बामुलाईजा होशियार जासूसों के सरताज, कैबिनेट रैंक के साथ पधार रहे हैं

अजित डोभाल एनएसए

PC: Oneindia

कल पाकिस्तान समेत देश के तमाम दुश्मनों के लिए एक बेहद दुखद खबर सामने आई। खबर यह थी कि अजीत डोभाल  को कल दोबारा देश का एनएसए यानि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बना दिया गया। और दिलचस्प बात यह रही कि अब की बार उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है यानि अब उन्हें अपना काम करने में पहले से ज़्यादा स्वतंत्रता मिल सकेगी। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी एक एनएसए को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए भी चुना गया है। 30 मई 2014 को अजीत डोभाल को देश का एनएसए बनाया गया था और पिछले पांच सालों के दौरान इस पद पर रहते हुए उन्होंने बखूबी अपनी जिम्मेदारियों को संभाला, और यही कारण है कि अब उन्हें दोबारा देश का एनएसए बनाया गया है और वो भी कैबिनेट मंत्री के दर्जे के साथ।

देश की आंतरिक सुरक्षा के चैंपियन और भारतीय जेम्स बॉन्ड के नाम से मशहूर अजीत डोभाल  का कॅरियर चुनौती और अनुभव भरा रहा है। वर्ष 1968 में वे आईपीएस अफ़सर बने और वर्ष 1972 में उनको इंटेलिजेंस ब्यूरो में शामिल किया गया, जहां उन्होंने लगभग 3 दशकों तक अपनी सेवाएं प्रदान की। आईबी में जाते ही उनके सामने दो बड़ी चुनौतियां पेश आईं। एक तरफ जहां मिज़ोरम में मिज़ोरम नेशनल फ्रंट के अलगाववादी नेता अपने लिए एक अलग देश की मांग कर रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ पंजाब में पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी आईएसआई पुरजोर तरीके से खालिस्तानी समर्थकों को भड़काने का काम कर रही थी जो पंजाब को एक अलग देश यानि ‘खालिस्तान’ बनाने की मांग कर रहे थे। इन दोनों चुनौतियों से निपटने का जिम्मा अजीत डोभाल को सौंपा गया।

अजीत डोभाल ने देश को इन बड़ी मुश्किलों से निकाला भी! वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार डोभाल  की निगरानी में हुआ। तब उन्होंने खुद एक रिक्शा चालक बनकर गोल्डन टैम्पल की रेकी की थी। हालांकि, जब कुछ खालिस्तानी समर्थकों को उनपर शक हुआ तो उन्होंने बड़ी ही चालाकी से उनको बेवकूफ बनाया।  अजीत डोभाल ने अपने आप को आईएसआई का एजेंट बताया और खालिस्तानी समर्थकों से सारी खूफिया जानकारी जुटा ली, जिसके बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने सफलतापूर्वक ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया और चरमपंथी उग्रवादी जरनैल सिंह भिंडरांवाले को ठिकाने लगा दिया गया। इसके बाद वर्ष 1988 में बाकी खालिस्तानी उग्रवादियों को खत्म करने के लिए भारतीय सुरक्षा बालों द्वारा ऑपरेशन ब्लैक ठंडर चलाया गया और यह ऑपरेशन भी पूरी तरह अजीत डोभाल की निगरानी में हुआ था।

इसके अलावा मिज़ोरम में लगातार जारी विद्रोह को खत्म करने के लिए भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वे मिज़ोरम नेशनल फ्रंट के 7 बड़े नेताओं में से 6 नेताओं को बातचीत के लिए मनाने में कामयाब हुए। जिसके बाद वर्ष 1986 में भारत सरकार और इन नेताओं के बीच मिजोरम अकॉर्ड पर सहमति बनी।

