आम आदमी के सामने पुलिस का नाम आते ही एक रौबदार कड़क आवाज, के साथ मुछों वाला एक व्यक्ति की छवि सामने आती है। यूपी पुलिस पिछले दशक में अपनी अक्षमताओं के लिए आलोचना झेलती आ रही है। लेकिन कुछ ऐसे उदाहरण भी हैं, जहां वे जिम्मेदार नहीं थे फिर भी उन्हें निशाने पर लिया गया है। तब यूपी पुलिस ने अपना धैर्य नहीं खोया और शांत तरीके से इन मामलों को संभाला। और झूठी खबरों का खंडन किया।
एक बार फिर से यूपी पुलिस पर झूठे आरोप मढ़ने लगी तो उत्त्तर प्रदेश पुलिस ने इसका कड़ा जवाब दिया है। दरअसल, जब चिन्मयी श्रीपदा ने इंडिया टाइम्स द्वारा साझा किए गए एक लेख का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस पर एक गैंगरेप पीड़िता के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया –
लेकिन यह खबर पुरानी निकली जो दिल्ली पुलिस द्वारा की गई जांच के बाद फर्जी भी निकली थी। इस पर जानकारी देते हुये, यूपी पुलिस ने निम्नलिखित विवरण पोस्ट किया –
#MeToo आंदोलन से चर्चा में आई दक्षिण सिनेमा की जानी-मानी प्लेबैक सिंगर चिन्मयी श्रीपदा यहीं नहीं रुकी। उन्होनें यूपी पुलिस पर आगे आरोप लगाया कि पुलिस आरोपी को बचा रही है। लेकिन वह भूल गयी कि कैसे उनके जैसे लोगों ने चुप्पी साध ली थी जब फिल्ममेकर निष्ठा जैन ने जाने-माने पत्रकार विनोद दुआ पर यौन उत्पीड़न करने और stalking का आरोप लगाया था।
हालांकि, उत्तर प्रदेश पुलिस ने चिन्मयी को उस झूठी खबर की जांच को सामने रखा। और उन्हें यह भी बताया कि एक महिला को इस मामले में पुलिस को गुमराह करने के लिए गिरफ्तार भी किया गया है।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब यूपी पुलिस के खिलाफ इस तरह से फेक न्यूज़ फैलाया गया हो। इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने अफवाह फैलाई थी कि ‘यूपी पुलिस के डीजीपी ने यह माना है कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने सुरेंद्र सिंह की हत्या की है।’ सुरेंद्र सिंह एक भाजपा कार्यकर्ता थे, जिन्हें स्मृति ईरानी का करीबी माना जाता था, और चुनाव के नतीजों के बाद उनकी हत्या कर दी गई थी। जब कांग्रेस समर्थक और कथित राजनीतिक सलाहकार गौरव पांधी ने इस विषय पर उनका समर्थन किया, तो यूपी पुलिस ने उन्हें सामान्य ज्ञान का पाठ पढ़ाया था। इसके साथ ही दोनों को सुरेंद्र सिंह की हत्या के मामले में झूठी अफवाहें फैलाने के जुर्म में कानूनी कार्रवाई के लिए अमेठी पुलिस को निर्देश दिया था।
Your tweet regarding murder in Amethi is a deliberate distortion of facts. In the article used in yr tweet/elsewhere DGP UP OP Singh has not attributed the murder to members of any political party
We have forwarded your tweet to Amethi police for legal action for spreading rumour https://t.co/ltf0trS0NP— UP POLICE (@Uppolice) May 30, 2019
.@GauravPandhi deletion of such misleading tweets will not be of any help.
An FIR regarding the same has been lodged by @amethipolice yesterday itself.
This will be followed by a threadbare investigation & consequent legal action
We request everyone not to misquote us anywhere! https://t.co/CbwNsCeq46 pic.twitter.com/IKRQiNbdq0— UP POLICE (@Uppolice) May 30, 2019
एक साल पहले, जब पत्रकार राहुल कंवल ने यूपी के मुठभेड़ों को ‘फर्जी’ करार दिया और ऐसे ही एक ‘पीड़ित’ के साथ सहानुभूति रखने की कोशिश की, तो मेरठ के ADG को दखल देकर उनकी आलोचना करनी पड़ी थी। राहुल कंवल का ये पोस्ट शर्मनाक था और पीड़ितों का मजाक उड़ाने जैसा था।
What a blunder and an unexpected tweet ! U shd have verified the facts of the cases from the rape victims, young girls n women who suffered trauma at the hands of these dreaded criminals, if not from police!
— ADG ZONE MEERUT (@adgzonemeerut) April 4, 2018
वास्तव में जब यूपी पुलिस को बदनाम करने के लिए लेफ्ट लिबरल्स कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, यह देखना सराहनीय है कि यूपी पुलिस अपराध मुक्त यूपी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए हुए है। हालांकि, यह चिन्मयी श्रीपदा जैसे लोगों पर भी गंभीर सवाल उठाता है, जो पुरानी और भ्रामक खबरों के आधार पर अफवाहें फैलाते हैं, और पुलिस अधिकारियों द्वारा बुलाए जाने पर भी अपनी गलती स्वीकार नहीं करते हैं।