उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने के मामले में रैपर और गायिका हार्ड कौर के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। हार्ड कौर पर यह मुकदमा वाराणसी के वकील शशांक त्रिपाठी ने वाराणसी कैन्ट थाने में दर्ज करवाई है। पुलिस ने हार्ड कौर के खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह), 153ए, 500, 505 और 66 आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है।
FIR registered under sections 124A (Sedition), 153A, 500 ,505 of the Indian Penal Code and 66 IT Act against singer Hard Kaur for her comments against Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath and RSS Chief Mohan Bhagwat. https://t.co/3XABzwKOJ6
— ANI (@ANI) June 20, 2019
बता दें कि तरुण कौर ढिल्लों, जो रैपर हार्ड कौर के नाम से प्रसिद्धहैं। हाल ही में उनके कुछ फेसबुक और इंस्टाग्राम में उनके पोस्ट वैमनस्य को बढ़ावा देने लगे हैं। पत्रकार गौरी लंकेश की मौत पर सहानुभूति के लिए किये गये पोस्ट के बाद चर्चा में आयीं हार्ड कौर ने अब अपने सोशल मीडिया को बेहद विषैली सामग्री को बढ़ावा देने का माध्यम बना दिया।
निम्नलिखित प्रमाण इस बात का उदाहरण है कि कैसे हार्ड कौर ने अपने अकाउंट को हिन्दुफोबिया का नया माध्यम बना दिया है –
इंस्टाग्राम और फेसबुक पर किए गए पोस्ट के अनुसार, हार्ड कौर ने आरएसएस को भारत में हुए सभी आतंकी हमलों के लिए दोषी ठहराया, जिसमें उन्होंने 26/11 और पुलवामा हमलों के लिए भी आरएसएस को ही दोषी ठहराया। इतना ही नहीं, उन्होंने यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए ऐसी ओछी भाषा का प्रयोग किया, जिसकी जितनी भर्त्सना की जाये, कम है। उन्होंने आरएसएस के पुराने यूनिफॉर्म का भी भद्दा मज़ाक उड़ाया और पाकिस्तान को शांति का दूत घोषित करते हुए भारत पर ही घृणा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
हद तो तब हो गयी, जब उन्होंने ऐसी ओछी पोस्ट का विरोध करने वाले लोगों के समक्ष भी ओछी और निकृष्ट भाषा में अपना पक्ष रखा। विश्वास न हो, तो आप खुद ही देख सकते हैं –
अब हार्ड कौर के खिलाफ सनातन धर्म के अनुयायियों की भावनाओं को आहत करने के मामले में वाराणसी पुलिस ने एक वकील की शिकायत पर एफ़आईआर दर्ज़ की है। अब हार्ड कौर के इन पोस्ट्स को देखते हुए भविष्य में उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन जो चिंताजनक बात है, वो ये है कि हार्ड कौर को फेसबुक से आधिकारिक रूप से वेरिफाइड स्टेटस, यानि ब्लू टिक का प्रतिबिंब मिला है, जिसका अर्थ है कि हार्ड कौर को आधिकारिक रूप से फेसबुक पर अपने कंटेंट का प्रचार प्रसार करने की पूर्ण स्वतंत्रता है, चाहे वो वैमनस्य और किसी समुदाय के प्रति विष से परिपूर्ण ही क्यों न हो।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निस्संदेह आवश्यक है, और फेसबुक एवं ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के माध्यम से अपने व्यक्तिगत विचार को रखना अच्छा भी है। परंतु हार्ड कौर जैसे लोग सोशल मीडिया प्लेटफार्म का दुरूपयोग कर रहे हैं, और अपनी व्यक्तिगत नफरत को इस मंच के जरिये बढ़ावा दे रहे हैं। हार्ड कौर अपने पेज का उपयोग पिछले कई दिनों से केवल हिन्दुफोबिया को बढ़ावा देने के लिए कर रही हैं।
हालांकि, ये पहला अवसर नहीं है जब हार्ड कौर ने किसी समुदाय के प्रति वैमनस्य को बढ़ावा दिया हो। सनातनियों को छोड़िए, इन्हे तो अपने ही सिख समुदाय तक को नहीं छोड़ा। 2013 में जब ये रैपर हनी सिंह के साथ एक कॉन्सर्ट में हिस्सा ले रही थी, तब वो नशे की स्थिति में सिखों के विरुद्ध न केवल विष उगला था, बल्कि सरेआम उनके गुरुओं का भी अपमान किया, जिसके लिए उन्हें बाद में क्षमा याचना भी करनी पड़ी। हार्ड कौर ने दो वर्ष बाद ऐसे ही एक कॉन्सर्ट में आए कुछ बच्चों के साथ इसलिए रूखा व्यवहार किया, क्योंकि वे बच्चे स्टेज पर उनके साथ नाचना चाहते थे।
ऐसे में हार्ड कौर का फेसबुक पर आधिकारिक रूप से वेरिफाइड स्टेटस अविलंब हटा लिया जाना जरुरी है। वेरिफाइड स्टेटस यानि ब्लू टिक मिलने का अर्थ यह बिलकुल नहीं है कि आपको किसी भी समुदाय के प्रति वैमनस्य को बढ़ावा देने की पूर्ण स्वतन्त्रता मिल गयी हो। वैसे भी अब इस मामले में हार्ड कौर के खिलाफ जो केस दर्ज हुआ है उससे उन्हें सबक जरुर मिलेगा।