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साक्षी मिश्रा मामले में मीडिया ने दिखाई पक्षपाती रिपोर्टिंग, खुद बन गयी जज, परिवार को बताया विलेन

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
13 July 2019
in मत
साक्षी मिश्रा मामले में मीडिया ने दिखाई पक्षपाती रिपोर्टिंग, खुद बन गयी जज, परिवार को बताया विलेन

PC: newsstate

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हाल ही में बरेली के भाजपा विधायक राजेश मिश्रा उस समय विवादों में घिर गए, जब उनकी पुत्री साक्षी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड की, जिसमें उन्होने अपने पिता को अनुसूचित जाति के युवक अजितेश कुमार से विवाह करने के लिए कहा है कि उसकी जान को उसके पिता से खतरा है –

BJP MLA from Bareilly, Rajesh Kumar Mishra alias Pappu Bhartaul's daughter has married a man of her choice. The BJP MLA is now after their life, has sent goons. His daughter has released this video requesting help! @Uppolice

Source: @saurabh3vedi

https://t.co/MLa9Sr13aA

— Gaurav Pandhi (@GauravPandhi) July 10, 2019

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जबकि इस मामले पर विधायक राजेश मिश्रा ने कहा है कि उनकी बेटी बालिग है उसको फैसला लेने का अधिकार है। मैंने या मेरे किसी समर्थक ने कोई धमकी नहीं दी। बेटी चाहें जहां रहे, खुश रहे।

दरअसल, साक्षी मिश्रा ने अनुसूचित जाति के युवक अजितेश कुमार से विवाह किया है। मीडिया के अनुसार इस वजह से  साक्षी के पिता एवं भाजपा विधायक राजेश मिश्रा काफी गुस्सा हैं। हालांकि, साक्षी ने अपने पिता को प्रत्यक्ष रूप से दोषी नहीं ठहराया, पर अपने परिवार और राजेश मिश्रा के दोस्त राजीव राणा को अपनी जान के लिए खतरा बताने की ओर संकेत अवश्य दिये। साक्षी का आज तक को दिये इंटरव्यू के अनुसार, ‘जब मैं अजितेश से बात करती थी तो सबसे पहले इसकी जानकारी मेरे भाई विक्की को लगी। वह बार-बार इस बारे में मुझसे पूछता था।‘ 

धीरे-धीरे वह मुझे गलत शब्दों में डांटने लगा, “पर हद तो तब हो गई जब विक्की मुझे पीटने लगा। वह पीटता रहता था और मैं उसे पैर पकड़कर मनाती रहती थी। साक्षी ने कहा कि “मुझे और मेरे पति को जान का खतरा मेरे भाई और पिताजी के दोस्तों से ही है। इसीलिए हमने वीडियो को सोशल मीडिया में पोस्ट किया था ताकि मैं इन लोगों से बच सकूं।“ इस दौरान साक्षी ने अपनी मां पर भी आरोप लगाए और यहां तक कि अपनी मां पर हॉरर किलिंग का डर दिखाने का भी आरोप लगाया। इस खबर को मीडिया ने बढ़ा चढ़ा कर दिखाया और ऐसे पेश किया जैसे राजेश मिश्रा अपनी ही बेटी के सबसे बड़े दुश्मन हो। 

मीडिया ने राजेश मिश्रा एवं उनके परिवार को कठघरे में खड़ा करते हुए उन्हें इस प्रकरण के लिए दोषी ठहराने का काम शुरू कर दिया। ‘एक विधायक की बागी बेटी की ये दास्तां अब देश के सामने है’ जैसी खबरें दिखाई।  जहां आज तक और उसके अंग्रेज़ी समकालीन इंडिया टुडे ने ‘पीड़ित’ लड़की को प्राइम टाइम में जगह देते हुए उसके पिता को विलेन साबित करने का भरपूर प्रयास किया, तो वहीं फर्स्टपोस्ट ने एक अशोभनीय आर्टिक्ल को स्वीकृति देते हुए जातिवाद का वैमनस्य फैलाने की कोशिश की  –  

