पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मुसलमानों ने पत्र लिखकर तुष्टिकरण की राजनीति न करने की सलाह दी है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तानाशाही और तुष्टिकरण की राजनीति किसी से छुपी नहीं है। इस पत्र के सामने आने से एक बार फिर से साबित हो गया है कि ममता बनर्जी का झुकाओ किस तरफ है। पश्चिम बंगाल में हाल की दो प्रमुख घटनाएं चर्चा में हैं, पहली एनआरएस अस्पताल में डॉक्टरों से मारपीट और दूसरी पूर्व मिस इंडिया यूनिवर्स उशोशी सेन गुप्ता से छेड़छाड़ का मामला जिसमें प्रत्यक्ष सबूतों और गवाहों के बावजूद राज्य की ममता सरकार ने अपराधियों के खिलाफ सख्त एक्शन नहीं लिया। इससे नाराज हो कर राज्य के मुसलमानों ने ममता को एक पत्र लिखा और अपने समुदाय के दोषी सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इस पत्र को स्तंभकार मुदर्र पथरीया ने फेसबुक पर साझा किया था। हस्ताक्षरकर्ताओं में शिक्षाविद् और व्यवसायी इमरान जकी, शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता मैमून अख्तर, सामाजिक कार्यकर्ता और उद्यमी मुद्रा पथरीरा, पोषण विशेषज्ञ हेना नफीस और डॉ. जाहिद एच गंगजी जैसे लोग शामिल हैं।
इस पत्र में लिखा गया है कि ‘हम हाल में हुई दो घटनाओं को लेकर बेहद चिंतित हैं। दोनों मामलों में हमलावर हमारे समुदाय से थे। हम दुखी और शर्मिंदा हैं।’ कोलकाता के रहने वाले, 53 जाने-माने मुसलमानों ने कहा, ‘सिर्फ इन दो मामलों में ही नहीं, बल्कि जितने भी मामलों में मुसलमान शामिल हों, उन पर कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाए। उन्हें सिर्फ इसलिये नहीं बख्श दिया जाना चाहिए क्योंकि वे मुसलमान हैं। इससे यह संदेश जाएगा कि किसी समुदाय के सदस्यों को न तो बचाया जा रहा है और ना ही उनका तुष्टिकरण किया जा रहा है।’ इस समूह ने लिखा कि इससे लोकप्रिय धारणा को दूर करने में मदद मिलेगी कि तृणमूल (टीएमसी) सरकार मुसलमानों को बचा रही है।
बता दें कि एनआरएस अस्पताल में डॉक्टरों से मारपीट राजनीति करने वाली दीदी की पूरे भारत में आलोचना हुई थी। यह पत्र उनके लिए संदेश है कि अब भी समय है अपनी सरकार में पक्षपाती रुख बदलाव कर लें। और नागरिकों में फर्क कर समाज को तोड़ने की राजनीति को भी बंद करना होगा।
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से पश्चिम बंगाल हिंसा की आग में जल रहा है और ममता बनर्जी अपने राज्य में पार्टी के गुंडों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय केंद्र सरकार पर आरोप लगाती रही हैं। इस पत्र से एक बात तो साफ है कि अगर उन्होनें अपनी यही तुष्टिकरण कि राजनीति जारी रखी तो राज्य के आने वाले विधानसभा चुनावों में उनका भी वही हाल होगा जैसा कांग्रेस पार्टी तुष्टिकरण की राजनीति की वजह से इस बार के आम चुनाव में हुआ था। लोकसभा चुनावों में सत्ता मे रहते हुए भी टीएमसी अपने इसी राजनीति के कारण बदनाम है और यही वजह है कि इस बार लोकसभा चुनावों में राज्य की 42 में से केवल 22 सीटें ही जीत पायी थी।