आज के समय में पाकिस्तान की दुर्दशा से हर कोई परिचित है। इस देश की दयनीय स्थिति और आर्थिक तंगी दुनिया भर में किसी से छुपी नहीं है। आर्थिक तंगी से गुजर रहा पाकिस्तान अब ऐसे कदम उठाने पर बेबस हो गया है जो उसके लिए काफी हानिकारक साबित हो सकता है। या यूं कहे इस कदम से आतंकियों का सहारा लेकर अशांति फैलाने का काम करने वाला पाकिस्तान अब नापाक हरकत करने से पहले कई बार सोंचने पर मजबूर हो जाएगा। कल तक रक्षा सौदे को लेकर बड़ी-बड़ी बाते कर रहा था अब आईएमएफ से कर्ज लेने की शर्त को मानते हुए अपने रक्षा बजट को कम करने के ऐलान किया है।
30 हजार अरब के कर्ज तले दबे पाकिस्तान के हालात ऐसे हैं कि, वहां हर साल लाखों युवा रोजगार के लिए इधर-उधर भटक रहा है ।पाकिस्तान की अधिकतर जनता गरीबी और महंगाई की मार झेल रही है। अब कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान को मजबूरी में अपनी सेना को कमजोर करने का फैसला लेना पड़ा है। बता दें कि, पाकिस्तान ने आईएमएफ से 12 अरब डॉलर की मदद मांगी थी, लेकिन अंतराष्ट्रीय स्तर पर देशों का भरोसा खो चुके पाक को आईएमएफ ने कर्ज देने से मना कर दिया। पर पाकिस्तान कहां मानने वाला था।बदहाली से जूझ रहे पाक ने एक बार फिर आईएमएफ के सामने झोली फैलाई और कहा कि, 12 न सही हमें 6 अरब डॉलर ही दे दे। इसके बाद आईएमएफ कुछ शर्तों के साथ कर्ज देने के लिए तैयार हो गया। खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से परेशान पाकिस्तान सरकार की मुश्किलें इससे भी नहीं सुलझ पा रही थीं। जिसके बाद पाकिस्तानी सेना ने एक साल के लिए अपने रक्षा बजट में स्वैच्छिक कटौती की बात कही है।
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता आसिफ गफ़ूर ने ट्वीट कहा, “एक वर्ष के लिए रक्षा बजट में स्वैच्छिक कटौती सुरक्षा की कीमत पर नहीं होगी। हम सभी प्रकार के खतरों के जवाब में प्रभावशाली प्रतिक्रिया देते रहेंगे। तीनों सेवाएं उचित आंतरिक कदमों से कटौती के प्रभाव का प्रबंधन करेंगी। कबायली इलाकों और बलूचिस्तान के विकास में भागीदारी करना महत्वपूर्ण है।”
इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी सेना के इस निर्णय का स्वागत किया है लेकिन ये वही पाकिस्तान है जो कल तक अपने रक्षा बजट को बढ़ाने की बात कर रहा था। मौजूदा वित्त वर्ष में देश के रक्षा बजट में कोई कटौती नहीं करने का फैसला अब पाक सरकार को बदलना पड़ रहा है।
ठीक वैसे ही जैसे पाक ने पहले आईएमएफ की शर्तों को मानने से इंकार कर दिया था लेकिन खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के कारण वो आईएमएफ के आगे झुकने के लिए विवश हो गया था। अब पाकिस्तान के रक्षा बजट में कटौती का फायदा अप्रत्यक्ष तौर पर भारत को होगा। विश्व बैंक की साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धिदर 5.2 फीसद थी जो इस साल यह घटकर 3.4 फीसद पर आ गई। अगले साल इसमें और गिरावट होने का अनुमान है। विशेषज्ञों की मानें तो अगले साल यह 2.7 फीसद रह सकती है। ऐसे में पाकिस्तान की स्थिति आने वाले दिनों में और ज्यादा दयनीय हो सकती है और कहीं न कहीं से तो पाकिस्तान को कटौती करनी ही थी। फिर भी सेना के इस कदम पर पाक अभी अपनी सेना का गुणगान करते हुए यह जता रहा है कि, हमारी सेना सक्षम है।
भारत के 2.4 प्रतिशत की तुलना में पाकिस्तान अपनी जीडीपी का 4 प्रतिशत रक्षा क्षेत्र पर करता है लेकिन पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था से काफी पीछे है। भारत का रक्षा बजट साल 2018 में 66.5 अरब डॉलर था जबकि पाकिस्तान का रक्षा बजट 11.4 अरब डॉलर था। अब ये और ज्यादा कम हो जायेगा। इसके अलावा पहले ही पाकिस्तान में 2009-13 और 2014-18 के बीच हथियारों की खरीदारी में 39 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है और अब इस कटौती से हथियारों की खरीदारी में और गिरावट तय है।
पहले ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तबाही के मुहाने पर खड़ी है। पाकिस्तान,एक तरफ तो चीन के भारी कर्जे तले दबा है, तो वहीं दूसरी तरफ उसपर पहले से आईएमएफ का 5.8 बिलियन डॉलर का कर्ज़ है। इसके अलावा पाक की जीडीपी विकास दर भी इस साल और कम हो सकती है। और तो और आईएमएफ की कड़ी शर्तों के बाद से ही आये दिन पाकिस्तान की मुसीबतें बढ़ती जा रही है। अब रक्षा बजट में कटौती से पाकिस्तान का सशस्त्र बल और कमजोर होगा और ये भारत के लिए एक अच्छी खबर है।