अगर तथ्यों पर ध्यान दें तो साक्षी मिश्रा की आयु 23 वर्ष से ज़्यादा नहीं है, और उसके पति अजितेश 29 वर्ष के पार है। इतना ही नहीं, अजितेश की इससे पहले एक सगाई भी हो चुकी है, जो बाद में टूट गयी थी। सूत्रों के अनुसार जिस मंदिर में इस प्रेमी युगल ने विवाह किया था, उस मंदिर के महंत ने इस विवाह का खंडन करते हुए कहा है कि मंदिर में इस तरह का कोई विवाह हुआ ही नहीं है –

तो अब प्रश्न ये उठता है कि आखिर किस कारण से इस मामले को इतना तूल दिया जा रहा है? क्या कारण है कि एक पारिवारिक अनबन को राष्ट्रीय चर्चा का विषय बनाया जा रहा है? दरअसल, मीडिया यहां जानबूझकर राजेश मिश्रा को घेर रही है क्योंकि वो एक ब्राह्मण परिवार से हैं, दूसरा वो बीजेपी के नेता हैं और तीसरा वो एक विधायक भी हैं। ऐसे में इस मामले के जरिये मीडिया को अपने एजेंडे को आगे बढ़ावा देने का मौका भी मिल गया।

इसके साथ ही मीडिया ने यहां ब्राह्मण और दलित के एंगल को दिखाकर एक बार फिर से जातिवाद के जहर से अपनी टीआरपी को तेजी से ऊपर ले जाने का भी काम किया जो बेहद शर्मनाक है। हमारे समाज में आज भी अगर कोई लड़की अपने पिता से अपने प्रेम-संबंध के बारे में बताती है तो जाहिर है कि पिता को अपनी बेटी के भविष्य की चिंता होती है। वो कई सवाल पूछता है क्योंकि उसे अपनी बेटी की फ़िक्र है। पर साक्षी ने अपने पिता और परिवार से इस मामले पर बात करने का कोई प्रयास नहीं किया और न ही अपनी बातें स्पष्टता के साथ रखा। किसी भी परिवार में प्रेम संबंध को लेकर थोड़े मनमुटाव देखने को मिलते हैं परंतु अधिकतर मामलो में परिवार वाले शादी के लिए मान भी जाते हैं। परन्तु, मीडिया ने इस खबर को जिस तरह से दिखाया वो घटिया है, ऐसा करके मुख्यधारा की मीडिया ने एक बाप को अपनी बेटी का विलेन बना दिया जो बेहद शर्मनाक है.. साक्षी और उसके पति को चैनल पर दिखाना और राजेशा मिश्रा को विलेन बताना कहां तक सही है? सिर्फ टीआरपी के लिए इस हद तक गिर जाना ये आज की पत्रकारिता का बेहद घटिया स्तर है। इससे न सिर्फ उस परिवार को समाज के ताने सुनने को मिलते हैं बल्कि परिवार के लोगों का जीना मुश्किल हो जाता है। कानून का सहारा लेने की बजाय साक्षी ने सोशल मीडिया पर अपनी कहानी के जरिये अपना पक्ष रखा और हो सकता है कि साक्षी सही भी हो परन्तु एक पक्ष की कहानी को सुनकर सीधा दूसरे पक्ष को गलत ठहरा देना कहां तक सही है? मीडिया यहां खुद ही जज बन बैठी और खुद ही एक को दोषी और दूसरे को सही ठहराने का काम शुरू कर दिया। जबकि, मीडिया का काम सिर्फ निष्पक्ष पत्रकारिता करना है और दोनों पक्षों पर प्रकाश डालना चाहिए था लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला।

कम से कम मीडिया को साक्षी के परिवारवालों का पक्ष सुनकर जनता के सामने रखना चाहिए था। चूंकि, वो एक बीजेपी विधायक है इसका मतलब ये कोई है कि मीडिया इसे राजनीतिक रंग दे और उन्हें पितृसत्ता से ग्रसित बताये। मीडिया की इन खबरों का नकारात्मक असर साक्षी के परिवारवालों पर दिखाई भी दे रहा है । 

