सोमवार को भाजपा के सबसे ताकतवर और निर्णय लेने वाली समिति बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। लोकसभा 2019 के चुनाव में भारी जीत हासिल करने के तथा कैबिनेट में मंत्री पद ना मिलने के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा उन्हें संगठन का काम सौप सकती है। हमने 30 मई को प्रकाशित अपने वैबसाइट के एक लेख में यह अनुमान लगाया भी था।
शुरू से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य रहे नड्डा, राष्ट्रीय राजनीति में कद्दावर नेता व माहिर रणनीतिकार माने जाते है। पहली बार वह 1993 में हिमाचल प्रदेश से विधायक चुने गये और राज्य और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। 1994 से 1998 तक वो विधानसभा में पार्टी के नेता भी रहे हैं। 2007 के चुनावों में नड्डा एक और कार्यकाल के लिए चुने गए थे। हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने के बाद प्रेम कुमार धूमल ने 2008 से 2010 तक वन, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए कैबिनेट मंत्री के रूप में नड्डा को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया। 2012 में वह राज्यसभा पहुंचे और कई संसदीय समितियों में रहे। इस दौरान तत्कालीन भाजपा नेतृत्व ने उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारिया सौंपी। नितिन गडकरी जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब नड्डा उनकी टीम में राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता पद पर रहे। अपनी सादगी और मेहनतकश छवि से उन्होंने भाजपा ही नहीं बल्कि सभी पार्टियों से अच्छे संबंध कायम किये। उन्होनें इस दौरान पार्टी संगठन से लेकर चुनाव मैनेजमेंट में महारत हासिल की।
बीते पांच वर्षों में भी नड्डा ने केबिनट में कई जिम्मेदारियां सफलतापूर्वक निभाई हैं। वह भाजपा महासचिव थे और 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान देशव्यापी अभियान की देखरेख के लिए दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में तैनात थे तथा देशभर में पार्टी के अभियान की निगरानी की थी । 2014 में मोदी सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री के तौर पर चुना गया। मोदी की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य परियोजना आयुष्मान भारत की सफलता का श्रेय भी नड्डा को दिया जाता है। इस बार के आम चुनाव में उनके पास उत्तर प्रदेश का प्रभार था। पिछले आम चुनाव की तरह इस बार उत्तर प्रदेश की चुनौती ज्यादा बड़ी थी क्योंकि सपा-बसपा गठबंधन के बाद भाजपा को यूपी में आधी सीटें मिलने के आसार जताए जा रहे थे। नड्डा की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी, जिसमें वे सफल भी रहे। वहां पार्टी ने 62 सीटें जीतीं। इस चुनाव में वह फिर से कुशल रणनीतिकार साबित हुए और पार्टी को 49.6 फीसदी वोट दिलाने का करिश्मा कर दिखाया।
जेपी नड्डा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के काफी करीब हैं। 58 वर्ष के नड्डा के बारे में ये कहा जाता रहा है कि नरेंद्र मोदी- अमित शाह की पसंद के साथ साथ संघ का समर्थन भी उन्हें हासिल है वैसे ये भी ज़ाहिर है कि अमित शाह पार्टी के अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में होने वाले चुनाव तक अमित शाह अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। आगे अगर वह अमित शाह की जगह लेने जा रहे हैं तो इसके पीछे उनके द्वारा शाह जैसा कारनामा कर दिखाना भी बड़ी वजह है। विपक्ष के लिए यह बदलाओ हितकारी नहीं होने वाला है क्योंकि नड्डा भी इस मुकाम पर अपने कूटनीति और स्वस्थ्य मंत्रालए में अच्छे प्रदर्शन के वजह से है।