क्रिकेट विश्व कप का का खुमार अब उतर चुका है, भारत के लोग फिर से अब अपना ध्यान भारत की राजनीति पर लगा रहे हैं। क्रिकेट में अमूमन यह देखा जाता है कि साझेदारी की काफी अहम भूमिका होती है, चाहे वो बल्लेबाजी हो या गेंदबाजी दोनों ही क्षेत्र में साझेदारी से ही टीम को जीत मिल सकती है। बल्लेबाजी में सचिन-सौरव, हो या ग्रीनिज-हेंस या हेडन-लैंगर वही गेंदबाजी में वकार-अकरम कि जोड़ी हो या कर्टनी वाल्श-कर्टली एम्ब्रोज की हो या फिर कुंबले-हरभजन इन सभी ने अपनी साझेदारी से ही अपनी टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। इन सभी की साझेदारी की एक खासियत रही है कि दोनों साझेदारों में से जब एक धैर्य से खेलता है तो दूसरा अपनी छवि के अनुसार आक्रामक रुख अपनाता है। पिछले कुछ दिनों से भारतीय राजनीति में भी यही देखने हो मिल रहा है। एक ओर जहां प्रधानमंत्री अपने धैर्य और नेतृत्व से पूरे विश्व में भारत का परचम लहरा रहे हैं तो वहीं गृह मंत्री अमित शाह देश के अंदर सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने में लगे हैं।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अल्पसंख्यकों के हित में कोई ठोस कदम न उठाये जाने से कई सवाल उठते रहे जो वास्तविकता से मेल नहीं खाते थे। हालांकि, लोकसभा में फिर से भारी बहुमत के साथ जीत हासिल करने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने पहले भाषण में स्पष्ट कर दिया कि अबकी बार मोदी सरकार, सबका साथ सबका विकास के साथ सबका विश्वास के मूल मंत्र पर चलेगी। पीएम मोदी ने कहा था,” जैसा छल गरीब के साथ हुआ, वैसा ही अल्पसंख्यक के साथ हुआ। उन्हें भ्रमित-भयभीत रखा गया। उनकी शिक्षा की चिंता होती, आर्थिक-सामाजिक विकास होता तब अच्छा रहता। वोट बैंक की राजनीति में छलावा, काल्पनिक भय बनाया गया और उन्हें दबाकर रखा गया। उन्हें वोट बैंक के लिए इस्तेमाल किया गया। हमें इस छल में भी छेद करना है। हमें विश्वास जीतना है।‘
इसी राह पर चलते हुए प्रधानमंत्री ने अल्पसंख्यक समुदाय के लगभग 3.25 लाख ‘युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण’ के तहत नौकरी के लिए ट्रेनिंग देने की योजना भी बनाई। इससे कई अल्पसंख्यक युवा आगे चलकर आत्मनिर्भर बन सकेंगे जिसे पिछली सरकारों ने कभी ऐसा कोई अवसर नहीं दिया था। मोदी सरकार सीखो और कमाओ, उस्ताद योजना, नई मंज़िल, गरीब नवाज़ रोज़गार प्रशिक्षण और मोड्यूलर रोज़गार स्किल जैसी योजना के जरिये भारत के अल्पसंख्यको को यह विश्वास दिलाया कि इस बार की मोदी सरकार पिछली सरकारों की तरह उनका लाभ नहीं उठाएगी बल्कि विकास को बढ़ावा देगी।
अब प्रधानमंत्री ने अगले पांच साल में अल्पसंख्यक वर्ग के पांच करोड़ छात्रों की प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना का लाभ देने और 25 लाख नौजवानों को तकनीकी दृष्टि से दक्ष करने की योजना बनाई है। अल्पसंख्यक लड़कियों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए देशव्यापी ‘पढ़ो-बढ़ो’ अभियान चलाने का निर्णय लिया है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मंत्रालय के लिए थ्री ई (एजुकेशन, एम्प्लॉयमेंट, एम्पावरमेंट,) का लक्ष्य निर्धारित किया है।
देशभर के मदरसों में मुख्यधारा की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी मदरसा शिक्षकों को विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से प्रशिक्षण दिलाने कि भी योजना ला चुके हैं ताकि वे मदरसें को मुख्यधारा की शिक्षा जोड़ सकें। इनमें आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की लड़कियों के लिए 10 लाख से ज्यादा ‘बेगम हजरत महल बालिका छात्रवृत्ति’ भी शामिल हैं। पीएम मोदी के इन्हीं कदमों से भारत में गरीब, पिछड़े और विशेष समुदाय के लोगों का भी सम्पूर्ण विकास हो सकेगा। और भारत में अल्पसंख्यकों को लेकर वैश्विक स्तर पर छवि और मजबूत होगी।
