हाल ही में झारखंड में एक बाइक चोरी के मामले ने तब अप्रत्याशित मोड़ ले लिया, जब आरोपी चोर को कथित रूप से आक्रोशित भीड़ ने पीट-पीट के मार डाला। सूत्रों की मानें तो कहा जा रहा है कि पुलिस को सौंपने से पहले आक्रोशित भीड़ ने आरोपी से ‘जय श्री राम’ और ‘जय हनुमान’ के नारे भी लगवाए थे, जिसके कारण हफ्तों से सुस्त पड़े लेफ्ट लिबरल बुद्धिजीवियों को अपना विषैला एजेंडा चलाने का सुनहरा अवसर हाथ लग गया।
स्वरा भास्कर से लेकर अरफा खानम शेरवानी तक, लगभग सभी वामपंथी बुद्धिजीविओं और हस्तियों ने अपने स्वभाव के अनुरूप मृत आरोपी तबरेज़ अंसारी की मौत के लिए मोदी सरकार को दोष देना प्रारम्भ कर दिया। इतना ही नहीं, कठुआ केस के तर्ज पर सभी ने सनातन धर्म और उसके अनुयायियों को लज्जित करने के लिए न केवल पूरे समुदाय को दोषी ठहराया, बल्कि पूरे झारखंड राज्य को ‘लिंचिंग हब’ की पदवी भी दे डाली।
इसी पर प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य भाषा में अपनी प्रतिक्रिया दी, झारखंड के लिंचिंग पर दुःख जताया। लेकिन उन्होंने आगे जो कहा, उसने मोब लिंचिंग के जरिए एजेंडा चलाने वाले बुद्धिजीवी वर्ग को भी कड़ी चेतावनी दी है।
दरअसल, हाल ही में राज्य सभा में चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने झारखंड लिंचिंग केस का उल्लेख किया। इसी पर अपना मत रखते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘झारखंड में लिंचिंग से मुझे काफी दुख हुआ है। इससे बाकी लोग भी दुखी हुए हैं। लेकिन राज्य सभा में कुछ लोगों ने झारखंड को लिंचिंग का गढ़ बताया है। क्या यह उचित है? आप एक राज्य का कैसे अपमान कर सकते हैं? हम में से किसी को भी अकारण झारखंड का अपमान करने का अधिकार नहीं है।‘
झारखंड लिंचिंग केस में मीडिया का एलिट वर्ग एक बार फिर इस मामले का इस्तेमाल सनातन धर्म और केंद्र सरकार के विरुद्ध अपने विषैले एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए कर रहा है। इसका प्रमाण इनके ‘से नो टू जय श्री राम’ नामक ट्विट्टर ट्रेंड से साफ सिद्ध होता है। अपने अंधविरोध में वे ये भी भूल गए कि मृत व्यक्ति कोई निर्दोष व्यक्ति नहीं, बल्कि कथित तौर पर एक बाइक चोर था। यदि सूत्रों की माने, तो पुलिस को सौंपने के समय तबरेज़ मृत में नहीं था , जिससे अब इस केस की गुत्थी कठुआ समान पेचीदा हो चुकी है।
ऐसा पहला अवसर नहीं है जब पीएम मोदी ने ऐसे भ्रामक घटनाओं की निंदा नहीं की है। परंतु इस बार यदि कुछ अलग है तो वो है पीएम मोदी की प्रतिक्रिया। कठुआ केस में पीएम मोदी ने बिना लाग लपेट इस घटना की भर्त्सना की थी, परंतु उन्होंने लेफ्ट लिबरल्स द्वारा सनातनियों को अपमानित करने का उल्लेख नहीं किया था। इसी तरह उन्होंने गौ रक्षकों के अतिवाद की निंदा करते वक्त गौतस्करों पर कुछ भी नहीं बोला, जो कई हिंदुओं को सही नहीं लगा था। प्रज्ञा सिंह ठाकुर के मामले में भी उन्होंने प्रज्ञा को निस्संकोच उनके बयान के लिए लताड़ा था।
इस बार पीएम मोदी ने जहां एक तरफ झारखंड में लिंचिंग की भर्त्सना की, लेकिन एजेंडा चलाने वालों को भी कड़ी चेतावनी दी कि ऐसी घटनाओं से पूरे राज्य अथवा पूरे समुदाय पर लांछन लगाया जाना उचित नहीं है। सीधे शब्दों में पीएम मोदी ने साफ कर दिया है कि कठुआ मामले की तरह ही इस मामले में प्रोपगैंडा अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस बयान से स्पष्ट है कि अब वो गलत कहने और करने वालों को सीधा जवाब देंगे, और प्रोपेगंडा चलाने वालों को भी नहीं बक्शा जायेगा।