‘उनके बच्चे बाहर पढ़ें और कश्मीरी बच्चे पत्थरबाज़ी करें?’ अमित शाह ने अलगाववादियों की बखियां उधेड़ कर रख दी

(PC : Hindustan Times )

जम्मू-कश्मीर में किस तरह से अलगावादी नेता युवाओं का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए करते हैं, इसका खुलासा कई रिपोर्ट्स में हुआ है लेकिन यही नेता अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उन्हें कश्मीर की राजनीति और हिंसा से दूर रखते हैं तथा पढ़ने विदेश भेजते है।

इन नेताओं के बच्चे विदेश में रहते हैं और आराम की जिंदगी जी रहे हैं, लेकिन इन अलगाववादियों ने कश्मीर के युवाओं को मुख्यधारा से वंचित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। । ये नेता कश्मीर के युवाओं को बरगलाते हैं और सड़कों पर उतरने की अपील करते हैं तथा इस्लाम के नाम पर घाटी में आंदोलन चलाते हैं।

राज्यसभा में सांविधिक प्रस्ताव और आरक्षण विधेयक दोनों बिल को सदन में पेश करते समय अमित शाह ने अलगाववादियों के कच्चे चिट्टे खोल कर रख दिया थे। उन्होंने नाम लिए बिना बताया कि कैसे अलगाववादी नेता अपने बच्चो को विदेश में पढाते है और कश्मीरियों को गुमराह कर हाथ में पत्थर और बंदूक थमा देते है। उन्होंने संसद में कहा कि उनके पास 130 हुर्रियत नेताओं का लेखा जोखा है जिन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए विदेश भेज रखा है। दूसरी तरफ ये अलगाववादी स्कूली बच्चों को पत्थरबाजी के लिए उकसाते हैं और स्कूलों को जबरन बंद कराते हैं। 

उन्होनें कहा“130 अलग-अलग लोगों के बेटे-बेटियां बाहर पढ़ रहे हैं औऱ यहां पर स्कूल बंद करा दिये। हाइयर सेकेंड्री स्कूल बंद करा दिये। कॉलेजों को बंद करा दिया गया, लाइब्रेरी जला दीं। मैं घाटी के युवाओं को कहना चाहता हूं, इनसे गुमराह मत होइये।”

गृह मंत्री के इस बयान से यह तो स्पष्ट है कि यह नेता पाकिस्तान से मिलने वाले फंड से हमारे देश को बांटने और कश्मीरी युवाओं का इस्तेमाल अपने राजनीतिक हित के लिए करते हैं। लेकिन अपने बच्चों को हिंसा से कोसो दूर रखते हैं। काफी समय तक कश्मीर के युवा भी इन नेताओं के असली चेहरे को देखने और समझने में असमर्थ रहे थे। लेकिन मोदी सरकार के आने और अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई होने से इनके घटिया और देश-विरोधी राजनीति का पर्दाफ़ाश हुआ है। और लोगों को उनकी सच्चाई का पता चला है। अब लोगों को समझना है कि देश विरोधी राजनीति करने वाले नेताओं का बहिष्कार करना ही सभी के हित में है।

अलगाववादियों के मुखिया सैयद अली शाह गिलानी का बडा बेटा नईम तथा बहू बजिया पाकिस्तान के रावलपिंडी में डॉक्टर हैं। छोटा बेटा जहूर परिवार के साथ दिल्ली में रहता है। बेटी फरहत जेद्दाह में रहती है,और वे वहां पर टीचर है। भाई गुलाम नवी लंदन में रहता है। गिलानी का पोता ताबुश गिलानी 2012 तक जेट एयरेवज़ में काम करता था, अब दुबई में शानदार बंगले में रहता है। गिलानी का दूसरा पोता अनीस उल इस्लाम जम्मू कश्मीर सरकार के टूरिज़्म डिपार्टमेंट में रिसर्च ऑफिसर पद पर तैनात है। जिसको 12 लाख की सालाना सैलरी के अलावा कई सरकारी सुविधाएं मुफ्त मिलती हैं।

