पीएम मोदी ने एक बार फिर मनवाया अपनी विदेश नीति का लोहा

मोदी अमेरिका

दशकों तक भारत की विदेश नीति नेहरुवादी आदर्शवाद पर चलती थी, जिसका मुख्य उद्देश्य था विदेशी सम्बन्धों को मधुर बनाना, चाहे इसके लिए अपना स्वाभिमान ही क्यों न ताक पर रखना पड़े। आदर्शवाद के नाम पर हमारे प्रशासन ने सदैव साम्यवाद एवं सोविएत संघ का समर्थन किया। हमारा देश इसी कारण स्वतन्त्र निर्णय लेने में असमर्थ था और आत्मरक्षा और स्वाभिमान से सम्बंधित किसी भी मसले पर निर्णय लेने से पहले अमेरिका या रूस / सोवियत संघ की राय लेना अवश्यंभावी समझता था।

 हालांकि,  मोदी सरकार की नीतियां इसके विपरीत हैं और ये उनके प्रथम कार्यकाल पर गौर करें तो साफ झलकता भी है। उदाहरण के तौर पर आप बालाकोट और पी ओ के में स्थित आतंकी शिविरों पर हुए हवाई हमलों को ही देख लें जिसकी भनक तक अमेरिका  और बाकी देशों को नहीं थी। उन्हें भी तभी पता चला जब पूरी दुनिया के समक्ष भारत ने इसके बारे में उल्लेख किया।

इसी तरह जब पीएम मोदी हाल ही में जापान में ही रहे जी20 सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिले, तो इस मुलाकात को देखकर किसी को भी नहीं लगा कि अभी हाल में इन दोनों सरकारों में भारत द्वारा अमेरिका से  आयात होने वाले 29 उत्पादों पर लगाये गये टैरिफ को लेकर तनाव चल रहा है।

कल्पना कीजिए कि यदि यहां कांग्रेस की सरकार होती, तब क्या होता? पहले तो वह अमेरिका से विचार विमर्श करती और फिर उनसे हवाई हमलों के लिए स्वीकृति की भीख मांगती। परन्तु मोदी सरकार के लिए विदेश नीति के मामले में आचार्य चाणक्य के सिद्धांत काफी महत्वपूर्ण है। इस नीति के अनुसार किसी भी देश के शासन को यथार्थवाद में विश्वास रखना चाहिए और किसी भी देश से बात करते वक्त राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। यह नेहरू की  विदेश नीति के विपरीत है, जिसके लिए विदेश नीति केवल राष्ट्र के हितों की पूर्ति की बजाए अंतरराष्ट्रीय भले के लिए उपयोग में लाया जाने वाला साधन है।

पहले तो अमेरिका, चीन या रूस जैसे बड़े देशों के प्रमुख के बयान भर से भारत में, विशेषकर नॉर्थ ब्लॉक में हलचल मच जाती थी। परन्तु अब तो ऐसा लगता है मानो मोदी सरकार को ऐसी किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, चाहे वह अमेरिका  का राष्ट्रपति ही क्यों ना हो। उदाहरण के लिए पीएम मोदी से जी20  सम्मेलन में मिलने से पहले डोनाल्ड ट्रंप के इस ट्वीट को ही देख लीजिये:

पर जब वो जी 20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री से मिले तो उनका एक अलग ही रूप देखने को मिला, वो दोस्ती की बड़ी बड़ी बातें करते हुए नजर आये।

पीएम मोदी से मिलने के बाद उन्होंने कहा, ” मैं इस बात को पूरे भरोसे के साथ कह सकता हूं कि हम कई तरीकों से एक साथ काम करेंगे जिसमें सेना और व्यापर दोनों पर चर्चा करेंगे।’ ट्रम्प के इस बदले सुर से स्पष्ट है कि वो प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति से कितने प्रभावित हैं। इससे सिद्ध होता है कि पीएम मोदी का प्रभुत्व संसार भर में कितना मजबूत है। विदेश नीति में उन्होंने तब भी बहुत रुचि दिखाई थी जब वे गुजरात के मुखयमंत्री हुआ करते थे। वो आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन समेत महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी नीतियों से अधिकतर मामलों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एनी देशों का समर्थन पाने में सफल हुए हैं।

आज पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति का लोहा पूरी दुनिया मान रही है। कई प्रमुख हस्तियों एवं विशेषज्ञों ने पीएम मोदी की विदेश नीति को कई मौकों पर सराहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किस तरह से पीएम मोदी ने भारत की स्थिति की मजबूत किया है, इसका उल्लेख विदेश नीति से संबंधित एक आर्टिकल में हर्ष वी पंत ने किया है। इसमें उन्होंने लिखा है, “केवल संतुलन तक सीमित न रखकर पीएम मोदी भारत को एक बड़ी महाशक्ति के रूप में देखना  चाहते हैं। और उनके कैबिनेट से साफ़ पता भी चलता है कि वो इस मुद्दे को लेकर काफी गंभीर हैं।”   

ऐसी ही एक आर्टिकल जिसका शीर्षक  “क्या भारत अब एक वैश्विक शक्ति की तरह अभिनय शुरू करेगा?”, इसमें पाकिस्तान और दक्षिण एशिया की विदेश नीति परिषद में सीनियर फैलो अलिसा आयर्स लिखती हैं कि अब मोदी सरकार एक वैश्विक शक्ति की तरह व्यवहार करने लगी है।   

वैसे ये पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सुझबुझ और सफल नीतियों से देश के स्तर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऊपर उठाया हो या किसी बड़े अंतर्राष्ट्रीय नेता को झुंकने पर मजबूर किया हो। जब डोकलाम के मुद्दे पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने काफी उत्तेजक भाषण दिए और  चीनी मीडिया ने भारत के विरोध में काफी जहर उगला था, तो यह पीएम मोदी की नीतियां ही थीं जिन्होंने ना केवल जिनपिंग को शांत किया, बल्कि स्थिति ऐसी बनाई की पाकिस्तान का परम मित्र कहे जाने चीन भी मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए मजबूर हो गया था। पीएम मोदी ने इसी तरह मीडिया के फैलाए अफवाहों के  बावजूद  कई इस्लामिक देशों के साथ भारत के मधुर संबंध स्थापित किए। यूएई जिस तरह से तेल की आपूर्ति के लिए भारत की मदद के लिए आगे आया वो भी भारत और यूएई के मजबूत होते समबन्धों को दर्शाता है। पीएम मोदी भारत में एक वैश्विक महाशक्ति बनने की योग्यता देखते हैं।  वे चाहते है  कि भारत एक ऐसा देश बने जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों को अपनी अकाट्य रक्षा शक्ति, आर्थिक शक्ति और  सॉफ्ट पॉवर के बल पर एक नई दिशा दे सके।

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