अमित शाह के गृह मंत्री चुने जाने पर लेफ्ट लिबरल गैंग में खलबली मच गयी है

अमित शाह लेफ्ट लिबरल

PC: NDTV

मोदी सरकार की सत्ता में वापसी हो चुकी है और नई सरकार में मंत्रिमंडल का बंटवारा भी हो चुका है। हालांकि, अमित शाह की कैबिनेट में एंट्री ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। अब तो इन्हें गृह मंत्रालय का कार्यभार भी सौंप दिया गया है जिसने देश के लेफ्ट लिबरल गैंग की नींद उड़ा दी है। ऐसा क्यों हो रहा है? चलिए इसे भी समझ लेते हैं।  

दरअसल, शपथ ग्रहण के कुछ घंटों बाद राष्ट्रपति भवन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, जिसमें नए मंत्रिमंडल के सदस्यों को उनके मंत्रालय आवंटित किए गए। जहां राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्रालय की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी, तो वहीं निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्रालय का पदभार सौंपा गया। लेकिन जिन दो नामों ने सभी को हैरत में डाल दिया, वे थे पूर्व कूटनीतिज्ञ सुब्रह्मण्यम जयशंकर और अमित शाह। जहां सुब्रह्मण्यम जयशंकर को विदेश मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी गयी, तो वहीं अमित शाह को गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी।

अमित शाह के लिए गृह मंत्रालय कोई नई बात नहीं है। गुजरात सरकार में उन्हें गृह मंत्री का पद संभालने का सौभाग्य मिला चुका है। बतौर गृह मंत्री उन्होंने गुजरात में आतंकवाद, दंगा फसाद एवं अवैध धर्म परिवर्तन की जटिल समस्याओं को जड़ से ही उखाड़ फेंक था। जिस गुजरात की विकास नीति का दम भरते हुए नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता विजय हासिल की थी, उसकी नींव रखने में अमित शाह का भी हाथ रहा है।

ऐसे में जब अमित शाह को गृह मंत्रालय का पदभार सौंपा, तो देश भर में, खासकर सोश्ल मीडिया जगत पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। जहां एक तरफ राष्ट्रवादी खेमे में हर्षोल्लास का माहौल छा गया, तो वहीं लेफ्ट लिबरल खेमे के हाथ पांव फूल गए। हो भी क्यों न, आखिर इस खेमे ने अमित शाह को घेरने और झूठे आरोपों में फंसाने का एक मौका नहीं छोड़ा था।

चाहे वो मीडिया ट्रायल के तहत कोर्ट से पहले ही अमित शाह को बिना साक्ष्य इशरत जहां, सोहरबुद्दीन शेख के ‘फर्जी एंकाउंटर’ के लिए दोषी ठहराना हो, या फिर एक स्थानीय महिला की जासूसी कराने के बेतुके आरोप हो, लेफ्ट लिबरल खेमे ने मोदी-शाह की जोड़ी का करिश्मा बहुत पहले ही पहचान लिया था, और इसे तोड़ने का हर संभव प्रयास भी किया। कुछ हद तक उन्हें इसमें सफलता भी मिली जब अदालत ने अमित शाह को लगभग दो साल तक गुजरात से निष्कासित कर दिया था। हालांकि, जल्द ही अमित शाह पर लगे आरोप झूठे साबित हुए और वो फिर से सक्रिय राजनीति में उतरे और अपनी नीतियों से भारतीय राजनीति की सूरत ही बदल डाली।

अब इन सभी प्रपंचों के बाद जब अमित शाह ने गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभाली, तो लेफ्ट लिबरल गैंग पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो। राणा अय्यूब ने एक बार फिर देश के मतदाताओं को इसके लिए दोषी ठहरते अपनी ट्वीट में ये लिखा –