तहरीक-ए-हुर्रियत के चेयरमैन अशरफ सेहराई के 2 बेटे खालिद और आबिद अशरफ सऊदी अरब में काम करते हैं और वहीं बसे हुए हैं। जमात-ए-इस्लामी के सदर गुलाम मुहम्मद बट का बेटा सऊदी अरब में डॉक्टर है। दुख्तरान-ए-मिल्लत की आसिया अंद्राबी के 2 बेटे विदेश में पढ़ते हैं। उनका बेटा मुहम्मद बिन कासिम मलेशिया और अहमद बिन कासिम ऑस्ट्रेलिया में पढ़ता है।

हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक की पत्नी यूएस सिटीज़न हैं तथा उसकी बहन राबिया फारूक एक डॉक्टर हैं और अमेरिका में रहती हैं। इसी तरह बिलाल लोन के बेटी-दामाद लंदन में सेटल हैं और उनकी छोटी बेटी ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रही है। वहीदत-ए-इस्लामी नेता निसार हुसैन राठेर की बेटी ईरान में काम करती है और अपने पति के साथ वही पर है। तिहाड़ में बंद शब्बीर शाह की बेटी समा शब्बीर मेनचेस्टर यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई कर रही है।

अलगाववादियो के परिवार को ऐश करते देख कर तस्वीर साफ हो जाती है की वो कश्मीरियों का इस्तमाल सिर्फ अपने फायदे के लिए कर रहे है और पाकिस्तानी सेना के “ब्लीड इंडिया विद थाऊसेंड कट्स” नीति पर काम कर रहे है। घाटी में स्कूली बच्चों से पत्थरबाजी कराने, आतंकियों के मारे जाने पर स्कूलों को जलवाने और हड़ताल कर स्कूल बंद कराने वाले अलगाववादी नेताओं ने कभी भी कश्मीरी बच्चों के हित में नहीं सोची। अगर सोचा होता, तो स्कूल जलाकर घाटी बंद करने का एलान नहीं करते। अपने राजनीतिक फायदे के लिए सभी सेपेरेटिस्ट ने कश्मीर घाटी को केंद्र सरकार की सभी सुविधाओं से वंचित रखा था। युवाओं को गलत रास्ते पर चलने या देश के सेना के खिलाफ पत्थर उठाने के लिए भड़काकर मुख्यधारा से अलग करने का काम करते है ये सभी अलगाववादी सिर्फ अपने फायेदे के लिए ही करते है।

ऐसे नेताओं के खिलाफ शुरू से ही अमित शाह कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं और इसी दिशा में उन्होंने युवाओं को जागरूक करने के लिए ये मुद्दा संसद में उठाया। मोदी सरकार के आने के बाद कश्मीर कारवाई की गयी और इन कथित नेताओं के पाकिस्तान से फंडिंग का पर्दाफाश हुआ। इनमें से कई नेता जेल में है और एनआईए ने इनकी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। यह सरकार कश्मीर के युवाओं के लिए आईआईटी, आईआईएम और एम्स का निर्माण शुरू कर चुकी है ताकि युवाओं को बाहर न जाना पड़े। वही लद्दाख में भी लद्दाख यूनिवर्सिटी की नींव रखी जा चुकी है। वही पूरे जम्मू कश्मीर का सौभाग्य योजना के तहत विद्युतिकरण और उज्ज्वला योजना के तहत गरीबों को एलपीजी प्रदान की गई। ‘वतन को जानो’ प्रोग्राम के तहत कई कश्मीरी युवाओं को अपने देश के अन्य हिस्सों का भ्रमण कराया गया। इस तरह से मोदी सरकार ने पूरे जम्मू-कश्मीर में विकास की नयी शुरुआत की है। अलगाववादियों की कमर तोड़कर मोदी सरकार यह साफ कर चुकी है कि कश्मीर समस्या को सुलझाने के लिए वह प्रतिबद्ध है। अमित शाह की कार्यप्रणाली को देखकर हमें उम्मीद है कि आने वाले कुछ सालों में दशकों से अनसुलझे कश्मीर विवाद को जल्द ही सुलझाया जा सकता है।  

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