मिशन मून पर खर्च हुए 978 करोड़, जो एवेंजर्स फिल्मों के कुल बजट से भी कम है

मिशन चंद्रयान

भारत के लोगों की एक खासियत पूरे विश्व में विख्यात है और वह खासियत है रुपये के मामले में किफायती होना। चाहे वह किसी भी वर्ग का हो भारत के लोग रुपये बचा ही लेते है। ऐसा ही अपने मून मिशन के साथ भी हुआ। हमारे देश के अन्तरिक्ष संस्था इसरो ने चंद्रयान 2 को मात्र 978 करोड़ यानि 142 मिलियन डॉलर में ही लॉंच कर दिया। जबकि अन्य देशों के मून मिशन पर खर्च इससे कई गुना ज्यादा था। नासा के मून मिशन से यह लगभग 20 गुना कम है। वही चीन ने 7 दिसंबर 2018 को चांग’ई-4 नाम का चंद्रयान लॉन्च किया था जिसकी लागत लगभग 180 मिलियन डॉलर था, जिसने 3 जनवरी को चांद की सतह पर सफल लैंडिंग की। हालांकि, यह जान कर आश्चर्य होगा कि कई फिल्मों से भी कम खर्च पर इसरो ने इस मिशन को लॉंच किया है।

बता दें कि ये कई हॉलीवुड फिल्मों के बजट से काफी कम है। हाल ही में रिलीज हुई एवेंजर्स एंडगेम (Avengers Endgame) का बजट ही 400 मिलियन डॉलर रुपए था। इतने बजट में भारत दो चंद्रयान भेज सकता है। चंद्रयान-2 पर खर्च हुए 978 करोड़ रुपए (142 मिलियन डॉलर) में से 603 करोड़ रुपए मिशन में लगाए गए, जबकि लॉन्चिंग के लिए 375 करोड़ रुपए खर्च किए गए। यह कुल बजट चारों एवेंजर्स फिल्मों के बजट से कम है। इस सीरीज की पहली फिल्म The Avengers 225 मिलियन डॉलर में बनी थी। Avengers Infinity War का बजट 300 मिलियन डॉलर, Avengers: Age of Ultron का बजट 330 मिलियन डॉलर था। क्रिस्टोफर नोलन की 2014 में आई फिल्म इंटरस्टेलर  का बजट करीब 165 मिलियन डॉलर का था।

दुनिया के अन्य देशों में सरकारी अंतरिक्ष एजेंसी के रॉकेट दूसरे देशों के उपग्रह भजने की प्रक्रिया काफी जटिल है। इसे कई द्विपक्षीय समझौते और कानून की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है लेकिन, भारत में ये काम आसानी से हो जाता है। और इसका कारण इसरो की व्यावसायिक इकाई एंट्रिक्स है जो सीधे तौर पर इस प्रक्रिया को देखती है। भारत से विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजना सस्ता पड़ता है, दूसरा कारण यह है कि अन्य देशों की तुलना में भारत में श्रम सस्ता है। तथा तीसरा कारण केंद्र सरकार द्वारा इसरो को कई तरह की रियायतें है। इसलिए भी इसरो के कार्यक्रमों की लागत कम हो जाती है। ये भी गौरतलब है कि इसरो पूरी तरह स्वाबलंबी है यानी पेलोड, यंत्र, रॉकेट या उपग्रह से जुड़ी टेक्नोलॉजी विदेश से नहीं खरीदी जाती बल्कि इसरो वैज्ञानिक खुद रिसर्च करके उसे तैयार करते हैं। इसी वजह से कई देश अपने उपग्रह इसरो को सौपते है ताकि उनका कम खर्च हो। इसरो अमेरिका, इज़राइल, जापान और कुछ यूरोपीय देशों समेत 32 देशों के 269 उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है। इससे भारत ने सामरिक रूप से अपनी स्थिति मजबूत की है। आने वाले समय में भी इसरो कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। और इन सभी बड़े प्रोजेक्ट्स जैसे तीसरा चंद्र मिशन,आदित्य-L1 नाम का सोलर प्रोब मिशन, शुक्र-यान, मंगल-यान-2 यानि मार्स ऑर्बिटर मिशन-2 को भेजने की तैयारी कर रहा है। इसरो ने अपना स्पेस स्टेशन बनाने की भी घोषणा की है। अभी इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए 10 हजार करोड़ रुपए सरकार से मिले हैं और इस परियोजना पर काम चल रहा है। इन सभी परियोजनाओं से भारत आने वाले दिनों में विश्व में अंतरिक्ष की महाशक्ति बनने की अग्रसर होगा।

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