशल डिटेन्शन कैंप्स में रखा जाता है जहां कट्टरवाद को खत्म करने के नाम पर इन मुसलमानों को गहरी यातनाएं दी जाती हैं। अब ब्रिटेन के एक मीडिया समूह बीबीसी को एक ऐसे ही डिटेन्शन कैंप में जाने का मौका मिला जहां मीडिया के सामने इन मुस्लिमों को ऐसे दिखाया गया मानो ये अपनी मर्ज़ी से यहा रह रहे हों। 

बीबीसी की टीम जब ऐसे ही एक डिटेन्शन कैंप पहुंची तो वहां मौजूद लोग खुशी से नाच गा रहे थे, और ऐसे दिखावा कर रहे थे जैसे उनको वहां प्रताड़ित नहीं बल्कि कट्टरवाद से दूर रहने की ट्रेनिंग दी जा रही है। हालांकि, ऐसे ही कैंप्स में रहने वाली एक महिला ने, जो अब कजाकस्तान में रहती है, बीबीसी की टीम को बताया कि अगर कोई अधिकारी और पत्रकार वहां बाहर से दौरा करने आता है तो उन्हें धमकाया जाता है कि अगर उन्होंने उनके सामने अपना मुंह खोला तो उन्हें और ज़्यादा प्रताड़ित किया जाएगा। इसलिए इस बात का संदेह और ज़्यादा बढ़ जाता है कि इन मुस्लिमों को भी ऐसा ही करने के लिए कहा गया होगा।

चीन अपने यहां के मुसलमानों को उनकी धार्मिक मान्यताओं से दूर ले जाने के तमाम हथकंडे अपनाते रहा है। ऐसी खबरें आती रही हैं कि, उइगर शिवरों में इस्लाम के प्रति घृणा फैलाने, इस्लाम के खिलाफ निबंध लिखने, इस्लामिक मान्यताओं के खिलाफ भड़काने और घृणा फैलाने जैसी तमाम शिक्षाएं दी जाती हैं। यहां तक कि, उन्हें सूअर का मांस खाने और शराब पीने के तक लिए मजबूर किया जाता है जो मुस्लिम धर्म में वर्जित माना जाता है। इसके लिए चीन मुसलमानों को कथित रुप से ‘री-एजुकेट’ किए जाने का नाम देता आ रहा है।

चीनी सरकार का यह मानना है कि उसने सभी लोगों को पूरी धार्मिक स्वतन्त्रता दी हुई है, हालांकि यह भी सच्चाई है कि उसने पिछले कुछ समय से मुस्लिमों पर बेतहाशा पाबंदी लगाई हुई है। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, चीन के नजरबंदी शिविरों में मुस्लिम उइगर अल्पसंख्यक समुदाय से करीब 10 लाख से ज्यादा को शिविरों में बंधक बनाकर रखा गया है। इस दौरान उनपर कम्युनिस्ट प्रोपेगंडा का राग अलापने और इस्लाम की आलोचना करने के लिए दबाव बनाया जाता है। 

हालांकि, हैरानी की बात तो यह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस पूरे मामले पर अपनी चुप्पी साधे हुए हैं। भारत के मुस्लिमों की तथाकथित ‘दयनीय’ स्थिति पर ट्वीट कर सुर्खियां बंटोरने वाले इमरान खान को चीन के मुस्लिमों की पीड़ा ना दिखना उनके अज्ञान को नहीं बल्कि उनकी मज़बूरी को दिखाता है। पैसों की भारी तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को चीन ने पिछले वर्ष नवम्बर में 6 बिलियन यूएस डॉलर का कर्ज दिया था। चीन पाकिस्तान में ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे’ को भी विकसित कर रहा है जिसके तहत पाकिस्तान में लम्बी सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। चीन को पाक का ऑल वेदर फ्रेंड भी माना जाता है, जिसके तहत वह संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर पाकिस्तान की बात को रखता आया है। ऐसे में पाकिस्तान अपने आका चीन के खिलाफ बोलने की हिम्मत बिल्कुल नहीं कर सकता। उसे इस बात का पूरा ज्ञान है कि यदि उसने ऐसा करने की हिम्मत जुटाई तो पाक का हुक्का-पानी बंद होना तय है।

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