अरबपति आदि गोदरेज की ‘असहिष्णुता’ वाले राग का अरबपति मोहनदास पाई ने दिया तथ्यों से जवाब

आदि गोदरेज

क्या भारत एक असहिष्णु देश बनता जा रहा है? क्या भारत के लोगों में सहनशीलता खत्म होती जा रही है? ये सवाल कोई नया नहीं है और बुद्धिजीवी और असहिष्णु गैंग बार-बार भारत पर इस प्रकार के लांछन लगाते रहते हैं। हालांकि, पिछले दिनों गोदरेज समूह के अध्यक्ष आदि गोदरेज भी इस गैंग के एजेंडे में फंसते नज़र आए। उन्होंने भारत में कथित रूप से बढ़ रही ‘असहिष्णुता’ और ‘महिलाओं के खिलाफ हिंसा’ के हवाले से कहा कि ये घटनाएं भारत के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। आदि गोदरेज की इस बात का समर्थन करते हुए बायोकॉन समूह की अध्यक्ष किरण मजूमदार-शॉ ने एक ट्वीट किया और भारत में बढ़ रही हिंसा पर अपनी चिंता जाहिर की। हालांकि, इन दोनों को इन्फोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी मोहनदास पाई ने करारा जवाब दिया और इन दोनों को ‘गलत तथ्यों’ से बचने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने एनडीटीवी ग्रुप को भी निशाने पर लिया और उसपर एजेंडा चलाने का आरोप लगाया।

दरअसल, आदि गोदरेज ने अपने बयान में कहा था कि देश में बढ़ती असहिष्णुता और अपराधों से भारत के आर्थिक विकास को गहरा झटका पहुंच सकता है। इसी बात को समर्थन करते हुए किरण मजूमदार-शॉ ने एनडीटीवी की एक रिपोर्ट को शेयर करते हुए एक ट्वीट में लिखा ‘आदि गोदरेज ने सही कहा’। दोनों उद्योगपतियों ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत में अपराध दर बढ़ रहा है और देश में असहिष्णुता अपने उच्चतम स्तर पर है, जिससे देश को नुकसान होगा। हालांकि, मोहनदास पाई ने इनसे अलग हटकर अपनी राय रखी। पाई ने ट्वीट किया ‘तो आप एनडीटीवी के एजेंडे का शिकार बन रही हैं किरण! ट्वीट करने से पहले कृपया डाटा देख लें। आनंद रंगनाथन ने इस डाटा को सबके सामने रखा है। एनडीटीवी एकतरफा एजेंडा फैलाता है, कृपया इससे बचें’।

इसके बाद किरण ने जवाब देते हुए एक और ट्वीट किया और लिखा कि ‘भारत की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है और हमें इसे नहीं नकारना चाहिए’। हालांकि, मोहनदास पाई ने शॉ की इस बात का जवाब भी तथ्यों के साथ दिया। उन्होंने ट्वीट किया ‘हमने चौथे क्वार्टर में 6% की दर से विकास किया, हां ये कम है, लेकिन अभी विश्व सिर्फ 3.5 प्रतिशत की दर से विकास कर रहा है।  हम बेवजह नकारात्मकता क्यों फैला रहे हैं? क्या हमें ऐसा करना चाहिए? भारत को गाली देना?

मोहनदास पाई ने एक तरफ जहां भारत में कथित रूप से बढ़ रही असहिष्णुता की खबरों का खंडन किया तो वहीं एनडीटीवी जैसे एजेंडावादी मीडिया समूहों पर भी प्रहार किया है। खबरों में कम्यूनल एंगल ढूंढकर तोड़-मरोड़ कर पेश करना एनडीटीवी की आदत बन चुकी है। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2017 में एनडीटीवी ने जुनैद हत्याकांड में जान-बूझकर कम्यूनल एंगल ढूंढकर इसे धर्म से जुड़ा मामला बताया था, लेकिन बाद में कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि यह मामला धर्म से जुड़ा नहीं था और विवाद सीट को लेकर हुआ था। हालांकि, यहां मोहनदास पाई की बात पर गौर करने की ज़रूरत है। मोहनदास पाई ने भारत की सही तस्वीर को सबके सामने रखकर बुद्धिजीवी गैंग के एजेंडे को धराशायी किया है, और इसके लिए उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए।

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