कल लोकसभा में आतंकवाद के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम संशोधन बिल 2019 पास हुआ। इस संशोधन के बाद देश को नुकसान पहुँचाने वली गतिविधियों के खिलाफ लड़ने के लिए सरकार और आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों को ज्यादा अधिकार प्राप्त हो सकेंगे। इसके अलावा इस संशोधन के बाद सरकार किसी व्यक्ति विशेष को आतंकी घोषित करने के लिए सशक्त हो जाएगी। बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष द्वारा इसका विरोध किया गया और सरकार की मंशा पर सवाल उठाए गए, हालांकि गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला और बताया कि उनकी सरकार किसी भी सूरत में देश के अर्बन नक्सलियों के प्रति नर्म रुख नहीं दिखाएगी और सभी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस बिल का विरोध करने के लिए बेतुका बयान दिया। उन्होंने सवाल उठाए कि देश में देशविरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए कानून को कठोर करने की आवश्यकता है। इस पर अमित शाह ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि ‘यह कानून वर्ष 1967 में इन्दिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार लेकर आई थी और वे सिर्फ संशोधन लेकर आ रहे हैं।‘ मनीष तिवारी ने सरकार पर निजता का हनन करने का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि ‘सरकार के पास किसी के भी कंप्यूटर में झांकने का कोई अधिकार नहीं है और यह आईटी एक्ट का उल्लंघन है।‘ इसके जबाब में अमित शाह ने उन्हें बताया कि ‘आईटी एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त है, तो पुलिस को उसके कंप्यूटर में घुसने का पूरा अधिकार है। ‘
अमित शाह ने बिल पर चर्चा के दौरान देश में आतंक फैलाने और इसकी विचारधारा का समर्थन करने वालों को भी जमकर लताड़ा। उन्होंने कहा कि आतंक को रोकने के लिए इनके विचारों पर प्रहार करने की आवश्यकता है। अमित शाह ने कहा ‘आप किसी संस्था को आतंकी घोषित कर देते हो, लेकिन संस्था को चलाने वाला व्यक्ति फिर दोबारा किसी नए संगठन को स्थापित कर लेता है, इसलिए हमें उस व्यक्ति को टेररिस्ट घोषित करने का प्रावधान बनाना चाहिए’।
इसी के साथ उन्होंने अर्बन नक्सलियों को भी आड़े हाथों लिया। शाह ने कहा कि पिछली सरकारों के समय वैचारिक आंदोलन के नाम पर वामपंथी उग्रवाद को जमकर बढ़ावा दिया गया, लेकिन उनकी सरकार किसी भी सूरत में इस वामपंथी उग्रवाद को बर्दाश्त नहीं करेगी। शाह ने आगे कहा कि सिर्फ गोली चलाने वाली लोग ही आतंकी नहीं होते, बल्कि उग्रवादी साहित्य और विचारों के माध्यम से अपनी प्रदूषोत सोच फैलाने वाले लोग भी आतंकियों की श्रेणी में आते हैं। इसलिए सरकार ऐसे लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई चाहती है।
बता दें कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल से ही इन अर्बन नक्सलियों पर कड़ा प्रहार जारी है। पिछले वर्ष अगस्त में भी सरकार ने ऐसे शहरी नक्सलियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए कई बुद्धिजीवी नक्सलियों को अपने रडार पर लिया था। उस वक्त गौतम नवलखा, वरवर राव, सुधा भारद्वाज और वर्णन गोन्साल्वेज जैसे वामपंथियों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन इसके तुरंत बाद देश का लेफ्ट लिबरल गैंग एक्टिव हो गया था और सरकार पर तानाशाही के आरोप लगना शुरू हो गए थे। यहां तक कि कांग्रेस भी इन सभी लोगों के बचाव में आ गयी थी।
The draconian arrests of Sudha Bharadwaj, Arun Fereira and Vernon Gonsalves & other human rights activists further substantiate the anti-democratic actions of the ruling govt. PM Modi’s ‘New India’ is nothing but a dictatorship wrapped in expensive advertising. #BhimaKoregaon
— Congress (@INCIndia) August 28, 2018
हालांकि, सरकार द्वारा ऐसे बुद्धिजीवी वर्ग के दबाव में आकर अपने रुख में बदलाव करने का कोई विचार नहीं है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जब से अमित शाह गृह मंत्री बने हैं, तभी से इन अर्बन नक्सलियों के होश उड़े हुए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अमित शाह के नेतृत्व में ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई होना निश्चित है। कल लोकसभा में अपने बयान से अमित शाह यह स्पष्ट रूप से जता भी चुके हैं। ऐसी मानसिकता वाले लोगों से भारत की सुरक्षा को बड़ा खतरा है और इसलिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम संशोधन बिल का लोकसभा में पास होना देशवासियों के लिए एक अच्छी खबर है। हमें उम्मीद है कि अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय द्वारा देशहित में बड़े कदम उठाने का सिलसिला ऐसे ही जारी रहेगा।