अमित शाह vs पूरा विपक्ष: अमित शाह यहां भी सबसे बड़े विजेता बनकर उभरे हैं

अमित शाह बिल

(PC: Hindustan Times)

कल राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी(संसोधन) बिल 2019 लोक सभा में पारित हो गया। लेकिन कल संसद के निचले सदन में अमित शाह का एक नया किन्तु अपेक्षित रूप देखने को मिला। मोदी सरकार के सभी बिलो में अड़ंगा डालने वाले ओवैसी ने एक बार यही कोशिश की तब अमित शाह ने खड़े हो कर करारा जवाब दिया तब इस पर ओवैसी ने जब लोकसभा में कहा- ‘डराइये मत’ कह कर विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश की पर अमित शाह ने साफ जवाब दिया कि,”डराया नहीं जा रहा है, लेकिन डर जहन में है तो क्या किया जा सकता है।“ अमित शाह के इस स्वरूप को देख कर यह तो सिद्ध हो गया कि यह गृह मंत्री किसी से डरने वाला नहीं और जवाबी कार्रवाई करने में माहिर है।

अमित शाह का यही रूप देख कर संसद के दोनों ही सदनो में एक अलग तरह का माहौल बन गया है। गृह मंत्री द्वारा पेश किया गया सभी बिल दोनों ही सदनों, लोकसभा और राज्यसभा में बड़ी आसानी से पारित हो गया। सदन की कार्यवाही बाधित करने वाला विपक्ष भी इस बार हंगामा नहीं कर रहा।

दरअसल, अमित शाह ने जब से गृह मंत्रालय का कार्यभार संभाला है तब से एक के बाद एक 3 विधेयक लोक सभा में और 2 विधेयक राज्य सभा में पेश किया है। और इन सभी बिलों पर विपक्ष से कोई हंगामा देखने को नहीं मिला। पिछले महीने अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो बिल पेश किये  थे। जिसमें एक बिल जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को 6 महीने तक और बढ़ाने के लिए था तो दूसरा जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल था जिसमें अंतरराष्ट्रीय सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को भी आरक्षण देने का प्रस्ताव था। इन दोनों ही बिल को लोक सभा और राज्य सभा दोनों ही सदनों में पारित करा लिया गया था।

इस दौरान विपक्ष का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा,” अगर आप कश्मीरी पंडितों की बात करते तो मानता कि आपको कश्मीरियत की चिंता है। कश्मीरी पंडितों ने कश्मीरियत को जिंदा रखा लेकिन उन्हें भगा दिया गया। सरकार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। अटल जी ने कहा था कि कश्मीर समस्या का समाधान जम्हूरियत-कश्मीरियत-इंसानियत है। मोदी सरकार भी इसी रास्ते पर है। जब मैं जम्हूरियत कहता हूं तो विधानसभा के 87 सदस्यों तक इसे सीमित ना रखें।“

विपक्ष के ओर से बहुत ही कम विरोध देखने को मिला था। राज्य सभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है। यह कयास लगाए जा रहे थे कि विपक्ष इसमें अड़चन डाल सकता है। लेकिन यहां भी विपक्ष ने अपनी सहमति दिखाई थी। यह अमित शाह के व्यक्तित्व का ही प्रभाव है जिस वजह से विपक्ष सदन में किसी भी बिल का विरोध नहीं कर रहा है। सदन में चीखने चिल्लाने, नारेबाजी और यहां तक कि वॉक आउट करने वाला विपक्ष अमित शाह द्वारा पेश किये जा रहे बिल पर अपनी सहमति दे रहा है।

गृह मंत्री के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दो पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है चाहे वो आंतरिक हो या बाहरी। इसी क्रम में सोमवार को जब गृह मंत्री ने एनआईए संसोधन बिल पेश किया जिसमें एनआईए को और ज्यादा शक्तिशाली बनाने और विदेशों में भी जा कर जांच करने का प्रावधान था। इस बिल के आतंकवाद पर व्यापक असर देखते हुए विपक्ष की तरफ से हंगामे की उम्मीद की जा रही थी लेकिन इस बिल को भी अमित शाह ने लोक सभा में सिर्फ 6 विरोधी मतों के साथ पारित करवा लिया। अमित शाह का डर कहे या उनका प्रभाव यह उनकी कूट नीति ही है जो विपक्ष को हर बार धराशायी कर दे रहा है और सभी बिल बिना किसी रुकावट के पारित होते जा रहे है। गृह मंत्री जिस अंदाज में विपक्ष के सभी सवालों के जवाब दे रहे हैं उसका ही यह नतीजा है कि विपक्ष के पास विरोध के लिए कोई मुद्दा ही नहीं है। लगता है अमित शाह की शक्तिशाली छवि का डर उनके विरोधियों के मन में घर कर गई है। ऐसा नहीं है कि विपक्ष सदन में उत्पात नहीं मचाना चाहता लेकिन बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे ये प्रश्न ऐसा है जिसका फिलहाल कोई उत्तर विपक्ष के पास नहीं हैं।

तो विपक्ष अमित शाह से इतना क्यों डरता है इस प्रश्न का उत्तर शायद अमित शाह ने सोमवार को स्वयं ही दे दिया था जब उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी को लताड़ते हुए कहा था “अगर आपके मन में ही डर बैठा है तो मैं क्या कर सकता हूं”।

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