अब कथित ‘असहिष्णुता’ मुद्दे पर लेफ्ट लिबरल्स की पोल खोलने के लिए पूर्व सैनिक स्वयं सामने आए हैं। हाल ही में 49 फिल्मी हस्तियों एवं बुद्धिजीवियों द्वारा मॉब लिंचिंग के विरोध में पीएम मोदी को लिखे गए पत्र के जवाब में देश की सेना के 112 पूर्व अधिकारी सामने आये हैं. इन अधिकारीयों ने पीएम मोदी को एक सार्वजनिक पत्र लिखते हुए 49 बुद्धिजीवियों को उनकी चयनात्मक आलोचना के लिए जमकर लताड़ा है। इसके साथ ये भी बताया कि ये 49 हस्तियां देश के लिए चिंतित होने से ज़्यादा देश के शत्रुओं को खुश करने में व्यस्त हैं।
आपको बता दें कि अनुराग कश्यप, रामचंद्र गुहा, कोंकोणा सेन शर्मा एवं अपर्णा सेन समेत 49 हस्तियों ने कथित रूप से दलितों एवं अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हो रही हिंसक गतिविधियों के विरोध में प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखते हुए त्वरित कार्रवाई की मांग की। लेकिन इसी पत्र में उनका वास्तविक एजेंडा तब उजागर हुआ, जब उन्होंने ‘जय श्री राम’ के नारे को एक ‘उत्तेजक युद्धघोष’ करार दिया।
इसके बाद इन अवसरवादियों के पत्र के खिलाफ गीतकार प्रसून जोशी, अभिनेत्री कंगना रनौत, नृत्यांगना सोनल मनसिंह, निर्देशक विवेक अग्निहोत्री समेत 62 फिल्मी हस्तियां एकसाथ आयीं और पीएम मोदी को एक ओपन लेटर के जरिये इन लोगों के झांसे में न आने की बात कही थी।
अब इस मामले में देश की सेना के 112 पूर्व अधिकारियों के संगठन भी सामने आये हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को ओपन लेटर लिखा है। इस पत्र के जरिये सेना के पूर्व अधिकारियों ने ‘एकतरफा एवं चयनात्मक’ करार दिया है। इन सभी ने कहा है कि ‘दुर्भाग्यवश भारतीय साहित्य एवं सिनेमा कुछ ऐसे लोगों की गिरफ्त में है, जो देश की समस्याओं को सुलझाने की बजाए देश के शत्रुओं को खुश करना ज़्यादा उचित समझते हैं।‘
पत्र के एक अंश के अनुसार, “हमारे बीच कुछ ऐसे लोग हैं जो देशविरोधी हैं और ये हमारे देश के दुश्मन हैं। लेकिन अब हम उन्हें जानने पहचानने भी लगे हैं। इससे ज़्यादा शर्म की बात क्या होगी कि जब पूरा देश चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण की अभूतपूर्व उपलब्धि का जश्न मना रहा था तब इन लोगों ने इस पत्र को सार्वजनिककिया था। इन लोगों ने विश्व भर में भारत को नीचा दिखाने का घटिया प्रयास किया है।
“हम लोगों को बहुत पहले से पता है कि भारतीय सिनेमा वांछित अपराधियों और सनातन धर्म के विरोधियों की चपेट में है। ये पत्र इसी बात को सत्यापित करता है। या तो ये लोग हिन्दू विरोधी हैं, या फिर भारत विरोधी, और इनका एकमात्र उद्देश्य भारत की जनता को भ्रमित करना है और देश की प्रगतिशील छवि को नुकसान पहुंचाने के अवसरों की तलाश करना है। “
यही नहीं, इन पूर्व सैन्य अधिकारियों ने जय श्री राम के नारे को उत्तेजक घोषित करने के लिए इन लेफ्ट लिबरल्स को आड़े हाथों लिया। इसी पत्र के एक अन्य अंश के अनुसार, “हमें दुख है कि हमारे देश के ही कुछ बुद्धिजीवियों ने “जय श्री राम” को भी नहीं छोड़ा। हम “श्री राम” से धैर्य और विश्वास की प्रेरणा लेते हैं। श्री राम हजारों वर्षों से इस देश की आत्मा का केंद्रबिन्दु रहे हैं। ये श्री राम में हमारे संयम और आस्था की ही कृपा है कि हम 1000 वर्षों से भी विदेशी आक्रांताओं से सफलतापूर्वक अपने देश की रक्षा कर पाये हैं।
हम सैनिक सभी धर्मों का सम्मान करते हुए इस देश के लिए लड़ते हैं। परंतु जब कोई बहुसंख्यकों की आस्था का अपमान करता है, तो हमें बुरा लगता है। ऐसे में हमारे सैन्य नेतृत्व के लिए सैनिकों का मनोबल बढ़ाए रखना काफी कठिन हो जाता है। जिस सैनिक के धर्म पर हमला किया जाता है, वह आहत महसूस करता है”।
इस पत्र में आगे कहा गया है कि हम प्रधानमंत्री से ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध करते हैं जो हमारे देश का नाम खराब करना चाहते हैं। ये सभी निश्चित रूप से अराजकतावादी हैं और हम अपने देश के नागरिकों से अनुरोध करते हैं कि वह इनके नापाक मंसूबों को समझें और इनकी सस्ती राजनीतिक महत्वाकांक्षा का खुलकर विरोध करे।“
इस पत्र से स्पष्ट है ये असहिष्णु गैंग मोदी विरोध में किस स्तर तक जा सकते हैं। इनके लिए देश और सेना दोनों का ही कोई महत्व नहीं है और अगर ऐसा होता तो ये लोग इस तरह से आये दिन देश को बांटने और आम जनता को भड़काने का काम नहीं करते।
हम 112 पूर्व सैनिकों के इस मुखर विरोध की प्रशंसा करते हैं, जिन्होंने एक बार फिर से देशहित के लिए इन छद्म बुद्धिजीवियों को शिष्टाचार का पाठ पढ़ाया है। यदि ऐसा ही चलता रहा, तो एक समय ऐसा भी आएगा, कि इन लेफ्ट लिबरल्स की बातों का कोई महत्व नहीं रह जाएगा, और वे उपहास का पात्र बनकर ही रह जाएंगे।