यही नहीं, राणा अय्यूब ने तो अमित शाह को देश का ‘द इनविजिबल प्राइम मिनिस्टर’ तक घोषित कर दिया। राणा अय्यूब ने वॉशिंग्टन पोस्ट में लिखे अपने लेख में अमित शाह के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करने से भी कोई गुरेज नहीं किया। अय्यूब के अनुसार, अमित शाह का गृह मंत्री बनना इस देश की संप्रभुता और धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा है।  

राणा अय्यूब के डर को बढ़ावा देते हुए विवादित पत्रकार निखिल वागले ने भी इनकी हां में हां मिलाते हुए अमित शाह पर लगे बेतुके आरोपों को सिद्ध करने का असफल प्रयास किया..आप इस ट्वीट से ये समझ भी सकते हैं  –

अब ऐसे में हमारे स्वघोषित फ़ैक्ट चेकर प्रतीक सिन्हा कैसे पीछे रहते? अमित शाह का नाम लिए बिना उन्हें गृह मंत्री बनाने के निर्णय पर तंज़ कसते हुये प्रतीक ने यह ट्वीट किया,  

इनके अनुसार चूंकि अमित शाह गुजरात पुलिस को एक स्थानीय महिला पर जासूसी करने के अवैध निर्देश दे रहे थे, ऐसे में उन्हें गृह मंत्री बनाया जाना एक गलत फैसला है। जनाब, यदि सो रहे हैं तो उठ जाइए, ये 2013 नहीं 2019 है। जिस केस की आप बात कर रहे हैं उसे अदालत झूठा करार दे चुकी है, और जनता अब आपके प्रोपगैंडा से अच्छी तरह परिचित है।

पर बात यहीं पर नहीं रुकी। अलगाववादी नेता एवं प्रखर नक्सल समर्थक कविता कृष्णन के ट्वीट से ये साफ हो गया है कि अब लेफ्ट लिबरल गैंग की खैर नहीं। इनकी घबराहट इनके ट्वीट में साफ झलकती है, जहां इन सभी ने अमित शाह को देश के लिए खतरा करार दिया है। यही नहीं, उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से सोहरबुद्दीन शेख के ‘फर्जी एंकाउंटर’ के लिए न सिर्फ दोषी ठहराया, बल्कि गुजरात के वसूली माफिया के सरगना के तौर पर संबोधित भी किया है –

वहीं दूसरी तरफ लेफ्ट लिबरल की इस बौखलाहट का सोश्ल मीडिया, खासकर ट्विट्टर पर जमकर मज़ाक उड़ाया गया। जहां भाजपा प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने इस कदम का स्वागत करते हुए लेफ्ट लिबरल गैंग को खैर मनाने की सलाह दी। वहीं, फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने उनसे सीधे सीधे पूछ लिया, ‘मेरे प्यारे अर्बन नक्सलियों, आज आप कैसा महसूस कर रहे हैं?’

अब सच बोलूं तो ये डर लाज़मी भी है, क्योंकि अमित शाह का व्यक्तित्व इन लेफ्ट लिबरल के नापाक मंसूबों के आड़े आता है। जो व्यक्ति निःसंकोच भाव से यह कहता हो कि भारत अवैध शरणार्थियों के लिए कोई धर्मशाला नहीं है क्योंकि ये देश की सुरक्षा के खतरा हैं। ऐसे में अमित शाह लेफ्ट लिबरल्स को फूटी आंख कैसे सुहाएंगे जब खुद ये सभी देश विरोधी तत्वों का समर्थन करते हों । खैर, इनकी लाख कोशिशों के बावजूद अमित शाह के लिए जनसमर्थन अब भी बरकरार है, और अब तो उन्हें गृह मंत्रालय का पद भी सौंपा दिया गया है। आशा करते हैं कि जिस तरह अमित शाह ने गुजरात को भयमुक्त किया था, उसी तरह यह भारत को भय और अपराध, दोनों से मुक्त करने का पूरा प्रयास करेंगे।

 

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