आईबी में रहते हुए उन्होंने लगभग 7 साल पाकिस्तान में एक जासूस के तौर पर बिताए। पाकिस्तान में रहते हुए उन्होंने कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के नापाक मंसूबों से संबन्धित कई अहम जानकरियाँ जुटाई। उनके अनुभव का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि वर्ष 1971 और वर्ष 1999 के बीच कुल 10 बार भारतीय वायुयानों के हाईजैक होने की घटना घटित हुई थी और हर बार अजीत डोभाल ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। वर्ष 1999 में जब नेपाल से दिल्ली आ रही एयर इंडिया की आईसी-814 फ्लाइट को हाईजैक कर लिया गया था तो भी अजीत डोभाल को मध्यस्थता कर रहे 3 अधिकारियों में शामिल किया गया था।

अजीत डोभाल ने वर्ष 2009 से वर्ष 2014 तक विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय फ़ाउंडेशन को जॉइन किया। आपको बता दें कि यह फाउंडेशन भारत का सबसे बड़ा थिंक टैंक माना जाता है और अजीत डोभाल इस संस्था के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। इसके बाद वर्ष 2014 में उन्हें मोदी सरकार में एनएसए के तौर पर नियुक्त किया गया। जब उन्हें एनएसए के तौर पर नियुक्त किया गया था तो उनके पास कुल 33 सालों का प्रशासनिक अनुभव था। एनएसए के पद को ग्रहण करते ही उनके सामने आईएसआईएस के गढ़ इराक में फंसी 46 भारतीय नर्सों को वापस लाने की चुनौती पेश आई। उन सभी भारतीय नर्सों का उनके परिवार जनों से संपर्क पूरी तरह टूट चुका था। ऐसे में इन नर्सों की मदद के लिए भारतीय सरकार सामने आई और उनको वापस लाने का जिम्मा एनएसए अजीत डोभाल  को सौंपा गया, और हर बार की तरह उन्होंने इस बार भी निराश नहीं किया। वे इराक पहुंचे, इराक़ी सरकार से बात की और 5 जुलाई 2014 को सभी फंसे भारतीयों को अपने वतन वापस लेकर आए।

वर्ष 2014 के बाद से अजीत डोभाल ने भारत की सुरक्षा नीति को पूरी तरह बदल डाला। उन्होंने भारत की रक्षात्मक सुरक्षा नीति को आक्रामक रक्षा नीति में बदला, या आसान भाषा में कहें तो उनके आते ही भारतीय सुरक्षा बलों को आतंकियो को घर में घुसकर मारने की पूरी आज़ादी दे दी गई। जिसके बाद वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के बीच भारतीय सुरक्षा बलों ने एनएसए अजीत डोभाल के नेतृत्व में सर्जिकल स्ट्राइक, म्यांमार सैनिक ऑपरेशन और बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसी बॉर्डर पार सैनिक कार्रवाइयों को अंजाम दिया।  इसके अलावा जुलाई 2017 में चीन और भारत के बीच सामने आए डोकलाम कूटनीतिक संकट को सुलझाने में भी अजीत डोभाल की अहम भूमिका थी।

74 वर्षीय अजीत डोभाल को उनके इसी शानदार ट्रैक रिकॉर्ड के बूते अब दोबारा  कैबिनेट रैंक के साथ एनएसए बनाया गया है। देश के पहले एनएसए बृजेश मिश्रा के बाद अब एनएसए अजीत डोभाल  को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है। अब वे देश की सुरक्षा एजेंसियो, खूफिया एजेंसियों और जांच एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल बनाने के लिए और अच्छे से चीजों को नियंत्रित कर सकेंगे। अजीत डोभाल को कैबिनेट रैंक के साथ दोबारा एनएसए का पदभार सौंपकर मोदी सरकार ने यह साफ कर दिया है कि देश की सुरक्षा वर्तमान सरकार के लिए अति-महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस पद के लिए अजीत डोभाल जैसे व्यक्ति का चुना जाना इस देश का सौभाग्य है।

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