कांग्रेस और कांग्रेस के कार्यकर्ता गांधी परिवार की छत्रछाया से दूर नहीं होना चाहते और ना ही शीर्ष नेता खुद को गांधी परिवार के आगे ले जाना चाहते हैं। सोमवार को एक बड़े बयान में पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रियंका गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए उपयुक्त बताया। उनके इस बयान से उनके समर्थकों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। ऐसा हो भी क्यों न, अमरिंदर सिंह कांग्रेस के ऐसे नेता हैं जो भाजपा समर्थकों के बीच भी लोकप्रिय हैं। उनकी राष्ट्रवादी छवि और देशहित के मुद्दों पर बेबाकी से राय रखना सभी को पसंद है। ऐसे में वो गांधी वंशज को पार्टी से ऊपर रखने की बात कहेंगे किसी को उम्मीद नहीं थी।
दरअसल, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पर अपना पूरा भरोसा जताते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, “अगर वह कांग्रेस अध्यक्ष चुनी जाती हैं तो हर तरफ से उन्हें समर्थन मिलेगा।“ उन्होंने आगे कहा, “पार्टी की बागडोर अपने हाथों में लेने के लिए प्रियंका बिल्कुल सही पसंद होंगी। लेकिन यह पूरी तरह से कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) पर निर्भर करता है। सीडब्ल्यूसी ही इस मामले पर फैसला लेने के लिए अधिकृत है।‘
इससे पहले तक कांग्रेस में जिस तरह की परंपराओं को निभाया जाता रहा है उसके विपरीत अमरिंदर सिंह ने एक अलग ही उदाहरण स्थापित किया है जो उन्हें अन्य कांग्रेस के नेताओं से कहीं अलग बनाता है। सैम पित्रोदा से लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा तक सभी के लिए समय-समय पर अमरिंदर सिंह ने अपनी बेबाक राय को सामने रखा है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पाक के नए प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण में शामिल होने के लिए निमंत्रण को सीमा पार से लगातार हो रहे हमलों का हवाला देते हुए अस्वीकार कर दिया था। यहां तक कि नवजोत सिंह सिद्धू के पाक-प्रेम पर भी उन्होंने खुलकर आपत्ति जताई थी। अपने प्रो-राष्ट्र नीति और पाकिस्तान के खिलाफ अपने सख्त रुख की वजह से वह आम जनता के बीच एक मजबूत नेता बनकर उभरे थे। यही नहीं उन्होंने खालिस्तान और जनमत संग्रह की मांग का भी विरोध किया था और आज भी वो खालिस्तान की मांग के खिलाफ ही हैं।
हाल ही में जब लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर में 12 अगस्त 2018 को भारत विरोधी और खालिस्तान समर्थक के पक्ष में रैली निकाली और भारत विरोधी नारे भी लगाये थे तब पंजाब के सीएम ने कहा था, “पंजाब में कोई भी ‘जनमत संग्रह 2020’ नहीं चाहता है ये ब्रिटेन स्थित एक संगठन का अभियान है। इस आन्दोलन का असर मैं पंजाब पर नहीं पड़ने दूंगा। पंजाब भारत का अभिन्न अंग था और रहेगा।“ उन्होंने कहा था “यदि कोई भी मेरे देश और मेरे राज्य की शांति भंग करने की कोशिश करेगा तो वो गलत है क्योंकि मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।” पिछले वर्ष उन्होंने वामपंथी-उदारवादियों की आलोचनाओं की परवाह न करते हुए मेजर गोगोई को सम्मानित किए जाने का जोरदार स्वागत किया था और कहा था कि मेजर गोगोई इस सम्मान के हकदार हैं। उन्होंने करतारपुर पर भी पाकिस्तान को एक्सपोज किया था। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था, “करतारपुर गलियारा स्पष्ट रूप से आईएसआई का एक गेम प्लान है। यह पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ रची गई एक बड़ी साजिश नजर आती है।“
उन्होंने अपने और पार्टी के हित से पहले देश और राज्य के हित को सबसे ऊपर रखा है। हमेशा से कांग्रेस में जिस तरह की परंपराओं को निभाया जाता रहा है उसके विपरीत अमरिंदर सिंह ने एक अलग ही उदाहरण स्थापित किया है जो उन्हें अन्य कांग्रेस के नेताओं से कहीं अलग बनाता है। जब राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था तब कैप्टन ने पार्टी की बागडोर किसी नौजवान नेता को देने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि ‘इस समय भारत की अधिकतर जनसंख्या युवा है और एक नौजवान नेता ही लोगों के साथ संपर्क पैदा कर सकता है और उनकी इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है।‘
लेकिन हाल के उनके बयान को देखकर तो ऐसा लगता है कि कैप्टन भी बाकी कांग्रेसी नेताओं की राह पर चल पड़े है और गांधी परिवार को ही सर्वेसर्वा मानने लगे है। कांग्रेस पार्टी में शुरू से ही नेहरू-गांधी परिवार का वर्चस्व रहा है। राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद अमरिंदर इस तरह से गांधी परिवार के एक अन्य सदस्य को पार्टी अध्यक्ष बनाने की बात कहेंगे किसी को उम्मीद नहीं थी। स्पष्ट है अमरिंदर सिंह सिंह भी अन्य कांग्रेसी नेताओं की तरह ही पार्टी में गांधी परिवार का वर्चस्व चाहते हैं।