2019 के आम चुनाव में करारी हार के बाद भी कांग्रेस की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। 134 वर्ष पुरानी यह पार्टी अब विचलित दिखाई देती है और पार्टी में नेतृत्व संकट का दौर शुरू हो हो गया है। मल्लिकार्जुन खड़गे, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे बड़े और कद्दावर नेता अपने गढ़ माने जाने वाले लोकसभा क्षेत्र से हार चुके है। यहां तक कि कांग्रेस की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाने वाली अमेठी को भी राहुल गांधी ने स्मृति ईरानी के हाथों गंवा दिया। कांग्रेस को भारी-भरकर चुनाव प्रचार के बाद भी सिर्फ 52 सीटें मिली।
चुनावी हार के तुरंत बाद कांग्रेस में इस्तीफे की होड़ मच गयी। विभिन्न राज्य के प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष के बाद राहुल गांधी के इस्तीफे की खबरें सामने आयीं थी। हालांकि कांग्रेस के केंद्रीय कार्यकारिणी कमिटी ने राहुल के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़े को अस्वीकार कर दिया था। गांधी परिवार के वफ़ादारों से भरी केंद्रीय कार्यकारिणी से यही उम्मीद भी थी। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष अपने इस्तीफे पर अड़े रहे और यह ड्रामा चुनाव खत्म होने के एक महीने बाद भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
अब एक नयी रिपोर्ट सामने आई है जिसमें यह लिखा है प्रियंका गांधी वर्ष 2024 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद की दावेदार हो सकती हैं। और ऐसे में राहुल गांधी का त्यागपत्र पार्टी में प्रियंका गांधी के कद को ऊपर उठाने और प्रधानमंत्री पद को अपने परिवार के पास ही रखने का बस एक ड्रामा नजर आ रहा है।
पत्रकार और कांग्रेस पर एक किताब के लेखक राशिद किदवई ने हाल में एक लेख लिखा कि यह प्लान अभी गोपनीय है लेकिन पार्टी में किसी से छिपा नहीं है। और जहां तक राहुल गांधी के भविष्य का सवाल है, वह कांग्रेस पार्टी के विचारक के तौर पर पार्टी में रहेंगे। लेखक राशिद ने लिखा,’ राहुल गांधी को बिना किसी ऑफिस के सुप्रीम नेता का रोल मिलेगा जो एक विचारक की भूमिका में होंगे।‘
राहुल गांधी के इस्तीफे और कांग्रेस द्वारा मीडिया का बहिष्कार का ड्रामा देखकर यह साफ हो गया है कि यह नाटक सिर्फ गांधी परिवार की कांग्रेस पार्टी में वर्चस्वता बनाए रखने के लिए ही किया गया है ताकि इस परिवार की गलतियों को छिपाया जा सके।
इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि राहुल गांधी की जगह किसी गैर-गांधी का पार्टी अध्यक्ष बनना मतलब गांधी-नेहरू परिवार की पार्टी पर से पकड़ को कमज़ोर करना होगा। हाल ही की मीडिया रिपोर्ट्स में अशोक गहलोत को अगला अध्यक्ष बनाने की आशंका जताई गयी थी। यह अनुमान अच्छे परिणाम भी ला सकता है क्योंकि गहलोत के केंद्रीय राजनीति में आने से राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के सीएम बनने की राह आसान हो जाएगी, और हो सकता है की इस युवा नेता के शीर्ष पद पर आसीन होने से गहलोत और उनके बीच का समीकरण भी बदल जाए।
रिपोर्ट के अनुसार राहुल गांधी ने अपने त्यागपत्र के साथ एक शर्त भी रखी थी कि किसी भी गांधी परिवार को अध्यक्ष पद पर नियुक्त नहीं किया जाएगा। यह रणनीति भी प्रियंका गांधी को 2024 आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार बनाने का एक हिस्सा नज़र आ रही है। अब यह तो वक़्त ही बताएगा कि किसे कौन सा पद मिलेगा। लेकिन यह तय है कि इस ड्रामे को भी जनता ध्यान से देख रही है और वह अगले आम चुनाव में भी कांग्रेस के इस झांसे में नहीं आने वाली है।