हाल ही में मॉडल एवं पूर्व मिस इंडिया यूनिवर्स उशोशी सेन गुप्ता पर बाइक-सवार बदमाशों ने न केवल हमला किया, बल्कि उन्हें गाड़ी से बाहर निकालकर बदतमीजी भी की। इतना ही नहीं, शेख रहित, फ़रदीन खान, शेख साबिर अली, शेख ग़नी, शेख इमरान अली, शेख वसीम और आतिफ खान उर्फ मो. समसाद ने उशोशी के कैब पर पथराव करते हुए गाड़ी के चालक को भी गंभीर रूप से घायल कर दिया। हालांकि, इस मामले के सामने आने के बाद पुलिस ने मामले पर संज्ञान लेते हुए शेख रहित, फरदीन खान, शेख सबीर अली, शेख गनी, शेख इमरान अली, शेख वसीम और आतिफ खान नाम के सात युवकों को गिरफ्तार कर लिया है।
उशोशी ने उक्त घटना को फ़ेसबुक पर अपने दर्द को बयां करते हुए लिखा,” सोमवार को रात करीब 11.40 पर अपना काम खत्म करके JW मैरियट होटल से अपने घर वापिस जाने के लिए उबर टैक्सी ली। मैं अपने सहयोगी के साथ वापिस जा रही थी। एक्साइड क्रॉसिंग से एल्गिन की तरफ हम बाएं मुड़े तभी बाइक पर बिना हेलमेट के कुछ लड़के आए और हमारी उबर को टक्कर मारी।“
थोड़ी ही देर में वे अपनी बाइक रोकते हुए आए और ड्राईवर पर चिल्लाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते 15 लड़के इकट्ठा हो गए और गाड़ी पर हमला कर दिया। वे ड्राईवर को बाहर निकालकर उसे पीटने लगे। मैं बाहर निकलकर चिल्लाने लगी और उनका विडियो बनाना शुरू कर दिया। मैं तुरंत सामने के ‘मैदान पुलिस स्टेशन’ की तरफ भागी, जहां खड़े एक अफसर से मैंने सहायता की प्रार्थना की। लेकिन उसने इसलिए आने से मना कर दिया, क्योंकि ये मामला ‘भवानीपुर पुलिस थाने’ के अंतर्गत आता था। यहीं पर मेरे सब्र का बांध टूट गया और उनसे प्रार्थना की वे आए वरना वो लड़के ड्राईवर को मार डालेंगे।
तब जाकर उन्होनें मोर्चा संभाला और उन लड़कों से सख्ती से बात की। इसपर वे लड़के उन्हें धक्का देके भाग खड़े दिये। जब सब खत्म हुआ, तब भवानीपुर से दो पुलिस अफसर आए। चूंकि 12 बज चुके थे, इसलिए मैंने ड्राईवर से निवेदन किया कि वो मुझे और मेरे सहयोगी को घर छोड़ दे। मैंने इस मामले पर सुबह उचित कदम उठाना बेहतर समझा।“
पूर्व मिस इंडिया यूनिवर्स उशोशी सेन गुप्ता ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, “जब हम घटनास्थल निकले तो फिर से लड़कों ने हमारा पीछा करना शुरू कर दिया. जब मैं अपने फ्रेंड को ड्रॉप कर रही थी, इन लड़कों ने गाड़ी पर पत्थर बरसाते हुए पहले उसके शीशे तोड़े। फिर मुझे बाहर घसीटते हुए इन्होनें वो विडियो हटाने के लिए मेरा फोन तोड़ने का प्रयास किया। मेरा फ्रेंड मारे डर के चीख पड़ा और गाड़ी से बाहर कूद गया। इससे मुझे गहरा झटका लगा और मेरी चीख़ से कुछ स्थानीय लोग मदद को आगे आए।”
पर इस हमले में उशोशी के कैब का ड्राईवर गंभीर रूप से घायल हो गया था। उस समय जब उशोषी ने इन बदमाशों के खिलाफपुलिस में शिकायत दर्ज़ कराने का प्रयास किया, तो उनके रवैये से वे अपना आपा खो बैठी। उनके पोस्ट के अनुसार,’पहले पुलिस वालों ने मुझे ‘चारु मार्केट पुलिस स्टेशन’ में एफ़आईआर दर्ज़ करने को कहा। वहां पहुंची, तो थाने में उपस्थित सब-इंस्पेक्टर ने कहा था कि मेरी शिकायत केवल ‘भवानीपुर पुलिस स्टेशन’ पर ही दर्ज़ होगी।‘
‘उस वक्त डेढ़ बज रहे थे, और थाने में कोई महिला अफसर भी नहीं थी। मेरा धैर्य जवाब दे रहा था, और मैं चीखने चिल्लाने लगी। फिर कई सवाल करने के बाद उन्होंने कहा कि एक ही शिकायत पर दो एफ़आईआर नहीं दर्ज़ हो सकती। इसे विधि के विरुद्ध बताते हुए मेरे कैब के ड्राईवर की शिकायत भी लेने से ही मना कर दिया।”
उशोशी सेन गुप्ता के इस पोस्ट से पूरे सोश्ल मीडिया पर बंगाल प्रशासन की निष्क्रियता के विरुद्ध आक्रोश उमड़ पड़ा है। इसके फलस्वरूप कोलकाता पुलिस को आखिरकार कार्रवाई करनी पड़ी, और कुछ ही घंटों में शेख रहित, फ़रदीन खान, शेख साबिर अली, शेख ग़नी, शेख इमरान अली, शेख वसीम और आतिफ खान उर्फ मो॰ समसाद को हिरासत में ले लिया गया। फिलहाल, उन्हें न्यायालय में पेशी होने तक हिरासत में रखा गया है, परंतु इस घटना से पश्चिम बंगाल प्रशासन, विशेषकर राज्य की पुलिस की प्रतिष्ठा पर भी गहरा सवाल उठता है।
हालांकि, यह पहला अवसर नहीं है जब शेख रहित, फ़रदीन खान जैसे अपराधियों के खिलाफ राज्य की पुलिस ने ढीला-ढाला रवैया दिखाया हो। वर्ष 2016 से चाहे दंगा हो, या यौन शोषण, या फिर विपक्षी कार्यकर्ताओं पर घातक हमले हो, पश्चिम बंगाल की पुलिस अपराधियों को पकड़ने में असफल ही रही है। हाल ही में एनआरएस अस्पताल के प्रशासन पर हुए हमले में कोलकाता पुलिस के लचर प्रदर्शन से ये बात तो और भी मुखर हो जाती है। हमलावरों पर कोई एक्शन लेने के बजाए पीड़ित डॉक्टरों पर ही कार्रवाई कर राज्य पुलिस ने चाहे अनचाहे एक देशव्यापी आंदोलन को हवा दे दी। रही सही कसर तो ममता बनर्जी के बड़बोले स्वभाव ने पूरी कर दी।
कई लोगों का तो मानना है कि खुद पुलिस की इन अपराधियों से सांठ-गांठ है। अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो भगवान ही जाने, लेकिन उशोशी सेन गुप्ता के मामले में कोलकाता पुलिस के रवैये से इनकी छवि में सुधार तो बिलकुल नहीं प्रतीत होता। इन घटनाओं से स्वयं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार में कानून व्यवस्था पर कई सवाल खड़े होते हैं। अगर यही हाल रहा तो 2021 में विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी के लिए राह और भी ज्यादा मुश्किल होने वाली है।