हालांकि, इस पूरे मामले में अपनी बेटी द्वारा लगाये गये आरोपों का खंडन करते हुए राजेश मिश्रा ने कहा कि ‘मीडिया और लोगों से अपील करता हूं कि मुझे परेशान ना किया जाए। अगर मुझे और ज्यादा परेशान किया जाएगा तो मैं आत्महत्या कर लूँगा। मेरी पत्नी टीवी चैनलों पर चल रही खबरों से इतनी परेशान है कि वो खुदकुशी कर लेगी। वो बीमार है और बेटी की वजह से इतनी दुखी है कि दवा भी नहीं ले रही। विधायक राजेश मिश्रा ने अजितेश कुमार पर यहां तक आरोप लगाया कि वो पहले शादीशुदा है।“ वहीं राजेश मिश्रा के दोस्त राजीव राणा ने कहा है कि “मेरे ऊपर झूठा आरोप लगाकर मेरी छवि को बदनाम करने की कोशिश की गई है। मैं इस मामले में साक्षी और अजितेश पर मानहानि का केस करूंगा।” इस कथन के बाद अब इस मामले में एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ ये तो आने वाले वक्त में पता चल ही जायेगा। 

इसके बाद मीडिया की खबरों से आक्रोशित कई सोशल मीडिया यूजर्स ने आज तक और ऐसे कई मीडिया पोर्टल को ऐसी घटिया कवरेज के लिए आड़े हाथों लिया है –

https://twitter.com/Shruti20081/status/1149907951341035520

https://twitter.com/SwamiGeetika/status/1149869312514990081

https://twitter.com/SwamiGeetika/status/1149882379533635587

https://twitter.com/IamBrandAnand/status/1149758954223886336

उसे मैं इश्क़ कैसे मान लूं
जो एक पिता की पगड़ी उछाल दे…

The way she accused her father and family on live tv made this seem like a dubious claim. Either she is mentally retarded or insect of leberty has bitten her badly.
Watch her interview on television.#SakshiMishra

— Mani Shankar Singh 𝕏 (@ManiShankar_44) July 13, 2019

माना ये बालिग़ हैं, इनकी आज़ादी का पूरा सम्मान है, पर एक बाप बेचारा करे भी तो क्या करे, जिसके कलेजे का टुकड़ा, उसकी बेटी अचानक ग़ायब हो जाए, बिना बताए शादी भी कर ले, वही बाप जिसने खुद गीले बिछौने पर सोकर इनको सूखे पर सुलाया, वही जिसने इनकी छोटी खु़शी के लिए अपनी नींद चैन खोई !! https://t.co/wFPSi0s1jK

— Dr. Shalabh Mani Tripathi (मोदी का परिवार) (@shalabhmani) July 13, 2019

अंतरजातीय विवाह को निस्संदेह हमारा समाज आज भी खुलकर स्वीकार नहीं कर पाया है। हो सकता है कि साक्षी ने सुरक्षा के लिहाज से वो वीडियो बनाई हो। परंतु जिस तरह मीडिया ने इसे अनावश्यक तूल देते हुए पूरे परिवार को सिर्फ इसलिए कठघरे में खड़ा कर दिया, क्योंकि राजेश मिश्रा बीजेपी विधायक हैं।  जबकि किसका पक्ष सही है और कौन वास्तव में इस मामले में दोषी है ये तय करना कोर्ट का काम है लेकिन मीडिया खुद यहां जज बन गयी है और परिवार को विलेन की तरह से पेश किया है। ये न केवल निंदनीय है, बल्कि अशोभनीय भी। बिना राजेश मिश्रा का पक्ष जाने उन्हें मीडिया के ट्रायल में दोषी ठहराना कहां का न्याय है? इस मामले पर मीडिया की पक्षपाती पत्रकारिता की जितनी निंदा की जाये, कम है।  

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