लोकसभा चुनावों में भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत में बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है। बिहार में एनडीए को 40 लोकसभा सीटों में से 39 सीटों पर जीत मिली, जबकि 1 सीट कांग्रेस के खाते में गई। इन चुनावों में सबसे बड़ा झटका चारा घोटाले के मामले में सज़ा काट रहे लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को लगा। पार्टी को राज्य में 1 सीट भी नसीब नहीं हुई। लोकसभा चुनावों में लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने पार्टी का नेतृत्व किया जो पूरी तरह फ्लॉप साबित हुए। अब अटकलें लगाई जा रही है कि लालू प्रसाद यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पार्टी की कमान अपने हाथों में ले सकती हैं।
दरअसल, कल राबड़ी देवी ने अपने आवास पर इफ़्तार पार्टी का आयोजन किया था, जिसमें दो बातें बड़ी हैरान करने वाली थी। पहली तो ये, कि इस इफ़्तार पार्टी में भाजपा के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था। स्थानीय मीडिया में इस बात की चर्चा है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब आरजेडी ने अपनी इफ़्तार पार्टी में भाजपा के नेताओं को आमंत्रित किया हो। और दूसरी हैरान करने वाली बात यह थी कि निमंत्रण पत्र के ‘आरएसवीपी सेक्शन’ में सिर्फ राबड़ी देवी का नाम लिखा था, और पत्र में कहीं पर भी उनके बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव का नाम नहीं लिखा था। जब से लालू प्रसाद यादव को जेल हुई है, तब से उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव ही पार्टी की कमान संभाले हुए हैं, लेकिन इफ़्तार पार्टी के आधिकारिक निमंत्रण पत्र पर उनका नाम ना होना बड़ा हैरान करने वाला है। अब यह कयासें लगाई जा रही हैं कि लोकसभा चुनावों के निराशाजनक नतीजों के बाद राबड़ी देवी ‘फ्रंट सीट’ पर आकर पार्टी की बागडोर संभाल सकती हैं।
इन चुनावों में करारी हार का सबसे बड़ा कारण यादव परिवार में आपसी कलह को बताया जा रहा है। ठीक चुनावों के दौरान लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने पार्टी के प्रति कई बार अपनी नाराजगी जाहिर की। कभी उन्होंने पार्टी के नेताओं पर उनके खिलाफ साजिश करने का आरोप लगाया, तो कभी उन्होंने टिकट वितरण को लेकर अपनी पार्टी पर ही सवाल खड़े कर दिये। इसके अलावा एक बार तो उन्होंने अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए अपने आप को राज्य का अगला लालू यादव घोषित कर दिया था।
भाइयों के बीच लगातार जारी झगड़े का ही यह नतीजा निकला की राज्य की जनता के साथ-साथ खुद राजद के कार्यकर्ताओं का विश्वास भी इस पार्टी से उठ गया और चुनावों में पार्टी की भयंकर दुर्दशा हुई। ठीक अगले वर्ष बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में राजद अब पार्टी में कई सुधार करना चाहती है, और शायद यही वजह है कि पार्टी में राबड़ी देवी को अब मुख्य भूमिका में लाया जा सकता है। आगामी विधानसभा चुनाव राजद के लिए सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व को बचाने की एक बड़ी लड़ाई होगी, ऐसे में, पार्टी के अंदर राबड़ी देवी की भूमिका बड़ी अहम रहने वाली है।