वहीं दूसरी ओर अमित शाह ने गृह मंत्री बनने के बाद से जो फैसले लिए उससे स्पष्ट है कि वो भारत को सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। पहले उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर काम करना शुरू किया। जो मुद्दे वर्षों से पिछली सरकारों की लापरवाही के कारण सुलझ नहीं पाए थे और हिंदुओं को अपने ही राज्य में कई लाभों से वंचित होना पड़ा था। इन सभी को ध्यान में रखते हुए अमित शाह ने कई अहम फैसले लिए। चाहे वो जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाना हो या अंतर्राष्ट्रीय सीमा में रहने वाले हिंदुओं को सरकारी योजनाओं और नौकरियों का लाभ हो या एनआरसी के जरिये घुसपैठियों को देश से निर्वासित करना हो।
उन्होंने राज्यसभा में स्पष्ट कहा कि देश की इंच-इंच जमीन से अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें निर्वासित किया जाएगा, साथ ही उन्होंने अपनी रणनीति भी बताई कि कैसे वो देश से घुसपैठियों को देश से बाहर निकालेंगे। देश की इंच-इंच जमीन पर जितने भी अवैध अप्रवासी रहते हैं, घुसपैठिए रहते हैं, इनकी हम पहचान करने वाले हैं और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत हम इनको डिपोर्ट करेंगे।“
ऐसे घुसपैठियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने द फॉरेनर्स एक्ट 1946 की धारा 3 को लागू किया है, जो अवैध रूप से रह रहे बाहरी लोगों को पकड़कर वापिस उनके घर डिपोर्ट कराने की स्वतंत्रता देती है। घुसपैठियों को रोकने के लिए सरकार अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक बाड़ लगाएगी, बॉर्डर पर बाड़ का निर्माण इलेक्ट्रॉनिक निगरानी वाले उपकरणों से किया जाएगा, जिसमें सीसीटीवी कैमरे, नाइट विजन उपकरण भी शामिल होंगे। साथ ही अमित शाह ने यह कहा है कि जो हिन्दू एनआरसी के कारण देश से बाहर होते हैं उन्हें वापस अपने देश में लाने कि जरूरत पड़ी तो केंद्र की मोदी सरकार एक अलग बिल भी लाने को तैयार है।
गृह मंत्री अमित शाह ने अभी तक सदन में तीन बिल पेश किए हैं। पहला बिल जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को बढ़ाने से जुड़ा था ताकि विकास कार्यों को और समय मिल सके,दूसरा जम्मू कश्मीर में आरक्षण से जुड़ा था जो अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों के लिए आरक्षण देने के लिए था। ज्ञात रहे कि अंतराष्ट्रीय सीमा पर अधिकतर हिन्दू परिवार ही रहते है। और तीसरा बिल राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी यानि की NIA की शक्तियों के विस्तार से संबधित था। इस संशोधन बिल से एनआईए को अब विदेशों में भी आतंकवादियों के खिलाफ जांच करने की शक्ति देता है।
अमित शाह की जीरो टोलरेंस की नीति से लेकर इन सभी बिलों तक की रणनीति तक के पीछे का उद्देश्य देश को सशक्त, भयहीन और सभी के लिए न्याय की व्यवस्था से प्रेरित है।
जहां एक तरफ नरेंद्र मोदी भारत में सभी नागरिकों, के विकास करने और विश्वास जीतने की ओर ध्यान दे रहे है तो वहीं अमित शाह पूरी ईमानदारी से भारत के आंतरिक सुरक्षा के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं ताकि देश में सुरक्षित और वातावरण बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं । दोनों के प्रयासों और तालमेल से भारत वैश्विक पटल पर अग्रणी देश बनने जा रहा है।